अपनी महिला एंकर को दूसरे न्यूज चैनल में “ऑन एयर” होने से रोकने की खातिर हाईकोर्ट गया था ‘इ्ंडिया टीवी’…

इंडिया टीवी अपने कर्मचारियों के प्रति कितना क्रूर है, इसका उदाहरण दिल्ली हाईकोर्ट में उसकी करारी हार में मिला। 14 साल से काम कर रही अपनी एंकर को ऑन एयर होने से रोकने के लिए इंडिया टीवी दिल्ली हाईकोर्ट पहुंच गया। एंकर सुचरिता कुकरेती को न सिर्फ किसी दूसरे चैनल में ऑन एयर होने से रोकने की मांग की बल्कि उनसे 2 करोड़ दस हजार रुपए का भारी भरकम हर्जाना भी मांगा। पर दिल्ली हाईकोर्ट ने इसे मानवीय स्वतंत्रता में हस्तक्षेप करार देते हुए इंडिया टीवी को फटकार लगाई और उसकी मांग खारिज कर दी।
हमारे पास दिल्ली हाईकोर्ट के उस आर्डर की कॉपी भी मौजूद है जो इंडिया टीवी के भीतर दिनो दिन खराब होते हालातों और बंधुआ मजदूरी जैसी स्थिति का जीता जागता प्रमाण है।
सुचरिता कुकरेती इंडिया टीवी में पिछले 14 सालों से लगातार काम कर रहीं थीं। वे यहां की प्राइम टाइम एंकर थीं। इंडिया टीवी के भीतर की परेशान करने वाली स्थतियों के मद्देनजर उन्होंने नई शुरूआत करने का फैसला लिया। उन्होंने रिपब्लिक टीवी के नए हिंदी चैनल रिपब्लिक भारत को ज्वाइन कर लिया। इंडिया टीवी इससे बुरी तरह भड़क गया। उसने दिल्ली हाईकोर्ट में “इंजंक्शन” का मुकदमा कर दिया और उनको दूसरे चैनल में ऑन एयर होने से रोकने के साथ ही 2 करोड़ से ऊपर की भारी भरकम रकम बतौर हर्जाना मांग ली। इंडिया टीवी का तर्क था कि वो अपने एंकर्स को ब्रांड बनाता है। इसमें उसके करोड़ों खर्च होते हैं। उसे इसी खर्च का हर्जाना चाहिए।
देश और दुनिया के तमाम चैनलों में एंकर नौकरियां बदलते हैं। कहीं भी ये “ब्रांड वाला हर्जाना” नही मांगा जाता है। सीएनएन, बीबीसी, सीबीएस, एनबीसी जैसे अंतराष्ट्रीय ब्रांडों के साथ ही आजतक, एबीपी जैसे प्रतिष्ठित राष्ट्रीय न्यूज चैनलों तक में भी कभी किसी एंकर से उसे ब्रांड बनाने के नाम पर हर्जाना नही मांगा जाता है। मगर इंडिया टीवी का ये अनोखा कानून है जहां एंकर से उनको ब्रांड बनाने का हर्जाना मांगा जाता है। ये अलग बात है कि इंडिया टीवी में केवल एक ही ब्रांड का सुबह से लेकर शाम तक विज्ञापन होता रहता है और वो हैं रजत शर्मा। आप आजतक की ओर से अंजना ओम कश्यप, श्वेता सिंह, रोहित सरदाना जैसे चेहरों के पोस्टर देश भर में लगे हुए देख सकते हैं।
एबीपी न्यूज अपनी चुनावी कवरेज की गाड़ियों पर कभी दीपक चौरसिया तो कभी पुण्य प्रसून वाजपेयी की तस्वीरें लगाता है। न्यूज 18 इंडिया सुमित अवस्थी से लेकर अमीश देवगन और प्रतीक त्रिवेदी जैसे चेहरों का प्रचार करता है, मगर इंडिया टीवी में ए से लेकर जेड तक सिर्फ रजत शर्मा हैं। जब भी किसी शहर में इंडिया टीवी के चुनावी कान्क्लेव या फिर कोई अन्य कार्यक्रम होते हैं, उस शहर को रजत शर्मा के आदमकद पोस्टरों से पाट दिया जाता है। क्या गजब कि उनके अलावा किसी व्यक्ति की तस्वीर भी नजर आ जाए। इसके बावजूद इंडिया टीवी अपने एंकर्स से नौकरी छोड़ने पर “ब्रांड बिल्डिंग” के खर्चों के नाम पर करोड़ों रुपए का हर्जाना मांगता है।
