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तीनों पत्रकारों की गिरफ्तारियां कानून की नजर में टिकाऊ नहीं

लखनऊ और नोएडा पुलिस ने जिन धाराओं में पहले पत्रकार प्रशांत कनोजिया फिर उसके बाद उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के खिलाफ कथित तौर पर अपमानजनक विषय-वस्तु प्रसारित करने को लेकर एक निजी टीवी न्यूज चैनल की हेड इशिका सिंह और उसके संपादक अनुज शुक्ला को गिरफ्तार किया है, उससे ये गिरफ्तारियां न्यायोचित प्रतीत नहीं होतीं और कानून की नजर में टिकाऊ नहीं प्रतीत होतीं। यह सत्ता का निरंकुश दुरूपयोग है, क्योंकि इससे लगता है जानबूझकर जबरदस्ती केस बनाकर गिरफ्तारियां की गयी हैं।

पत्रकार प्रशांत कनोजिया की गिरफ्तारी कानून के प्रावधानों को देखते हुये टिकाऊ नहीं है, बल्कि प्रशांत के उत्पीड़न के लिए की गयी है। यह सत्ता का एक खुला दुरुपयोग प्रतीत होता है क्योंकि प्राथमिकी में अपराध गिरफ्तारी को सही नहीं ठहराते हैं। यूपी पुलिस द्वारा “सू मोटो” दर्ज की गई, भारतीय दंड संहिता की धारा 500 और सूचना प्रौद्योगिकी अधिनियम की धारा 66 के तहत दर्ज की गई है, जिसमें आरोप लगाया गया है कि कनौजिया ने अपने ट्विटर सोशल मीडिया से योगी आदित्यनाथ के खिलाफ अपमानजनक टिप्पणी की थी जो मुख्यमंत्री की छवि खराब करने का प्रयास है।

जहां तक धारा 500 आईपीसी का प्रश्न है तो इस धारा के तहत आपराधिक मानहानि एक गैर-संज्ञेय अपराध है, जिसका अर्थ है कि पुलिस एफआईआर दर्ज करके इसका प्रत्यक्ष संज्ञान नहीं ले सकती है। मजिस्ट्रेट के सामने दायर एक निजी शिकायत पर केवल आपराधिक मानहानि की कार्रवाई की जा सकती है। धारा 41 सीआरपीसी के अनुसार, बिना वारंट के गिरफ्तारी केवल संज्ञेय अपराधों के संबंध में की जा सकती है।

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जहां तक आईटी अधिनियम की धारा 66 का प्रश्न है तो यह एक संज्ञेय अपराध है। लेकिन इस मामले में कोई आवेदन नहीं है। यह प्रावधान, जो “कपटपूर्ण तरीके से / बेईमानी से कंप्यूटर सिस्टम को नुकसान पहुंचाता है” से संबंधित है, जिसकी प्रशांत कनोजिया के मामले में कोई प्रासंगिकता नहीं है। प्रश्न है कि क्या कनौजिया के ट्वीट ने किसी कंप्यूटर सिस्टम को नुकसान पहुंचाया है, वह भी धोखे से या बेईमानी से? इसका उत्तर है नहीं। इससे यह स्पष्ट हो रहा है कि इस धारा को एफआईआर में मनमाने ढंग से जोड़ा गया है।

प्रशांत की गिरफ्तारी को कानूनी बनाने के इरादे से बयान में दो अतिरिक्त प्रावधानों का उल्लेख पुलिस की प्रेस रिलीज में किया गया है। इसमें भारतीय दंड संहिता की धारा 505 (जानबूझकर अफवाह फैलाने की कोशिश) और सूचना प्रौद्योगिकी अधिनियम की धारा 67 (इलेक्ट्रॉनिक माध्यम से किसी आपत्तिजनक कंटेंट को प्रसारित या प्रकाशित करना) जोड़ा गया है जो एफआईआर में वर्णित नहीं है।

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जहां तक धारा 67 आईटी एक्ट का है तो अगर कोई शख्स इंटरनेट के जरिये या फिर मोबाइल आदि के जरिये इलेक्ट्रानिक माध्यम से अश्लील सामग्री सर्कुलेट करता है, तो ऐसे मामले में आईटी ऐक्ट की धारा-67 के तहत केस दर्ज किए जाने का प्रावधान है और ऐसे मामले में दोषी पाए जाने पर 3 साल तक कैद और 5 लाख रुपए का जुर्माने का प्रावधान है। अगर कोई शख्स सेक्सुअल ऐक्ट को इलेक्ट्रानिक माध्यम से सर्कुलेट करता है, तो ऐसे में आईटी एक्ट की धारा-67 ए के तहत केस दर्ज किए जाने का प्रावधान है और उसमें दोषी पाए जाने पर 5 साल तक कैद की सजा हो सकती है और 5 लाख रुपए तक जुर्माना हो सकता है। ये मामला गैर जमानती श्रेणी में रखा गया है।

