Connect with us

Hi, what are you looking for?

साहित्य

सुभाष राय की नई कविता- ‘हाथ’!

सुभाष राय-

हाथों ने मनुष्य को हाथ मिलाकर
चलना सिखाया

हाथों ने पत्थरों पर चित्र बनाये
दुर्गम इलाकों तक पहुंचने के रास्ते बनाये
हाथों ने मनुष्य की असंभव कल्पनाओं
को साकार किया

Advertisement. Scroll to continue reading.

हाथों ने ही मशीनें बनायी
पर जब भी मशीनों के दांत टूटते नजर आये
आखिरी वक्त पर हाथ ही
काम आये

हाथ ही जूझे बड़ी लड़ाइयों में
हाथों ने अपनी लकीरों
की कभी परवाह नहीं की
हाथों ने अपनी ताकत से अपनी लकीरें
खुद बनायी

Advertisement. Scroll to continue reading.

हाथ ही पहले पहुंचे घायलों तक

हाथ ही सबसे पहले लहराये असहमति में
हाथों ने ही मनुष्य को ताकतवर के खिलाफ
उंगली उठाना सिखाया

Advertisement. Scroll to continue reading.

2.

आंखें देखकर भी छू नहीं सकती
लेकिन हाथ छूकर ही देख लेते हैं

Advertisement. Scroll to continue reading.

हाथ सबसे सुंदर हैं इस देह में
उनमें सपने देखने का हो‌ न हो, सपने गढ़ने का
हुनर जरूर होता है

28/11/2023

Advertisement. Scroll to continue reading.

कवि सुभाष राय कई अख़बारों के संपादक रहे हैं.

Advertisement. Scroll to continue reading.
Click to comment

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Advertisement

भड़ास को मेल करें : [email protected]

भड़ास के वाट्सअप ग्रुप से जुड़ें- Bhadasi_Group

Advertisement

Latest 100 भड़ास

व्हाट्सअप पर भड़ास चैनल से जुड़ें : Bhadas_Channel

वाट्सअप के भड़ासी ग्रुप के सदस्य बनें- Bhadasi_Group

भड़ास की ताकत बनें, ऐसे करें भला- Donate

Advertisement