के. सत्येन्द्र –
गोरखपुर : पूरे प्रदेश की तरह गोरखपुर जनपद में भी पत्तल कारों की विभिन्न प्रजातियां पाई जाती है। औरों की खबर को वेवजह बगैर सबूत के मात्र आरोप के बलबूते दिखाकर तिल का ताड़ बनाने में इन्हें महारत हासिल है। लेकिन जब बात खुद पर आ जाये और खुद के कर्मों की खबर दिखाई देने लगे तो विधवा विलाप शुरू हो जाता है। खबर दिखाने वाले के खिलाफ जमकर षड्यंत्र किये जाने के साथ उसे पागल सनकी घोषित कर दिया जाता है। सामने आने पर ऐसे घूरते हैं जैसे अभी एनाकोंडा का रूप धर पूरा का पूरा निगल जाएंगे।
लेकिन हाजमा खराब होने का डर महसूस होते ही पूंछ पटकते हुए निकल लेते हैं। गोरखपुर जनपद में पत्तलकारों की विभिन्न प्रजातियों की खोजबीन के दौरान एक ऐसे बड़का पत्तलकार साहब की ऑडियो रिकॉर्डिंग हमारी खबरों का हिस्सा बनी जो पत्रकारिता के अलावा सब कुछ कर लेते हैं। बड़े चैनल में है इसलिए भौकाल भी बड़ा है। रास लीला में तो इन्हें महारत हासिल है। इनकी रिकॉर्डिंग सुनते ही आप इनके कायल हो जाएंगे। कभी कभार समय मिले तो रासलीला में पारंगत यह महोदय दौरा पड़ते ही नाचने गाने भी लग जाते हैं।
दूसरे महोदय की तो बात ही न पूछिये। ये तो सीधे नटवर लाल से ट्यूशन लेकर आये थे। सो जनपद के दरोगा जी के साथ मिलकर जनपद के एक जाने माने डॉक्टर को ही लड़की के नाम पर ब्लैकमेल कर लाखो रुपये डकार गए। ये जनाब भी मुर्गा फाँसने के लिए अधिकारियों संग चाय नाश्ता से लेकर तमाम सारी फोटो खिंचवाते थे और बड़े रौब से सोशल मीडिया पर बताशे की तरह बांटते थे।
तीसरे जनाब भी अधिकारियों संग खूब फ़ोटो खिंचवाते थे। यहाँ तक कि झोलाछाप होते हुए भी सी एम ओ और डी एम साहब के साथ मीटिंग में बैठते थे। पता नहीं बड़का अखबार के एक बड़का पत्तलकार को क्या सूझा कि इस बज्र झोलाछाप को अपने आलीशान आफिस में बैठाकर उसकी पूरी तस्वीर ही छाप दी और इंटरव्यू के माध्यम से गोरखपुर की तमाम जनता का इलाज भी करवा दिया। उस बज्र झोलाछाप को धरती का इतना बड़ा भगवान बता दिया कि उसने जनता को इलाज के नाम पर जमकर लूटा। लेकिन जब सेटिंग की पोल खुली तो बज्र झोलाछाप साहब आज जेल में है।
चौथा वाक्या तो अभी कल ही का है। सोशल मीडिया पर अधिकारियों संग फोटो खिंचवाने वाले जनाब ने अपनी सेटिंग का भौकाल दिखाकर कई लोगों का माल लूट लिया। अब प्रश्न यह है कि सोशल मीडिया पर रोक लगाए की जिम्मेदारों को आईना दिखाए की पत्तलकारों के साथ आपकी फोटो मासूम जनता पर कितना सितम ढा रही है।
भाई हम तो किसी का बुरा सोचते नहीं लेकिन एक से एक जगलर पता नहीं क्यों हमारे ही पल्ले पड़ जाते हैं। अब आज के समय मे तो घनघोर पापियों को भी मरने के बाद स्वर्गवासी या जन्नतनशीं कहा जाता है। भ्रष्टों और भ्रष्ट पत्तलकारिता के विरुद्ध हमारे अकेले खड़े होने पर तंज कसने वाले शायद इस सत्य से वाकिफ नहीं है कि समस्या, श्मशान, शिखर और सिंहासन पर व्यक्ति हमेशा अकेला ही होता है।
के. सत्येन्द्र
गोरखपुर