Rajkumar Singh : गुरुदेव नारायण जी नहीं रहे. मेरे जैसे कई पत्रकारों को पत्रकारिता की एबीसीडी सिखाने वाले गुरुदेव जी. 1994 में मैने उनके अंडर में ही स्वतंत्र भारत, लखनऊ से अपना करियर शुरु किया थे. तब वे वरिष्ठ सहायक संपादक थे. स्वतंत्र भारत के तत्कालीन प्रधान संपादक स्वर्गीय घनश्याम पंकज जी ने हम करीब दस नए लोगों को गुरुदेव जी को सौंप दिया था. बाद में जब स्वतंत्र भारत को थापर समूह से लखनऊ के एक स्थानीय बिजनेसमैन ने खरीदा तो गुरुदेव जी पहले व्यक्ति थे जिन्होंने इस्तीफा दे दिया था.
वे कुछ दिनों के लिए जबलपुर एक अखबार के संपादक बन कर गए. कुबेर टाइम्स लखनऊ में भी रहे. उसूलों के पक्के थे. ज्ञान का भंडार थे. हिन्दी के अलावा उर्दू और अंग्रेजी के भी ज्ञाता. गज़लों की एक किताब भी लिखी थी. बीते कई दिनों से बीमार चल रहे थे. गुरुदेव जी के पुत्र सौरभ श्रीवास्तव हम लोगों के साथ नवभारत टाइम्स, लखनऊ में काम करते हैं. श्रद्धांजलि गुरुदेव सर.
लखनऊ के वरिष्ठ पत्रकार राजकुमार सिंह की एफबी वॉल से.