यूपी में सरकार चाहें जिसकी हो, अफसरों का कॉकस हमेशा सुख में रहता है. कोई आईएएस या आईपीएस अफसर कितना भी गड़बड़ कर ले, उसका बाल बांका नहीं होता. वजह ये कि ये अधिकारी इतने पावरफुल और कनेक्शन वाले होते हैं कि सब कुछ सेट कर मामला दबा लेने में कामयाब हो जाते हैं.
ताजा मामला आईएएस रमा रमण का है. ये ग्रेटर नोएडा विकास प्राधिकरण के सीईओ (मुख्य कार्यपालक अधिकारी) रह चुके हैं. उस दौरान इन्होंने बहुत सारे गुल खिलाए. बहुतों को ओबलाइज किया. इनके खिलाफ नोएडा के कासना थाना में कई धाराओं में मुकदमा दर्ज है. भ्रष्टाचार की भी धाराएं हैं. चूंकि ये आईएएस अधिकारी हैं इसलिए पुलिस इनसे सीधे नहीं पूछताछ कर सकती. इसके लिए पुलिस को शासन से अनुमति लेनी पड़ती है.
नोएडा पुलिस की तरफ से लगातार पत्र भेजे जा रहे हैं कि पुलिस को आईएएस रमारमण से पूछताछ की अनुमति दी जाए लेकिन शासन में बैठ अफसरान हर रिमाइंडर पर कुंडली मार बैठ जाते हैं. मामला शांत हो जाता है.
नोएडा पुलिस की तरफ से एक बार फिर से लखनऊ में बैठे नियुक्ति विभाग के अफसरों को पत्र भेजकर आईएएस रमारमण से पूछताछ के लिए अनुमति मांगी गई है.
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इस प्रकरण के बारे में रमारमण के करीबी लोगों का कहना है कि इन आरोपों को लेकर ग्रेटर नोएडा प्राधिकरण द्वारा जांच की जा चुकी है. इस जांच में रमारमण की संलिप्तता नहीं पायी गई है. पुलिस जांच में पूछताछ प्रक्रिया का अंग है. अंत: शासन से अनुमति माँगी गई है.
भड़ास एडिटर यशवंत सिंह की रिपोर्ट.
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