सुचरिता कुकरेती की बड़ी मुसीबत उनका यही कांट्रैक्ट था। इंडिया टीवी में एंकर्स के लिए एक अनोखा कांट्रैक्ट है। इस कांट्रैक्ट की शर्तें मध्यकाल की बंधुआ मजदूरी प्रथा सरीखी हैं। दिल्ली हाईकोर्ट के आर्डर में भी इस कांट्रैक्ट का जिक्र है। इस कांट्रैक्ट के मुताबिक एंप्लायर यानि नौकरी देने वाले को कभी भी कांट्रैक्ट खत्म करने का अधिकार है। मगर एंप्लायी यानि नौकरी करने वाला किसी भी सूरत में (मेडिकल कारणों को छोड़कर) कांट्रैक्ट नही तोड़ सकता। अगर उसने कांट्रैक्ट तोड़ा तो उसे ब्रांड़ बिल्डिंग के नाम पर करोड़ों का हर्जाना देना पड़ेगा। उसे कांट्रैक्ट की शेष अवधि तक किसी भी चैनल में काम करने का अधिकार भी नही होगा। यानि उसे घर बैठना होगा। ये कांट्रैक्ट तीन सालों का होता है।
एक बार किसी एंकर ने ये कांट्रैक्ट साइन किया नही कि ये उसके गले की फांस बन जाता है। एक तो कांट्रैक्ट की अवधि खत्म होने तक मार्केट में नौकरियां उसका इंतजार नही करती्ं कि जिस वक्त उसके कांट्रैक्ट का टर्म खत्म हो रहा हो, उसी वक्त अगली नौकरी उसका इंतजार कर रही हो। दूसरा कांट्रैक्ट की अवधि खत्म होने से एक महीना पहले से ही इंडिया टीवी मैनेजमेंट इसे रिन्यू करने के लिए दबाव बनाना शुरू कर देता है।
मजबूरी में एंकर कांट्रैक्ट की अवधि खत्म होते ही उसे फिर से रिन्यू कर लेता है और ये सिलसिला जारी रहता है। इंडिया टीवी में एंकर्स का डिपार्टमेंट एक एमएन प्रसाद नाम के गैर एडिटोरियल व्यक्ति के हाथ मे है जिसकी उल्टी सीधी हरकतों से इंडिया टीवी के एंकर्स बुरी तरह त्रस्त रहते हैं। इससे पहले इंडिया टीवी की एंकर तनु शर्मा ने इसी प्रसाद और वहां की एक मैनेजिंग एडिटर अनीता शर्मा की हरकतों से तंग आकर चैनल के गेट के सामने अपनी जान तक देने की कोशिश की थी। उस केस में ये दोनो ही आरोपी हैं। इनके खिलाफ नामजद एफआईआर दर्ज है। अनीता शर्मा इस समय इंडिया टीवी में मैनेजिंग एडिटर हो चुकी हैं। मगर इनके “एडिटोरियल सेंस” के किस्से इंडिया टीवी में काम करने वाले लोग चटखारे लेकर बयां करते हैं।
इन्हीं हालातों में सुचरिता कुकरेती ने रिपब्लिक भारत चैनल को ज्वाइन करने का फैसला लिया। उनके इंडिया टीवी छोड़ने की खबर मिलते ही इंडिया टीवी का मैनेजमेंट दिल्ली हाईकोर्ट पहुंच गया। दिल्ली हाईकोर्ट का आर्डर बताता है कि सुचरिता कुकरेती का कांट्रैक्ट 30 नवंबर 2019 को खत्म हो रहा है। इंडिया टीवी इस स्तर पर उतर आया कि उसने कोर्ट के सामने ये पेशकश भी कर दी कि वो सुचरिता कुकरेती को 30 नवंबर 2019 तक सैलरी देने को तैयार है, मगर वे पर्दे के पीछे काम करें। वो किसी भी सूरत में उन्हें किसी भी चैनल के पर्दे यानि स्क्रीन पर हाजिर नही होने देगा।
ऐसे में दिल्ली हाईकोर्ट का ये आर्डर ऐतिहासिक है। ये आर्डर 21 वीं सदी में लोकतंत्र के चौथे खंबे के भीतर के भयावह अंधेरे पर किसी “स्पाट लाइट” की तरह है। दिल्ली हाईकोर्ट के जज जस्टिस राजीव सहाय एंडला ने अपने आर्डर में सुचरिता कुकरेती को बड़ी राहत देते हुए इंडिया टीवी को संविधान की भाषा भी समझा दी।
जस्टिस एंडला के आदेश के मुताबिक–
