Connect with us

Hi, what are you looking for?

प्रिंट

रवीश कुमार ने ‘भक्त’ अखबार दैनिक जागरण को दिखाया आइना

यह जागरण की खबर है या रायटर की, दैनिक जागरण की इस ख़बर पर पाठकों के बीच जन-जागरण हो

अखबार में रायटर के हवाले से
वही खबर बिजनेस डेस्क की

2014 में रुपये की क्या धमक थी। डॉलर को धमकियाँ मिल रही थीं। साधु संत तक ट्विट करने लगे थे कि मोदी प्रधानमंत्री बनेंगे तो एक डॉलर चालीस रुपये का हो जाएगा। एंटायर पोलिटिकल साइंस वाले नरेंद्र मोदी तक रुपये को मुद्दा बनाने लगे। मगर क्या ऐसा हुआ? एक डॉलर चालीस रुपये की जगह अस्सी का होने लगा।

2019 में कहानी बदल गई है। भ्रम फैलाने के लिए नया तर्क गढ़ा जा रहा है कि नरेंद्र मोदी प्रधानमंत्री नहीं बनेंगे तो रुपया डॉलर के मुक़ाबले 75 से नीचे नहीं आ सकेगा। इसे पढ़कर हँसी आनी चाहिए। मोदी के राज में ही तो एक डॉलर 75 ₹ का हुआ है। वो अपने राज में तो कम नहीं कर सके। ख़बरें ऐसे चमकाई जा रही हैं जैसे मनमोहन सिंह प्रधानमंत्री हों और मोदी के बनते ही सब ठीक होने वाला है।

जागरण की इस ख़बर को ध्यान से पढ़ें। थोड़ा ख़ुद भी सर्च करें। जिस महान विशेषज्ञ के हवाले से ख़बर लिखी गई है( लिखवाई गई है?) उसका नाम तक नहीं दिया गया। ये कौन विशेषज्ञ हैं? क्या शुरू में ही नाम नहीं देना चाहिए था?

Advertisement. Scroll to continue reading.

अक्सर ऐसे फ़र्ज़ी विशेषज्ञ और रिपोर्ट के नाम पर ऐसा भ्रामक प्रचार किया जाता है जो कभी सही साबित नहीं होता। कितनी रिपोर्ट छपी होगी कि जीडीपी 8 प्रतिशत होने वाली है। हुई? अभी कितनी है ?

कहीं इन बातों की आड़ में भ्रम फैला कर माहौल तो नहीं बना रहे हैं? इनका कहना है कि मोदी दोबारा नहीं चुने गए तो इंडोनेशिया की मुद्रा भारत के रुपये से आगे निकल जाएगी। ये नहीं बताया कि भारत का रुपया किन मुद्राओं से पीछे है? क्यों इंडोनेशिया के रुपये से ही अचानक तुलना करने लगे हैं? डॉलर छोड़ अब हमें इंडोनेशिया के रुपये से होड़ करनी है क्या?

Advertisement. Scroll to continue reading.

जागरण के इस ख़बर की हेडिंग कुछ और है। भीतर कुछ और है। हेडिंग में है कि मोदी फिर प्रधानमंत्री नहीं बने तो 75 से नीचे गिरेगा रुपया। ये तो अच्छी बात है कि रुपया 75 से नीचे गिरे। क्या अब रुपये को कमज़ोर बनाए रखने के लिए मोदी को चुनना है?

अखबार से ग़लती हुई है या जानबूझ कर पाठकों को मूर्ख बनाया गया है। एक डॉलर 75 रुपये का हुआ तो इसका मतलब है कि रुपया कमज़ोर है। अब अख़बार कमज़ोर को ही मज़बूत बता रहा है। तो फिर लिख ही देता कि एक डॉलर के सामने रुपये को 100 तक पहुँचाने के लिए मोदी को प्रधानमंत्री बनाएँ। अख़िर 100 तो 75 से बड़ा हुआ न !

Advertisement. Scroll to continue reading.

ख़बर के बीच में सही लिखा है कि मोदी प्रधानमंत्री नहीं बने तो एक डॉलर 75 के पार निकल जाएगा। यह सही है। अब लड़ाई 75 को बरक़रार रखने की है। वैसे 75 का भाव भी बताता है कि नरेंद्र मोदी के राज में डॉलर के सामने रूपया कमज़ोर ही रहा।

अब आम पाठक कहाँ से इतना पता लगाएगा। बस सोचना चाहिए कि मोदी को प्रधानमंत्री बनाने के लिए हमेशा झूठ और भ्रम का सहारा लिया जाता है? क्या यह पाठकों और मतदाताओं के विवेक का अपमान नहीं हैं ?

Advertisement. Scroll to continue reading.

अर्थ जगत पर लिखने वाले नीलकंठ मिश्र का ट्वीट की तस्वीर लगा रहा हूँ। मिश्रा लिखते हैं कि जनवरी में भारतीय रुपया दुनिया की सबसे कमज़ोर मुद्राओं में था। और ये मूर्ख विशेषज्ञ प्रोपेगैंडा फैलाने के लिए इंडोनेशिया के रुपये के आगे निकल जाने का भ्रम फैला रहा है।

हिन्दी अख़बारों से सावधान रहें। इस पर विचार करें कि या तो हिन्दी के अखबार बंद कर दें या हर महीने अख़बार बदल दें। आख़िर झूठ पढ़ने के लिए आप क्यों पैसा देना चाहते हैं? किसी दिन हॉकर के आने से पहले उठ जाइये और मना कर दीजिए। एक दिन जाग जाइये बाकी दिनों के लिए अंधेरे से बच जाएँगे। हिन्दी के अख़बार हिन्दी के पाठकों की हत्या कर रहे हैं। सावधान!

Advertisement. Scroll to continue reading.

मशहूर पत्रकार रवीश कुमार की पोस्ट, उनकी फेसबुक दीवार से।

https://www.facebook.com/bhadasmedia/videos/1988903951206472/
Advertisement. Scroll to continue reading.
Click to comment

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Advertisement

भड़ास को मेल करें : [email protected]

भड़ास के वाट्सअप ग्रुप से जुड़ें- Bhadasi_Group

Advertisement

Latest 100 भड़ास

व्हाट्सअप पर भड़ास चैनल से जुड़ें : Bhadas_Channel

वाट्सअप के भड़ासी ग्रुप के सदस्य बनें- Bhadasi_Group

भड़ास की ताकत बनें, ऐसे करें भला- Donate

Advertisement