दैनिक जागरण में छपी इस खबर पर एक नजर डालिए. गलत ढंग से रेलवे का ठेका हथियाने के लिए एक ठेकेदार ने रेलवे के अफसर को 2.70 लाख रुपये घूस के तौर पर दिया. ये अलग बात है कि जिसे दिया वो रेल अफसर नहीं, कोई ठग था. ऐसे में ये एक खबर तो बनती है, इसमें कोई दो राय नहीं. लेकिन क्या इस ठेकेदार का इतना महिमामंडन होना चाहिए, जितना अखबार ने किया है.
इसकी तस्वीर के साथ खबर का ये प्लेसमेंट बनता है क्या? ऐसा लग रहा कि ठेकेदार बहुत ही बेचारा है. उसके साथ अन्याय हो गया. अरे भाई ठग से पहले तो इसे ही गिरफ्तार होना चाहिए, ये भी तो सरकारी सिस्टम में पैसे के बल पर सेंध ही लगा रहा था. खबर पढ़ने के लिए नीचे क्लिक करें :