विकास ऋषि-
यूक्रेन की राजधानी कीव के एयरपोर्ट पर रूस की सैन्य कार्यवाही की डराने वाली खबरें आ रही है। फ़िलहाल वहाँ मार्शल लॉ लागू कर दिया गया है। बहुत मुमकिन है कि किसी भी वक़्त ये टकराव तेज़ हो जाये।
ऐसे में बहुत ज़रूरी है कि यूक्रेन दो महाशक्तियों (अमेरिका और रशिया) के बीच बढ़ते तनाव में बलि का बकरा न बनें।
इसके लिए यूक्रेन को जल्द से जल्द अमेरिका और नाटों के झांसे से बाहर निकलना होगा। क्योंकि अमेरिका और नाटो पहले ये इस बात को स्पष्ट कर चुके हैं कि नाटो और अमेरिका दोनों यूक्रेन की सुरक्षा के लिए यूक्रेन की ज़मीन पर अपनी सेना नहीं उतरेंगे।
यानी यूक्रेन को खुद की और अपने नागरिकों की सुरक्षा की जिम्मेदारी खुद ही लेनी होगी। यानी अगले 24 से 48 घंटे यूक्रेन के लिए बेहद महत्वपूर्ण होने वाले हैं।
वहीं बात इस फसाद के विश्व्यापी प्रभाव की करें तो कच्चे तेल के दाम में आग लगना पक्का है। सोने के भाव भी अपने पिछले रिकॉर्ड तोड़ सकते हैं।
क्रूड ऑयल के अलावा गैस, अलमुनियम, स्टील एवं बाकी मेटल्स के दाम भी चौकाने वाले ढंग से बढ़ सकते हैं। वहीं इसका एक बड़ा नकारात्मक असर देश दुनिया के शेयर बाजार पर पड़ सकता है।
जहाँ तक रही बात अमेरिका के राष्ट्रपति जो बाइडेन की तो वो अपना लोमड़ी दिमाग इस्तेमाल कर यूक्रेन को हथियार बेचने की पेशकश कर चुके हैं।
लेकिन वो सीधे रशिया से किसी भी प्रकार के टकराव बचना चाहते हैं। ठीक वैसे ही जैसा कि वो अफगानिस्तान में चीन के बढ़ते दखल पर मौन हैं।