Girish Malviya : लोकसभा चुनाव के दौरान खबर आती है कि रिलायंस जियो 2018-19 में 80 हजार लोगों को नौकरी पर रखने वाली है. चुनाव जैसे ही निपट जाते हैं, खबर आती है कि रिलायंस जियो में 5 हजार लोगों की छंटनी कर दी गयी.
Mukesh Aseem : रिलायंस जियो ने 5000 हजार कर्मचारी निकाल दिये हैं – 500-600 स्थाई, शेष अस्थाई। मुनाफा बढ़ाने के लिये उतना ही काम कम श्रमिकों से कराना पूंजीवाद का पुराना तरीका है। प्रतियोगिता में आगे रहने के लिये कम मूल्य पर उत्पाद बेचने हैं तो उसका एक मुख्य तरीका उत्पादकता बढ़ाना या श्रमिकों से अधिक काम कराना है – इसमें काम के घंटे बढ़ाना और काम की सघनता या गति बढ़ाना दोनों तरीके अपनाये जाते हैं। यहाँ भी प्रतियोगिता के लिये मूल्य कम किया गया है, प्रति महीना प्रति उपभोक्ता आय कम हो रही है तो गाज श्रमिकों पर ही गिरनी थी। जियो पर कर्ज भी 67 हजार करोड़ है।
Yusuf Kirmani : पार्टी तो अभी शुरू हुई है… रिलायंस जियो से 5000 कर्मचारी निकाले जा रहे हैं। इनमें 500-600 स्थायी कर्मचारी हैं और बाकी कॉन्ट्रैक्ट कर्मचारी हैं। कर्मचारियों को बताया गया है कि अभी आर्थिक स्थितियाँ अच्छी नहीं हैं इसलिए यह क़दम उठाया गया है… हमें बताया जा रहा है कि मोदी के शपथग्रहण में पाकिस्तान के प्रधानमंत्री इमरान खान को नहीं बुलाकर हमने पाकिस्तान की ऐसी कम तैसी कर दी। हमारी एक और कूटनीतिक कामयाबी…हमें राहुल गांधी के बारे में बताया जा रहा है कि उनसे फ़लाना मिला, फलाने ने यह कहा… हम लोग इन बातों का अचार डालें…
क्या मौजूदा सरकार की इतनी औक़ात है कि वह रिलायंस जियो से पूछ सके कि इतने कर्मचारियों को आप इस तरह कैसे निकाल सकते हैं? क्या सरकार ने अभी तक मुंबई की उस कंपनी को नोटिस दिया कि वह किस आधार पर मराठी, गुजराती और मुसलमानों को नौकरी न देकर एक राज्य विशेष के लोगों को नौकरी देगी. आपको याद होगा किस तरह एयरटेल, वोडाफ़ोन, आइडिया की जमी जमाई मार्केट पर रिलायंस जियो ने (प्रभु कृपा से) क़ब्ज़ा करके उनके हज़ारों कर्मचारियों को बेरोज़गार कर दिया था। उधर बीएसएनएल के निजीकरण की तैयारी जोरशोर से फिर शुरू हो चुकी है।
किंग फ़िशर बंद हुई। जेट एयरवेज़ बंद हुई। निजी क्षेत्र जिस बुरे दौर से गुज़र रहा है, उसका अंदाज़ा टुच्चे भक्तों को नहीं होगा क्योंकि जीत के जश्न में नक्कारखाने के तूती की आवाज़ नहीं सुनाई देती। हालात ये हैं कि जेट एयरवेज़ में सरकारी बैंक एसबीआई भी पैसा लगाने को तैयार नहीं है। एसबीआई और पीएनबी का मोटा पैसा लेकर विजय माल्या, नीरव मोदी और मेहुल चौकसी भाग ही चुके हैं। बहुत मोटी सी बात है- अगर आपकी प्राथमिकता इस देश की बेरोज़गारी, खेती – किसानी को ठीक करना नहीं है और सिर्फ लफ़्फ़ाज़ी करना है तो आपके भक्तों को यह पार्टी मुबारक।…कल आप शपथ लेंगे। कल से लेकर पाँच साल तक आपके हर एक्शन पर हमारे जैसे लोगों की नज़रें होंगी।….करो या मरो वाली स्थिति की टाइम शुरू होता है अब…
विश्लेषक और पत्रकार गिरीश मालवीय, मुकेश असीम और युसूफ किरमानी की फेसबुक वॉल से.