मेरी नजर में इस मामले में रोक लगाने (इंजंक्शन देने) का कोई आधार नही बनता है। इंजक्शन देने का मतलब उस एंकर को अपनी विशेषज्ञता का वो काम करने से रोकना होगा जिसे वो पिछले 14 सालों से करती आ रही है। इ्ंडिया टीवी ने उस पर 30 नवंबर 2019 तक ऑन एयर होने से रोक लगाने की मांग की है। ऐसा कोई भी आदेश पिछले 14 सालों में उस एंकर द्वारा अर्जित प्रतिष्ठा पर चोट करने जैसा होगा। उसे खत्म करने जैसा होगा।
एंकर की विशेषज्ञता स्क्रीन के सामने प्रजेंटेशन की रही है। उसे स्क्रीन के पीछे रहकर काम करने पर मजबूर करना उसकी क्षमता, प्रशिक्षण और बुद्धिमत्ता के खिलाफ होगा।
10 से 11 महीने तक किसी एंकर को बिठाकर रखना उसे तबाह करने जैसा होगा। उसके मानसिक और शारीरिक स्वास्थ्य व भविष्य की संभावनाओं पर इसका स्थायी नुकसान (परमानेंट डैमेज) हो सकता है। एक न्यूज प्रजेंटर के संदर्भ में ये आउट ऑफ साइट, आउट ऑफ माइ्ंड जैसे खतरे की तरह होगा।
हाईकोर्ट के इस आदेश में इंडिया टीवी के एंकर्स को ब्रांड बनाने में हुए भारी खर्च वाले तर्क की भी हवा निकाल दी गई। हाईकोर्ट ने इस आदेश में लिखा है कि अगर एंकर कांट्रैक्ट की अवधि पूरी होने के बाद किसी दूसरे चैनल में चली जाती है, तब वो क्या करेगा? फिर तो वह उसे रोक भी नही सकता? फिर उसके एंकर को ब्रांड बनाने के खर्च का क्या होगा? फर्क सिर्फ इतना है कि एंकर 11 महीने पहले चैनल को छोड़़कर जा रही है। अगर 11 महीने बाद यानि कांट्रैक्ट की अवधि पूरा होने पर वो चैनल छोड़ेगी तो इंडिया टीवी उसे रोक भी नही सकेगा। फिर इस ब्रांड बनाने में हुए खर्चे वाले तर्क का क्या होगा?
दिल्ली हाईकोर्ट ने इस आदेश में संविधान के अनुच्छेद 21 का भी जिक्र किया है जो जीवन की रक्षा और व्यक्तिगत स्वतंत्रता का अधिकार देता है, जिसमें मनपसंद व्यवसाय की स्वतंत्रता भी शामिल है। ऐसे में किसी भी तरह का इंजंक्शन (ऑन एयर होने से रोकना) देना संविधान के अनुच्छेद 21 के खिलाफ होगा।
हाईकोर्ट ने संविधान के अनुच्छेद 51 ए का भी हवाला दिया जो व्यक्तिगत और सामूहिक कार्यों में एक्सलेंस अर्जित करने को प्रत्येक नागरिक का कर्तव्य बताता है ताकि राष्ट्र प्रयासों और उपलब्धियों की ऊंचाइयां छू सके। ऐसे में उस एंकर को उसकी च्वाइस के क्षेत्र में एक्सलेंस हासिल करने के अवसरों से नही रोका जा सकता। हाईकोर्ट ने इस सिलसिले में सुप्रीम कोर्ट के प्रासंगिक फैसलों का जिक्र भी किया।
आदेश के मुताबिक एंकर पिछले 14 सालों से न्यूज के माध्यम से सूचनाओं का प्रसार करती आई है जो एक लोक महत्व का विषय है। चैनल उसे सूचनाओं के प्रसार के जरिए अर्जित इस योग्यता और क्षमता से वंचित नही कर सकता। इन स्थितियों को देखते हुए इंजक्शन यानि कि एंकर को दूसरे चैनल में स्क्रीन पर आने से रोकने की याजिका खारिज की जाती है। इस मामले की अगली तारीख 11 जुलाई होगी।
अहम बात यह भी है कि इस आर्डर में “अनुराग मुस्कान बनाम इंडिया टीवी” के केस का भी जिक्र किया गया। वर्तमान में एबीपी न्यूज के एंकर अनुराग मुस्कान के साथ ही इंडिया टीवी ने यही किया था। वे भी कभी इंडिया टीवी में थे। इंडियी टीवी ने उन पर भी चैनल छोड़ने पर मकुदमा कर दिया था। अनुराग मुस्कान को भी उस मुकदमे के जरिए काफी परेशान किया गया था।
