Yashwant Singh : गाजीपुर से तीन खबरें सुना रहा हूं. पहली खेती किसानी की. बाजड़ा पिछले साल 1100 रुयये क्विंटल था, इस साल 900 रुपये हो गया है. वहीं, डाई खाद का दाम 600 रुपये बोरी से बढ़कर 1150 रुपये हो गया है. कितनी तेज देश तरक्की कर रहा है और कितना तेज गांवों किसानों का विकास हो रहा है, इसकी ये एक बानगी है. ये जानकारी मुझे पिताजी ने दी, चिंतिंत लहजे में ये कहते हुए कि ”अब खेती-किसानी में कुछ रक्खा नहीं है”.
दूसरी खबर गाजीपुर जिले के गहमर के आसपास की है. यहां एक युवा उत्साही भाजपाई कार्यकर्ता ने लगातार कई रात गाय लदे कई ट्रकों को रुकवा कर पकड़ा और पुलिस के हवाले करवा दिया. भाजपा ने इनके समर्पण को देखते हुए इन्हें गोरक्षा प्रकोष्ट का अध्यक्ष बना दिया और पुलिस ने इनके खलल करने की क्षमता को देखकर गो-तस्करों से कह दिया कि प्रति ट्रक सौ रुपया इस जोशीले नेताजी को देते रहो वरना ये मानेगा नहीं. इस तरह से इलाके में सब कुछ फिर रुटीन में आ गया है. ये जानकारी मुझे गहमर इलाके के एक सोशल एक्टिवस्ट मित्र ने दी जो कल भड़ास आश्रम पर मुझसे मिलने आए थे.
तीसरी खबर गाजीपुर शहर कोतवाली की है. एक ठाकुर साहब अपनी बाइक खोने की रिपोर्ट लिखाने गए तो कोतवाल ने कहा कि इस महीने क्राइम ज्यादा घटित हुआ है, सो क्राइम कम शो करने के लिए आपकी रिपोर्ट अगले महीने लिखूंगा. ठाकुर साहब अड़ गए और कोतवाल को समझाने लगे कि तुम्हारा क्राइम कम करने का ये तरीका सही नहीं है. तभी ठाकुर साहब ने देखा कि कोतवाली के बाहर दो गुट लड़भिड़ कर आए हुए हैं रिपोर्ट लिखाने पर रिपोर्ट लिखी नहीं जा रही. ठाकुर साहब ने इनकी रिपोर्ट लिखाने की जिम्मेदारी भी खुद ले ली. कोतवाल से बहस होती रही. तभी एडिशनल साहब आ गए. एडिशनल एसपी से ठाकुर साहब ने कोतवाल की शिकायत की और साहब के कहने पर कोतवाल को मजबूरन दोनों रिपोर्ट लिखनी पड़ी. बाद में पता चला कि दो लड़े भिड़े लोगों की रिपोर्ट इसलिए नहीं लिखी जा रही थी क्योंकि मंत्री जी ने कोतवाल को रिपोर्ट न लिखने का आदेश दे रखा था. मंत्री जी तक जब सूचना पहुंचाई गई कि फलां ठाकुर साहब के एडिशनल साब से शिकायत करने के कारण रिपोर्ट लिखनी पड़ी है मजबूरी में तो मंत्री साहब ने ठाकुर साहब को सबक सिखाने के वास्ते ठाकुर के खिलाफ ही इतनी धाराओं में फर्जी रिपोर्ट लिखने को कह दिया कि ठाकुर साहब को जेल जाना पड़े. कोतवाल ने बिलकुल देर नहीं की. बाहर जो दो पक्ष लड़े भिड़े थे, उसमें जो मंत्री जी समर्थित पक्ष था, उससे एक फर्जी कंप्लेन ठाकुर साहब के खिलाफ लिखवा ली गई और उसी आधार पर बलवा, महिला छेड़छाड़ समेत कई आरोपों में ठाकुर साहब के नाम एफआईआर हो गई. फिलहाल ठाकुर साहब गिरफ्तार तो नहीं हुए हैं लेकिन मामला सल्टाने में लगे हैं. मंत्री जी का नाम पंडित बिजय मिश्रा हैं जो वरिष्ठ पत्रकार अच्युतानंद मिश्र के भतीजे हैं और ठाकुर साहब का नाम चंद्रशेखर सिंह हैं जो लखनऊ विवि से एलएलबी हैं, छात्र नेता भी रहे हैं और काफी समय से गाजीपुर में अपना बिजनेस व्यवसाय कर रहे हैं.
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गाजीपुर में हुए ग्रामीण पत्रकार प्रशिक्षण समारोह में जब मैं मीडिया के भ्रष्टाचारियों को गरियाकर मंच से नीचे उतरा तो एक मित्र ने कान में कहा- ऐतना गरिया दिए हैं, कउनो अखबार अपनी कवरेज में आपका नाम भाषण नहीं छापेगा. तब मैंने कहा- भइया, अपना नाम भाषण छापने छपवाने का एतना ही शउक रहता तो हम सांप के बिल में काहे को हथवा डालते. Bhadas4media.com की शुरुआत करते वक्त यह कतई नहीं पता था कि एक दिन इस काम के कारण मेरा नाम होगा. सो, वही फिदाइन आस्था, आत्महंता प्रेरणा अब भी कायम रखता हूं जो भड़ास शुरू करते वक्त था. ग्रामीण पत्रकार प्रशिक्षण समारोह की उपर वाली तस्वीर Kripa Krishna के सौजन्य से.
भड़ास के एडिटर यशवंत सिंह के फेसबुक वॉल से.