प्रशांत की गिरफ्तारी के बाद नेशन लाइव नामक चैनल की हेड इशिका सिंह और इसके संपादक अनुज शुक्ला को नोएडा पुलिस ने गिरफ्तार किया। नोएडा पुलिस की प्रेस रिलीज के अनुसार इस सम्बन्ध मे थाना फेस 3 नोएडा पर उपनिरीक्षक धर्मेन्द्र सिंह द्वारा मु0अ0सं0 629/2019 धारा 505(1)/505(2)/501/153 भादवि पंजीकृत कराया गया हैं। इसके अतिरिक्त जांच में यह भी पाया गया है कि, उक्त चैनल के पास संचालन के सम्बन्ध में कोई लाईसेन्स नही है। उक्त चैनल ‘नेटवर्क 10’ नाम के न्यूज चैनल के लाईसेन्स पर बिना अनुमति प्राप्त किये संचालित किया जा रहा है। उक्त धोखाधडी के सम्बन्ध में सहायक निदेशक , जिला सूचना कार्यालय की तहरीर पर “नेशन लाइव” चैनल के विरुद्ध थाना फेस 3, नोएडा पर मु0अ0सं0 632/19 अन्तर्गत धारा 419/420/467/468/471 भादवि पंजीकृत किया गया है।

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जहां तक धारा 505(1) आईपीसीका प्रश्न है तो इसमें सैन्य-विद्रोह या सार्वजनिक शांति के विरुद्ध अपराध करने के आशय से असत्य कथन, जनश्रुति, आदि परिचालित करना आता है। सजा – तीन वर्ष कारावास, या आर्थिक दण्ड, या दोनों। यह अपराध गैर-जमानती, संज्ञेय है तथा किसी भी न्यायधीश द्वारा विचारणीय है। धारा 505(2) आईपीसी का प्रश्न है तो इसमें विभिन्न समुदायों के बीच शत्रुता, घॄणा या वैमनस्य की भावनाएं पैदा करने के आशय से असत्य कथन, जनश्रुति, आदि, परिचालित करना आता है। सजा- तीन वर्ष कारावास, या आर्थिक दण्ड, या दोनों। यह अपराध गैर-जमानती, संज्ञेय है तथा किसी भी न्यायधीश द्वारा विचारणीय है।

इसी तरह धारा 501(1) आईपीसी के तहत मानहानिकारक विषय मुद्रित या उत्कीर्ण करना, यह जानते हुए कि उसमें लोक अभियोजक द्वारा राष्ट्रपति या उपराष्ट्रपति या राज्य के राज्यपाल या संघ राज्य क्षेत्र के प्रशासक या मंत्री के खिलाफ उनके सार्वजनिक कार्यों के निर्वहन में उनके आचरण के संबंध में की गई शिकायत अनुसार स्थापित मानहानि है। सजा- दो वर्ष सादा कारावास या आर्थिक दण्ड या दोनों। यह एक जमानती, गैर-संज्ञेय अपराध है और सत्र न्यायालय द्वारा विचारणीय है। धारा 501(2)आईपीसी के तहत किसी अन्य मामले में मानहानिकारक विषय मुद्रित या उत्कीर्ण करना आता है। सजा – दो वर्ष सादा कारावास या आर्थिक दण्ड या दोनों। यह एक जमानती, गैर-संज्ञेय अपराध है और प्रथम श्रेणी के न्यायधीश द्वारा विचारणीय है।यदि मानहानि का अपराध निजी व्यक्ति के विरुद्ध है तो अपमानित व्यक्ति द्वारा समझौता करने योग्य है।

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धारा 153 आईपीसी में उपद्रव कराने के आशय से बेहूदगी से प्रकोपित करना आता है। जो भी कोई अवैध बात करके किसी व्यक्ति को द्वेषभाव या बेहूदगी से प्रकोपित करने के आशय से या यह सम्भाव्य जानते हुए करेगा कि ऐसे प्रकोपन के परिणामस्वरूप उपद्रव का अपराध हो सकता है;यदि उपद्रव होता है – यदि ऐसे प्रकोपन के परिणामस्वरूप उपद्रव का अपराध होता है, तो उसे किसी एक अवधि के लिए कारावास की सजा जिसे एक वर्ष तक बढ़ाया जा सकता है, या आर्थिक दण्ड या दोनों से दण्डित किया जाएगा,और यदि उपद्रव नहीं होता है – यदि उपद्रव का अपराध नहीं होता है, तो उसे किसी एक अवधि के लिए कारावास की सजा, जिसे छह मास तक बढ़ाया जा सकता है, या आर्थिक दण्ड या दोनों से दण्डित किया जाएगा।

लेखक जेपी सिंह इलाहाबाद के वरिष्ठ पत्रकार और कानूनी मामलों के जानकार हैं.

