आदरणीय यशवंत भाई, अमेजोन ब्वॉय ने आज आपकी जानमेन जेल हाथों में रखी तो पता नहीं था दिन इसी के नाम करने वाला हूं। आफिस में पहला पन्ना खोला तो फिर रुका नहीं गया। आपकी जानेमन तो मेरा भी दिल लूटकर ले गई। सबसे पहले तो कुछ बेहतरीन किताबों के नाम सुझाने के लिए धन्यवाद और अफसोस है कि आपको जेल में चीफ साहब अंगुली कर गया। …खैर ये तो मजाक है लेकिन किताब बहुत सीरियस है।
पत्रकारों वाली फितरत आपके रोम-रोम में भरी है। मजा आया पढ़कर। एक नया नजरीया मिला है।
एक पत्रकार के नाते मैं हमेशा सोचता रहा हूं कि जेल के अंदर की दुनिया कैसी होती है? लोग कैसे होते हैं? क्या सोचते हैं? करते क्या हैं? हालांकि एक दो जेल सुपरिटेंडेंट मित्रों से पूछा भी है लेकिन आप तो ये दुनिया जीकर ही आ गए। हां भड़ास आश्रम वाली कल्पना भी कभी साकार कर ही लेना, बड़ी काम आएगी पत्रकारों के लिए।
आपका चट्टान जैसा हौसला काबिलेतारीफ है और आपकी पत्नी को भी दाद देना चाहूंगा जो आप जैसे इंसान को झेल पा रही है। आपकी ही लाइनों से खुद को विराम देना चाहूंगा…यही जीवन है तो यही अपनाना है। भागकर कहां जाना है? स्थितियां बुरी नहीं होती उसे हम अच्छा या बुरा महसूस करते हैं।
…एक बात और… खात्मे की शुरुआत हो चुकी है…
धर्मेंद्र
पत्रकार
अगर आप भी ‘जानेमन जेल’ पढ़ने को इच्छुक हैं तो घर बैठे मंगाने के लिए आप अपना मोबाइल फोन उठाइए और मैसेज टाइप करिए. सबसे पहले book name ‘Jaaneman Jail’ लिखिए. उसके बाद अपना खुद का नाम, पूरा पता पिन कोड सहित और आखिर में अपना मोबाइल नंबर लिखें. इस मैसेज को 09873734046 पर SMS कर दें. किताब कुछ ही दिनों में आपके हाथ में होगी. मूल्य सौ रुपये से कम है और छूट के साथ उपलब्ध है.
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