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सुख-दुख

इंडिया टुडे वालों, मानसिक रोगियों का देश नहीं है भारत!

विश्व में मानसिक रोगियों का देश भारत नहीं है! इंडिया टुडे ने तथ्यों को गलत तरीके से पेश किया है! असलियत और सबूत यहाँ हैं! World Health Organization (WHO) की रिपोर्ट का ‘इंडिया टुडे’ द्वारा नितांत मूर्खतापूर्ण विश्लेषण किया गया है। इस रिपोर्ट का लिंक नीचे है और स्क्रीन शॉट्स भी दिए गए हैं। आंकड़ों के मुताबिक भारत में हैं महज 6.5 प्रतिशत मानसिक और अवसादग्रस्त लोग। चीन में 91.80 प्रतिशत। अमरीका में 20 प्रतिशत। बाकी देशों में भी भारत से ज़्यादा मानसिक रोगी। पाकिस्तान बुरी हालत में मगर कह दिया भारत की हालत है सबसे बुरी!

इस आलेख में चौकानेवाली बात यह है कि WHO के हवाले से कहा गया है कि 2014 तक एक लाख में एक इंसान ही मानसिक रोगी हुआ करता था! इसका क्या मतलब? क्या WHO ने कोई विशेष गणना करानी शुरू की है 2014 के बाद से?

इस रिपोर्ट में पाकिस्तान के प्रति नंगी रहमदिली दिखाते हुए कहा गया है कि वहां की जानकारी ही विश्व स्वाथ्य संगठन को नहीं हो पायी इसलिए कहा नहीं जा सकता कि पाकिस्तान में कितने लोग मानसिक रूप से रोगी हैं? अबे मूर्खों फिर भारत किस नजरिये से विश्व में मानसिक रोगों के मामले में सिरमौर हो गया? चीन और पाकिस्तान से भारत को बदनाम करने की सुपारी ले ली क्या?

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बता दिया भारत को अवसादग्रस्त देशों का सिरमौर! पागल हो गए हो क्या बे? असली रिपोर्ट का लिंक नीचे दिया है जिसे पूरे देश के मीडिया मतिहीनों ने जस का तस छापा है।

उसी लेख के स्क्रीन शॉट्स नीचे हैं जो बताते हैं कि चीन में लोग अवसाद और मानसिक बीमारियों का इलाज तक नहीं कराते। अमरीका में पांच में से एक इंसान मानसिक रोग ग्रस्त है लेकिन उनमें से पिछले साल तक केवल 41% का ही इलाज हो सका। ब्राजील की हालत Latin अमरीकी देशों में सबसे बुरी है । इंडोनेशिया में महज 3.7 प्रतिशत लोगों को मानसिक बीमारियाँ हैं। वहां करीब 90 लाख लोग मानसिक रोगों से त्रस्त हैं। रूस में 5.5% लोग मानसिक रूप से अस्वस्थ हैं। लेकिन वहां युवाओं की आत्महत्या की दर पूरे के औसत से तीन गुना अधिक है। Narendra Modi जी आपके नए भारत को बदनाम किया जा रहा है! इस कुप्रचार का मुकाबला होना चाहिए था!!

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लेखक डॉ. अशोक कुमार शर्मा सरकारी अफसर रहे हैं. वे पत्रकार, लेखक, विचारक, स्ट्रेटजिस्ट और ट्रेनर हैं. इन्हें दर्जनों पुरस्कारों से सम्मानित किया जा चुका हैं.

3 Comments

3 Comments

  1. SHWETANK RATNAMBER

    June 27, 2019 at 10:28 pm

    I do agree with Ashok Ji.

  2. अभय प्रताप

    June 28, 2019 at 12:12 am

    बहुत सही! वाजिब और उपयुक्त टिप्पणी!

  3. madan kumar tiwary

    June 28, 2019 at 9:37 am

    We all suffer from some types of mental problem, though not lunatic, common problem is depression, we also have a shortage of psychiatrist, psychologist, counsellor. Very few people prefer even counselling, instead of criticising the reports, we should better create the awareness before alarming situation.

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