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सुख-दुख

योगी सरकार को नाज़ुक पलों को भी इवेंट बना देने की सलाह कौन देता है?

श्याम मीरा सिंह-

कोरोना में जान गवाने वाले पत्रकारों के लिए UP सरकार ने 10-10 लाख का मुआवज़ा दिया है. ये अच्छी पहल है. लेकिन मुआवज़ा दिए जाने को भी इवेंट बना दिया गया है, ऐसे लग रहा है जैसे indian idol के बच्चों को बड़े पोस्टर पकड़ा दिए हों. जिन महिलाओं ने हाल ही में अपने पतियों को खोया है, जिन महिलाओं ने अपने बेटों को खोया है, उनके हाथ में ये मेडलनुमा होर्डिंग पकड़ाते हुए शर्म नहीं आई?

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अगर इस तस्वीर का प्रसंग न बताया जाए तो क्या कोई अनुमान लगा सकता है कि ये पीड़ित परिवारों का कार्यक्रम है? पीड़ित परिवारों के सीधे खाते में भी ये पैसे दिए जा सकते थे, नहीं मगर सरकार को सब इवेंट बनाना है और जनता में बेचना है.

सरकार को समझना चाहिए कि हर चीज़ प्रचार नहीं होती. मुसीबत में मदद की जाती है तो बंद मुट्ठी में रखकर चुपके से पकड़ा दी जाती है, कंधे पर हाथ थपकाया जाता है. किसी को कानों कान खबर नहीं लगने दी जाती कि अमुक आदमी की पैसों से मदद की है. लेकिन सरकार ने इस नाज़ुक पल को भी एक इवेंट बना दिया.

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