
गोलेश स्वामी-
कुत्तों से प्रेम की मेरी बड़ी दिलचस्प कहानी है। इनकी खातिर मैंने अपना रूप रंग गंवा दिया। लेकिन इनको प्रेम करना नहीं छोड़ा। मेरी मां ने मुझे बताया था कि “जब तुम पैदा हुए थे तो बिल्कुल अंग्रेज की तरह गोरे थे। थोड़ा बड़े हुए तो मोहल्ले के पिल्लों से खेलने लगे। यहां कि बाद में तुम उनको साथ सुलाने लगे जिससे स्किन डिजीज हो गई। कई डाक्टरों की दवा कराई, लेकिन ठीक नहीं हुए। तब उस समय किसी वैद्य ने नीला थोथा किसी दवा में मिलाकर पूरे शरीर पर मलने को दिया। उस समय मेरे शरीर से बहुत बदबू आती थी। यहां तक कि मेरी मां के अलावा मेरे पास कोई नहीं सोता था। नीला थोथा और वैद्य जी की दवा से स्किन डिजीज तो ठीक हो गई, लेकिन शरीर काला पड़ गया। उसके बाद कोई क्रीम शरीर पर मली जाती थी। इससे रंग थोड़ा निखरता गेहुंआ हो गया, लेकिन वो अंग्रेजों जैसा गोरा रंग फिर न लौट सका।”
इसके बाद मेरा पिल्लों से खेलना बंद करा दिया गया। लेकिन बड़े होने पर यह प्रेम फिर जाग गया। यहां तक कि जब मैं हाईस्कूल का छात्र था, एक सुन्दर से झबरीले पिल्ले को अपनी ननिहाल से उठा लाया था। सबेरे ही मेरे मामा पहली बस से आए और मेरे जागने से पहले उस पिल्ले को ले गए। वह पिल्ला वहां के थानेदार को भी प्यारा था। उसे पता लगा कि इनका भांजा पिल्ला ले गया है तो थानेदार ने मेरे मामा को रात को ही कह दिया था कि सबेरे पहली बस से जाकर ले आना।
बहरहाल वो पिल्ला ले गए। मैं जागा तो देखा कि पिल्ला नहीं है तो मां ने मुझे पूरा किस्सा बताया और कहा कि सबेरे ही तुम्हारे मामा ले गए। इस पर मैं उसे यादकर बहुत रोया। शायद उस दिन खाना भी नहीं खाया था।
फिर रात को पापा आए तो जगाकर पिताजी ने कुल्हड का मलाईदार दूध सोते से उठाकर पिलाया और कहा कि उससे भी अच्छा पिल्ला लाकर दूंगा। बहरहाल जब मैं बालिग हुआ तो कुत्तों से क्या सभी बेजुबानों से प्यार हो गया। लेकिन घर में कुत्ते पालना मना था तो खरगोश पालना शुरू कर दिए। लेकिन खरगोश इतनी तेजी से बढ़े कि उन्होंने पूरा घर खोद दिया। साथ ही गंदगी भी बहुत करते तो उनकी भी विदाई हो गई।








जब वर्ष 1990 में मेरा तबादला ब्यूरो चीफ “अमर उजाला” मथुरा के रूप में हुआ तो मेरा कुत्ता प्रेम फिर जागा। मैंने “ऐली” नाम की एक प्यारी सी व्हाइट कलर की पामेरियन पाली जो मेरे ही साथ सोती थी और आफिस से आने तक मेरा घर पर इंतजार करती थी। तब मैं अकेला था। एक दिन आफिस से लौटा तो ऐली गायब। पागलों की तरह उसे बहुत ढूंढा, पर वह कहीं नहीं मिली।
मालूम पड़ा कि उसे सेना का कोई कर्नल ले गया है। लेकिन उसने कहा मैं लेकर नहीं आया। मेरे पास तो मेरी पामेरियन है। बहरहाल मैंने तय किया कि अब अकेले रहते मैं कुत्ता नहीं पालूंगा। शादी के बाद जब बिटिया अंशिका हुई तो कुत्ता पालने की बहुत इच्छा हुई। लेकिन मैडम ने मेरी कहानी सुन रखी थी तो मना कर दिया। फिर मेरी बेटी अंशिका कुत्तों से बहुत डरती थी। लेकिन आठ साल पहले जब बीस दिन का छोटा सा लकी घर पर आया तो उसने गोद में उठा लिया।
फिर उसका धीरे धीरे कुत्तों से डर खत्म हो गया। लकी के साथ वह स्ट्रीट डाग्स से भी प्यार करने लगी। उनका ख्याल रखने लगी। मेरा तो पहले से ही इनसे प्यार था। यह सब देखकर मुझे खुशी होती है। मैं जितना इन बेजुबानों से प्यार करता हूं, मुझे लगता है वो भी मुझे उतना ही या यूं समझिए कहीं ज्यादा प्यार करते हैं। इन स्ट्रीट डाग्स के अलग-अलग नाम और अलग अलग कहानी है। लेकिन इन सबमें सुपर माफिया नाम का स्ट्रीट डाग है। शायद यह क्रास ब्रीड का है।
ये सुपर माफिया कालोनी में कैप्टेन की भूमिका में रहता है। किसी की क्या मजाल जो उसकी अनुमति के बिना आ जाए। वह भौंकता है तो उसकी आवाज पूरी कालोनी में गूंजती है।

वह सिर्फ मेरी और मेरी बेटी की बात मानता है। लेकिन डरता सिर्फ मेरी मैडम से है। उनको देखते ही निकल लेता है। इसका दोस्त पिल्लू ट्रांसजेंडर है। बिलारू अब बुजुर्ग हो चुका है। छोटी कई बार मां बन चुकी है। कालू अब बड़ा हो गया है। इस सावन में बारह बच्चे और आ चुके हैं।
ये बहुत वफादार होते हैं। इनका प्यार सच्चा होता है। इनके दिल में बेवफाई के लिए कोई जगह नहीं। सिर्फ वफा करते हुए दम तोड़ देते हैं।
Comments on “लखनऊ के इस वरिष्ठ पत्रकार की बेजुबानों से प्रेम की कहानी, देखें तस्वीरें”
मज़ा आ गया .. वैसे ये चार पैर वाले हम दो पैर वालों से अधिक निष्ठ, कर्तव्य-परायण और अनुशासित होते हैं।
Such a lovely story ❤
Super se bhi uper Sir
कुत्तो के साथ रहने से त्वचा पर कोई असर नही पड़ता है, ह अगर उन्हें खुजली है तो थोड़ा असर होगा परन्तु उनको भी दवा दे दें खुद भी ले ले, दोनों ठीक हो जाएंगे, मेरे बिस्तर पर 1,2 नही ,कभी कभी तो 10 तक सोते है दसियों वर्ष से यही किस्सा है
Gazab Bhai salute
Aap nohot achcha kaam kar rahe hain .Stray animals ko touch karen to senitizer se haath saaf kar len .Us doggy ko sterilize kara den ye bohot zaroori hai warna badhte jayenge phir mushkil hogi.