दोस्तों , साथियों और मेरे बुज़ुर्गों
हज़रतगंज लखनऊ के बीचोंबीच बने 175 साल पुराने सिब्तैनाबाद इमामबाड़े के मुतवल्ली के रूप में 14 सालों की बेलौस खिदमत के बाद आज ये इमामबाड़ा और इसका बाहरी गेट पूरी तरह से restore हो कर वापस अपने original form में पहुँच चुका है।
एक वकील और क़ौम के एक नुमाइंदे के रूप में मेरी खिदमत , जो इस क़दीमी धरोहर को अपने पुराने form में लौटाने की थी, अब पूरी हो चुकी है। मैं शुक्रगुज़ार हूं उन सबका जिन्होंने मुझको इस खिदमत का मौक़ा फराहम किया।
हमारी कोशिशों और आप सबकी दुआओं से आसारे क़दीमा (ASI) ने इस इमामबाड़े में लगभग ३ करोड़ रुपये की लागत लगा कर इसको पुराने फॉर्म में लौटाया है जिसके लिए हम उनके शुक्रगुज़ार हैं।
अब वक़्त आ गया है कि हम इमामबाड़े को वक़्फ़ बोर्ड को सौंप कर इस इमामबाड़े से घरोहरों को बचने और संजोने के जो सबक़ सीखे हैं, उसका इस्तेमाल कर और ऐसी तमाम घरोहरें जो encroached हैं या ख़त्म होने की कगार पर हैं, को बचा सकें।
आज इमामबाड़े के पास अपना पैनकार्ड अपने बिजली के कनेक्शन (इमामबाड़े और मस्जिद के अलग अलग) , बैंक अकॉउंट (जिसमें 5.22 लाख रुपये जमा हैं ) हैं , और पिछले साल तक के ऑडिट किये हुए अकॉउंट वक़्फ़ बोर्ड में दिए जा चुके हैं, इमामबाड़े में बुज़ुर्गों और खवातीनों के लिए आसारे क़दीमा से रैंप बनवाने का अप्रूवल हो चूका है और इंशा अल्लाह जल्द ही बन कर तैयार होगा।
अमीरुल मोमिनीन हज़रत अली अलैहिस्सलाम की विलादत के इस अज़ीम मौके पर मैं मोहम्मद हैदर रिज़वी अपनी तमाम कमिटी के साथ इमामबाड़ा सिब्तैनाबाद की मुतवल्लीशिप इस्तीफा देता हूँ और आप सबको यक़ीन दिलाता हूँ कि इस इमामबाड़े की बक़ा और इसके बचे हुए कामों को कराने के लिए मैं हमेशा मौजूद रहूंगा।
मेरा अपनी क़ौम के लिए ये ख़ास मेसेज है कि किसी भी वक़्फ़, किसी भी इमामबाड़े की खिदमत करने के लिए मुतवल्ली या कमिटी मेंबर होना लाज़मी नहीं है , और अपनी धरोहरों को बचाना हर इंसान का फ़र्ज़ है।
वस्सलाम , और दुआगो ,
फ़क़त,
मोहम्मद हैदर
ईमेल : [email protected]
ट्विटर : @myvakil