Yashwant Singh : यूपी के किसानों की बेबसी-पीड़ा को योगीजी की सरकार और पार्टी नहीं समझ रही। सम्भव है समझ कर भी नासमझ बन रही हो! पर ग्रामीणों का ये दुख बहुते भारी पड़ेगा दक्षिणपंथी पार्टी को।
मेरे भतीजे शालू सिंह ने होम टाऊन ग़ाज़ीपुर से एक वीडियो रिपोर्ट भेजी है। शालू कोई प्रोफेशनल पत्रकार या ब्लागर या किसी किस्म के मीडिया मैन नहीं हैं. वे छात्र हैं. गांव में रहते हुए, खेती-किसानी में हाथ बंटाते हुए वे विभिन्न परीक्षाओं की तैयारी कर रहे हैं. वे हर दिन रात देखते रहते हैं कि किस तरह आवारा गोवंश झुंड बनाकर खेतों को चर जाता है.
एक झुंड को भगाओ तो वो हटकर दूसरे के खेत में चरने चला जाता है. उधर से वो भगाता है तो एक अन्य दल गो वंश का खेत में आकर टूट पड़ता है. किसान कितने घंटे खेत में बैठकर रखवाली करता रहे. रात में जब सब सो जाते हैं तो गो वंश पूरे इत्मीनान से खेतों को चर डालते हैं. सुबह किसान देखता है कि उसका खेत तो स्वाहा हो चुका है.
ये रिपोर्ट नहीं, पीड़ा है, हर किसान परिवार की. आंखों के सामने खेत चरते, फसल नष्ट होते किसान देख रहे और कुछ कर नहीं पा रहे.
यूपी में खेती चर गए लावारिस गाय-बछड़े…किसान बेहद परेशान… अंदर ही अंदर पक रहा है गुस्सा… बैलट बाक्स के जरिए ग्रामीण जनता निकालेगी अपनी भड़ास… ये आवारा गो-वंश अगले चुनाव में बीजेपी को बहुत भारी पड़ेंगे…
पूर्वी यूपी के ग़ाज़ीपुर जिले से गौरव सिंह उर्फ शालू की ये ग्राउंड वीडियो रिपोर्ट देखें-
भड़ास एडिटर यशवंत सिंह की एफबी वॉल से.