मगर इस बार के मुकदमे ने इंडिया टीवी को उसकी जमीन दिखा दी और वहां काम कर रहे व इस बंधुआ कांट्रैक्ट के चक्रव्यूह में फंसे एंकरों के सामने उम्मीद की नई रोशनी पैदा कर दी। अब वे कभी भी बेहतर अवसर के सामने आते ही नई मंजिल की ओर निकल सकते हैं। प्रसाद और अनीता शर्मा की बेडियों से आजाद हो सकते हैं। पीयूष पदमाकर सरीखे बेहद औसत दर्जे के मैनेजिंग एडिटर के मूखर्तापूर्ण फरमानो से मुक्ति पा सकते हैं। उन सभी की जानकारी के लिए दिल्ली हाईकोर्ट का ये ऐतिहासिक आर्डर यहां अपलोड किया जा रहा है।










Comments on “‘इंडिया टीवी’ के रोके न रुकी ये एंकर, कोर्ट में रजत शर्मा को शिकस्त दे ‘रिपब्लिक टीवी’ ज्वाइन किया”
ये बहुत ही अच्छी खबर उन लोगों के लिए जो केश करने से. डरते थे ये संस्थान भी ऐसे ही लोगों को डरा के गुलाम बनाता है । हालांकि मालिक नहीं चाहता होगा क्योंकि वह भी जी न्यूज मे एंकर था वह कितने पैसे देकर आया । मगर आजकल वह कुछ गलत लोगों के चुंगल फसा हुआ वह समझ नहीं पा
रहा। और समझे भी क्यों जो लोग पैसे को ही कानून मनते उनके लिए भी यह एक सबक है।
मैं दिल्ली हाईकोर्ट के आर्दणीय जज साहब को बहुत बहुत धन्यवाद देती हूँ।उन्होंने रजत शर्मा को आईना दिखाया । यह पैसे की आड मैं आन्धा होकर कर्मचारियों का सोसण करता है।ऐसे लोगों के लिए कनून है। किस तरह इंडिया टीवी हृरासमेंट किया जाता है । परंतु यह आज दिल्ली हाईकोर्ट ने बता दिया कानून भी कुछ है।
जिस तरह से ये कह रहे हैं की हम घर बैठे सैलरी देंगे ईनसे ये पुछो कितने लोगों को निकालने के बाद सैलरी दी है ईन्होने एक कैमरामैन कि सैलरी आज तक नहीं दी उसकी सैलरी रोकी हुई है। ईन्होने बशर्मी की सरी हदें पार कर रखी हैं। ये कानून को कानून मानते ही नहीं हैं। रजत शर्मा की तो CBIऔर ED के द्वारा जाँच होनी चाहिए मैं जज साब प्रर्थना करती हूं। ईसके पास लाखों करडों कहाँ से आया सब पता चल जाये। टीवी पर तो ऐसे बैठ जाता है जैसे देश में ईससे बडा कोई ईमानदार अच्छा आदमी कोई नहीं है। दलाल कही का। सुचारिता आगे बढो ईस दलाल डरने की जरूरत नहीं है।कनून देश मैं है ना।
sabse paehle to suchrita ko badhai. Doosre India tv jo ki pura ka pura sarkari channel ban chuka hai. Is liye maine aise media walo ke prime time programme dekhne to band kar diye hain kyonki yeh log jo chahte hai logo ko usi aaine se desh dikhate hain. Din bhar modi ji ne kya kiya kya kaha aur doosri parti ki dhajjiya udate hain.. Akhir kab tak hamare patarkar yun bikte rahenge sarkari haatho me. doosra naam loongi zee media ka jo aaj kar sudhir kar rahe hai… lagta hai ki BJP ke pure rang me rang chuke hai yeh channel.. Lekin ek baat hai uSs bheed me RAVISH KUMAR jaise Bhi patarkar hain jinhe koi khareed nahi paaya..aur ant me bhadas ke Yahwant ji.. badhai ki aap bhedo ke uss bheed me nahi hain…