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अखबार के प्रबंध संपादक को हथकड़ी लगाना पुलिस वालों को पड़ा महंगा

मुंबई उच्च न्यायालय ने नुकसान भरपाई के लिए चार लाख रुपये मुआवजा देने और पुलिस वालों पर कारवाई का आदेश दिया : मुंबई उच्च न्यायायल ने गुरुवार को एक कड़ा कदम उठाते हुये एक अखबार के प्रबंध संपादक को हथकड़ी लगाने पर ना सिर्फ पुलिस वालों को जमकर फटकार लगायी बल्की चार लाख रुपये का नुकसान भरपाई और २५ हजार रुपये याचिका खर्च के रुप में याचिकाकर्ता को देने और पुलिस वालों पर कार्रवाई का आदेश दिया है।

<p>मुंबई उच्च न्यायालय ने नुकसान भरपाई के लिए चार लाख रुपये मुआवजा देने और पुलिस वालों पर कारवाई का आदेश दिया : मुंबई उच्च न्यायायल ने गुरुवार को एक कड़ा कदम उठाते हुये एक अखबार के प्रबंध संपादक को हथकड़ी लगाने पर ना सिर्फ पुलिस वालों को जमकर फटकार लगायी बल्की चार लाख रुपये का नुकसान भरपाई और २५ हजार रुपये याचिका खर्च के रुप में याचिकाकर्ता को देने और पुलिस वालों पर कार्रवाई का आदेश दिया है।</p>

मुंबई उच्च न्यायालय ने नुकसान भरपाई के लिए चार लाख रुपये मुआवजा देने और पुलिस वालों पर कारवाई का आदेश दिया : मुंबई उच्च न्यायायल ने गुरुवार को एक कड़ा कदम उठाते हुये एक अखबार के प्रबंध संपादक को हथकड़ी लगाने पर ना सिर्फ पुलिस वालों को जमकर फटकार लगायी बल्की चार लाख रुपये का नुकसान भरपाई और २५ हजार रुपये याचिका खर्च के रुप में याचिकाकर्ता को देने और पुलिस वालों पर कार्रवाई का आदेश दिया है।

हफ्ता के लिये धमकाने के इस मामले में समाचार पत्र के प्रबंध संपादक को गिरफ्तार कर उसको हथकड़ी पहनाकर सरेराह ले जाना दमन-दीव पुलिस को महंगा पड़ गया है। पुलिस की इस हरकत पर माननीय सर्वोच्च न्यायालय के आदेश को संज्ञान में लेते हुये तथा इस कुकृत्य को आरोपी के मूलभूत अधिकारों का हनन मानते हुये मुंबई उच्च न्यायालय ने गुरुवार को प्रबंध संपादक को हुये चार लाख रुपये के नुकसान भरपाई करने तथा पुलिस पर कार्रवाई का आदेश दिया है।

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मुंबई उच्च न्यायालय के न्यायमूर्ति अभय ओक और न्यायमूर्ति अमजद सय्यद की खंडपीठ ने याचिकाकर्ता प्रबंध संपादक को हुये नुकसान की भरपाई को बढ़ाने की मांग पर दिवानी न्यायालय में दावा करने का निर्देश दिया। साथ ही याचिका के लिये खर्च स्वरुप अतिरिक्त २५ हजार रुपये देने का आदेश भी दिया। याचिकाकर्ता प्रबंध संपादक ने आरोप लगाया था कि माननीय सुप्रीमकोर्ट के आदेश की अहवेलना करते हुये पुलिस ने ना सिर्फ उसे हथकड़ी लगाया बल्कि सरेराह सड़क पर घुमाया भी। इस प्रबंध संपादक ने आरोप लगाया कि वह जिस समाचार पत्र में काम करता है वह दमन-दीव और गुजरात में सबसे ज्यादा प्रसार वाला अखबार है। वर्ष २००९ में प्रशासन की अवैध कारवाई के बारे में खबर लिखने से नाराज होकर उनके खिलाफ जानबूझ कर ये मामला दर्ज किया गया था। मुंबई उच्च न्यायालय के इस कदम की पत्रकारिता जगत में काफी तारीफ की जा रही है।

शशिकांत सिंह
पत्रकार और आरटीआई एक्टीविस्ट
मुंबई
९३२२४११३३५

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