जनसत्ता अपार्टमेंट में रहने वाली एक पत्रकार की बेटी नाबालिग घरेलू नौकरानी को बंधक बनाकर बिल्कुल फिल्मी स्टाइल में धोखा दे रही थी. किसी औरत को उसकी मां बताकर फोन पर बात कराती थी. उसके घर पैसे भेजने की बात कहकर उसे बेवकूफ बनाती रही, पढ़ें… कैसे हर एक रहस्य से धीरे धीरे पर्दा उठ रहा है…
शालिनी श्रीनेत-
जनसत्ता सोसाइटी से रेस्क्यू की गई बच्ची के मामले में मेरा रंग फाउंडेशन के प्रयासों से कुछ और जानकारी हासिल हुई है। दस दिन की जद्दोजहद के बाद 11वें दिन उस लड़की के घर का पता हासिल करने में कामयाब रहे हम। इसमें बहुत से दोस्तों का योगदान रहा। कल 12वें दिन हमारी उस लड़की के भाई से फोन पर बात हुई और लोकल पुलिस भी पहुंच गई बच्ची के घर जलपाइगुड़ी में।
लड़की के भाई ने मेरे पूछने पर बताया कि चार साल से मेरी बहन कहां है, पता नहीं हम सबको। पास में रहने वाली देवी अपने पति राजू के साथ उसको लेकर गयी फिर वापस नहीं ले आई। हम लोगों बहुत खोजा पर हमारी बहन मिली नहीं। हमने जब बताया कि उसे दिव्या नाम की कोई महिला लेकर आई थी तो उसने बताया कि देवी ने ही अपना नाम बदलकर दिव्या कर लिया है। अब वह दिल्ली ही रहती है।
मैंने पूछा पुलिस को बताया था? तो बोला नहीं बस आसपास के इलाके में खोजा था। मम्मी बहुत परेशान हुई…
ये बताओ महीने पैसे आते थे? तो उसने बताया नहीं कभी नही भेजा।
जबकि देवी उर्फ दिव्या ने कई बार बच्ची से ये कहकर फोन से बात कराया कि फोन पर बात करो तुम्हारी मम्मी है। जबकि मम्मी-पापा भाई किसी को उसके बारे में कुछ पता नहीं। अभी तक हमें मालूम था कि यह बच्ची घर वालों की जानकारी में दिल्ली आई है, पर नहीं ये तो अपहरण का मामला निकला।
दस दिन तक लगातार हमारी मेहनत और दोस्तों के साथ ने हमें घर तक पहुंचा ही दिया। अभी बच्ची सुरक्षित है दवा चल रही है। वह एकदम ठीक हो जायेगी तभी उसको घर पहुंचाया जाएगा।
कुछ कानूनी प्रक्रियाएं चल रही हैं, इसलिए विस्तार से नहीं लिख सकती। जल्द ही सहयोग करने वाले दोस्तों और सीनियर्स के नाम और बच्ची के घर की डिटेल लिखूंगी।
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