सूचना एवं प्रसारण मंत्री अरुण जेटली ने लोकसभा में पिछले दिनो बताया कि पिछले तीन सालों में कार्यक्रम संहिता के उल्लंघन के 86 मामलों में सरकार ने कार्रवाई की है। इन मामलों में से 20 मामलों में टीवी चैनलों को ट्रांसमिशन रोकने के लिए कहा गया था। टीवी चैनलों को हिंसा भड़काने या किन्हीं परिस्थितियों में कानून-व्यवस्था की समस्या पैदा कर सकने वाले कार्यक्रमों के प्रसारण पर सामान्य रूप से परामर्श जारी किया गया है। उनका प्रसारण रोका गया। अन्य मामलों में प्रसारण मंत्रालय ने कार्यक्रम, विज्ञापन कोड का अनुपालन सुनिश्चित करने के लिए चैनलों को खास चेतावनी दी।
उन्होंने कहा कि संविधान 19(2) अनुच्छेद के माध्यम से भारत की संप्रभुता और अखंडता, राज्य की सुरक्षा, विदेशी राज्यों के साथ मैत्रीपूर्ण संबंध, सार्वजनिक शांति, शालीनता, नैतिकता आदि मसलों को ध्यान में रखकर बोलने और अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता पर उचित प्रतिबंध लगाने के लिए अनुमति देता है। संविधान की यह भावना केबल टेलिविजन नेटवर्क (विनियमन) अधिनियम, 1995, में दिखाई देती है जो इलेक्ट्रॉनिक मीडिया में अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता को कायम रखते हुए जनता के हित में उचित प्रतिबंध लगाता है।
जेटली ने बताया कि जब भी कोड के किसी भी उल्लंघन पर ध्यान गया है या मंत्रालय के संज्ञान में लाया गया तब कार्रवाई की गई है। कार्यक्रम संहिता की धारा 5 के अनुसार, ‘कोई भी व्यक्ति केबल सेवा के माध्यम से ऐसा कार्यक्रम ट्रांसमिट या री-ट्रांसमिट नहीं कर सकता जो निर्धारित कार्यक्रम संहिता के अनुरूप नहीं है।’ इसलिए कार्यक्रम संहिता वाला नियम केबल टेलिविजन नेटवर्क (विनियमन) अधिनियम, 1994 के माध्यम से सूचित किया गया है। टीवी चैनलों पर कंटेंट ब्रॉडकास्ट के लिए पूर्व-सेंसरशिप का कोई प्रावधान नहीं है पर टीवी चैनलों पर प्रसारित सभी कार्यक्रमों को अधिनियम के तहत निर्धारित कार्यक्रम संहिता और उसके अंतर्गत बनाए गए नियमों का पालन करना आवश्यक है।