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1 Comment

1 Comment

  1. mahendra patel

    March 25, 2020 at 7:45 pm

    श्रीमान महोदय जी मैं महेंद्र पटेल पिता स्वर्गीय श्री रामचरण पटेल दमोह मध्य प्रदेश का निवासी हूं गरीबी बेरोजगारी के कारण ग्राम खात्राज तहसील कलान जिला गांधीनगर प्राइवेट कंपनी में काम करता हूं गुजरात न्यायालय एवं पुलिस के द्वारा हमारी कोई सहायता नहीं हुई आपके पास भी काफी बाद शिकायत की है ऑनलाइन एवं हर तरीके से की है (1)अंजना पटेल पत्नी के द्वारा धोखाधड़ी के संबंध में(2) शिकायत साथी पॉइंट नया मैरिज ब्यूरो खुला है तेरा साथी मैरिज ब्यूरो जो दुर्गे छत्तीसगढ़ में निवास है गुजरात गांधीनगर पुलिस के द्वारा काफी शिकायत की सहायता नहीं की गई इसलिए छत्तीसगढ़ मे दुर्गा पुलिस शिकायत की थी यहां पर कोई सुनवाई नहीं हुई दोनों शिकायत के लिए न्यायालय में आवेदन दिए थे न्यायालय ने शिकायत की थ़ी11 नवंबर 2019 को न्यायालय के आदेश पर मोहन नगर थाने में उनके खिलाफ f.i.r. भी हुई थी अपराधी मैरिज ब्यूरो वालो को गिरफ्तार किया गया था इसी संबंध में न्यायालय दुर्ग में पेशी थी पहली पेशी थी पत्नी के द्वारा धोखाधड़ी 4 तारीख को मार्च 4/3/2020 तारीख की पेशी तय हो गई वकील न गुमराह करके झूठ बोलकर मुझे 29 तारीख को बुला लिया विरोधी पार्टी से समझौता करवाने के नाम पर मुझे समझौता मंजूर नहीं था हमारा पूरा नुकसान की भरपाई नहीं की जा रही थी मेरे ऊपर दबाव भी बनाया गया महोदय जी मगर मैंने समझौता नहीं किया फिर 4 तारीख की पेशी के लिए रुक गई और हो गई फिर मैरिज ब्यूरो द्वारा धोखाधड़ी की पेशी तारीख 12 तारीख थी होली के कारण साहब जी और स्टाफ नहीं आए नहीं आए इस कारण से 16 तारीख की दी कुरोना बायरेश बीमारी के कारण के 18 तारीख कर दी गई फिर 20 फिर 21 तारीख कर दी गई न्यायालय की गलती के कारण हम दुर्ग छत्तीसगढ़ में फंसे हैं फिर कुछ गाड़ियां बंद हो गई फिर भीड़ अधिक होने के कारण बीमारी के देखते हुए बहुत से यात्री को गाड़ी के नीचे उतार दिया गया अपमानित करके स्टेशन के बाहर लगा दिया गया इस कारण से शुक्रवार और शनिवार को दुर्ग से अहमदाबाद जाने में असमर्थ रहा फिर रविवार से लेकर 31 तारीख तक आने जाने के लिए साधन बंद कर दिया गया रेल एवं बसें हम लोग दुर्ग छत्तीसगढ़ फंसे हुए हैं यहां की सरकार के द्वारा हम लोगों को कोई मदद नहीं दी जा रहे हैं महोदय जी आपसे निवेदन है मैं बहुत गरीब व्यक्ति हूं इसलिए दमोह मध्य प्रदेश से अहमदाबाद गांधीनगर जिला में मजदूरी का काम करता हूं आप मदद दिलवाने की कृपा करें एवं हमारा जो नुकसान हुआ है सरकार के माध्यम से पूर्ति करने की कृपा करें यह सदा आपका आभारी रहूंगा आपका आगे खरीद नागरिक एवं सेवक महेंद्र पटेल मोबाइल नंबर 9974746380

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