वीवीआईपी कहे जाने वाले अमेठी जिले में तहसील की सरकारी जमीन पर कब्ज़ा किये जाने का एक मामला प्रकाश में आया है. कब्ज़ा कोई और नहीं कर रहा बल्कि सरकार के एक कैबिनेट मंत्री के बेटे द्वारा किया जा रहा है. एक ओर जहाँ सूबे की सपा सरकार सूबे में नई नई योजनाये लाकर उत्तर प्रदेश को उत्तम प्रदेश बनाने की कोशिश में जुटी है वहीं मुख्यमंत्री के करीबी माने जाने वाले एक कैबिनेट मंत्री ही खुद सरकार की इज्जत में बट्टा लगा रहे हैं. कैबिनेट मंत्री गायत्री प्रसाद प्रजापति के बेटे पर बैनामे के कागजात में हेराफेरी करने व स्टाम्प चोरी करने के साथ ही तहसील की खाली पड़ी जमीन पर जबरन कब्ज़ा कर निर्माण करने का आरोप है.
मंत्री के बेटे द्वारा सरकारी जमीन पर जबरन कब्ज़ा कर निर्माण किये जाने से स्थानीय अधिवक्ता संघ आक्रोशित होकर अपने कार्य से विरत है. फिलहाल ये पूरा मामला सरकार के मंत्री के बेटे से जुड़ा है. लिहाजा प्रशासन के आलाधिकारी भी कोई कार्यवाही करने से कतराते नजर आ रहे हैं. लेकिन मामला तहसील की सरकारी जमीन पर कब्ज़ा करने का है लिहाजा अधिवक्ता इस पूरे प्रकरण को लेकर न्यायालय पहुँच गए हैं. यूपी सरकार के कैबिनेट मंत्री गायत्री प्रसाद प्रजापति के बेटे अनिल प्रजापति पर जमीन कब्जाने का ये कोई पहला आरोप नहीं लगा है. इसके पहले अमेठी की एक विधवा महिला की जमीन पर कैबिनेट मंत्री गायत्री प्रजापति द्वारा कब्ज़ा किये जाने का आरोप था, जिसकी गुहार लेकर पीड़ित विधवा महिला अपने परिवार के साथ लखनऊ में धरने पर बैठ गयी थी. मुख्यमंत्री अखिलेश यादव से न्याय की गुहार लगा रही थी.
इसके पहले कई बार गायत्री प्रजापति पर सरकारी जमीन व अन्य जमीनों को कब्जाने का आरोप लग चुका है. पहले का मामला अभी ठंडा भी नहीं हुआ था कि एक और जमीन कब्जाने का मामला सामने आ गया है. बताते चलें कि तकरीबन दो माह पहले अमेठी तहसील के बगल टाउन एरिया में रहने वाले प्रदीप श्रीवास्तव से यूपी के कैबिनेट मंत्री गायत्री प्रजापति के बेटे अनिल प्रजापति ने लाइफ क्योर मेडिकल एंड रिसर्च सेंटर नामक अपनी एक एनजीओ के नाम पर जमीन ख़रीदा है. इस एनजीओ का डायरेक्टर खुद कैबिनेट मंत्री गायत्री प्रजापति का बेटा अनिल प्रजापति है. चार दिन पूर्व अनिल प्रजापति ख़रीदे गए जमीन के बगल में खाली पड़ी अमेठी तहसील की जमीन पर कब्ज़ा करके निर्माण कार्य शुरू करा दिया. इस पर तहसील के अधिवक्ताओं ने इस ऐतराज जताते हुए इसकी शिकायत उपजिलाधिकारी अमेठी आरडी राम से की. लेकिन मामला कैबिनेट मंत्री के बेटे से जुड़ा था, लिहाजा उपजिलाधिकारी आरडी राम ने मामले में तहसीलदार से आख्या मांगकर खुद को किनारे कर लिया.
सत्ता की हनक में जब अधिवकताओं की बात को आलाधिकारियों ने अनसुना कर दिया तो आक्रोशित अधिवक्ता अपने कार्य से विरत होकर इस पूरे प्रकरण को सुल्तानपुर जिला न्यायलय में लेकर पहुँच गए जहाँ से जिला न्यायलय सुल्तानपुर की कोर्ट नंबर 19 ने मंत्री के बेटे अनिल प्रजापति द्वारा कागजातों में किये गए फर्जीवाड़ा को देखते हुए उक्त भूखंड पर निर्माण कार्य को रोकने का आदेश दे दिया. शिकायतकर्ता बार अध्यक्ष अधिकारियों पर सत्ता के दबाव में काम करने का आरोप लगा रहे हैं. दूसरी तरफ जमीन विक्रेता प्रदीप श्रीवास्तव खाली पड़ी तहसील की जमीन को वो अपनी पुश्तैनी जमीन बता रहे है. साथ ही अधिवक्ताओं पर साजिश कर मामले को उलझाने का आरोप लगा रहे हैं.
निखिल श्रीवास्तव की रिपोर्ट. संपर्क: [email protected]