मुंबई : प्रख्यात कवि पत्रकार, साहित्यकार आलोक भट्टाचार्य का शनिवार रात डोंबिवली के नवजीवन अस्पताल में दिल का दौरा पड़ने से निधन हो गया। वे पिछले एक साल से बीमार चल रहे थे। वह अपने पीछे पत्नी, पूत्र और पूत्रवधू का भरा पूरा परिवार छोड़ गये हैं। उनके निधन पर मुंबई के पत्रकारो में शोक की लहर है।
16 जून 1953 को कोलकाता में जन्मे भट्टाचार्य ने पत्रकार और साहित्यकार के तौर पर मुंबई में प्रतिष्ठा पाई। केंद्रीय हिंदी संस्थान के अहिंदी भाषी पुरस्कार, उत्तर प्रदेश हिंदी संस्थान और महाराष्ट्र राज्य हिंदी साहित्य अकादमी के सम्मान समेत सैकड़ों पुरस्कारों से उन्हें नवाजा गया।
कुछ वर्ष पहले दिल के दौरे के बाद डॉक्टरों ने उन्हें आराम की सलाह दी थी। मगर उन्होंने कवि सम्मलेनों के लिए देश-विदेश के दौरे लगातार जारी रखे।
अब तक उनकी प्रकाशित पुस्तकों में कविता संग्रह भाषा नहीं है बैसाखी शब्दों की (1990), उपन्यास अपना ही चेहरा (1994), कथा संग्रह आंधी के आसपास (2000), कविता संग्रह सात समंदर आग (2002), संस्मरण पथ के दीप (2005), सांप्रदायिकता के खिलाफ वैचारिक लेख संग्रह अधार्मिक (2006, भाषा लिपि मुद्रण के इतिहास पर आधारित ललित निबंधों का संग्रह पुस्तकायन (2009), कन्या भ्रूण हत्या के खिलाफ लेख संग्रह कोख को कब्र मत बनाओ (2009) तथा वक्तृत्व कला एवं सूत्र संचालन (2010) प्रमुख हैं।
उन्होंने नवभारत टाइम्स, दो बजे दोपहर, जनसंसार, साप्ताहिक श्रीवर्षा, सूरज समाचार विचार, नूतन सवेरा जैसी राष्ट्रीय पत्र पत्रिकाओं में संवाददाता, सहायक संपादक, समाचार संपादक व संपादक आदि पदों पर कार्य करने के साथ ही साप्ताहित ब्लिट्ज, साप्ताहिक करंट, दैनिक जनसत्ता, लोकमत समाचार आदि में लिखते रहे थे। टीवी न्यूज चैनल मुंबई न्यूज में बतौर प्रधान संपादक उन्होंने कार्य किया था।