भारत में लोग डरे हुए हैं, क्योंकि अमेरिका में स्कूल खुलते ही 1 लाख के आसपास बच्चे कोरोना से संक्रमित हो गए। भारत में स्कूलें खोलने की सोशल मीडिया खबरों से लोग परेशान हैं। अभिभावक चाहते हैं कि कोरोना की वैक्सिन आने तक स्कूल बंद रहें तो ठीक रहेगा। फिर, जो हालात हैं, उनमें ऑनलाइन क्लास से अभिभावक इस बात से संतुष्ट हैं कि कम से कम बच्चे उनकी नजर के सामने तो हैं । इसलिए कोरोना संक्रमण काल में स्कूल खोले जाने की खबरें लोगों को डरा रही हैं। हालांकि सरकार ने अभी इस बारे में पैसला नहीं किया है।
-निरंजन परिहार–
कोरोना वायरस से बच्चे नहीं सुरक्षित हैं। अमेरिका में स्कूल खोले जाने के बाद केवल दो सप्ताह में ही लगभग 1 लाख बच्चों के कोरोना संक्रमित होने की खबर ने भारत में भी अभिभावकों के माथे पर परेशानी की लकीरें ला दी हैं। उनका डर है कि भारत में अगर स्कूलें खोल दी गईं, तो बच्चों का क्या होगा। कोरोना तो संपर्क से ही तेजी से फैलता है और बच्चे स्कूलों में भले ही सोशल डिस्टेंस के साथ पढ़ने बैठ जाएंगे, लेकिन आपस में मिलने पर मस्ती किए बिना रह नहीं सकते। इसीलिए लग तो यही रहा है कि मुंबई सहित पूरे महाराष्ट्र में और देश में भी स्कूलें दोबारा तभी खुलेंगी, जब सरकार कोरोना के मामले में बच्चों की सुरक्षा को लेकर पूरी तरह से आश्वस्त हो जाएगी। हालांकि सरकार ने इस बारे में कोई अधिकारिक घोषणा नहीं की है, लेकिन सोशल मीडिया पर खबरें चल रही हैं कि स्कूल दिसंबर 2020 में खुलेंगे। कोरोना महामारी में स्कूल बंद होने से पूरी दुनिया के 190 देशों में करीब 150 करोड़ से ज़्यादा छात्र प्रभावित हुए हैं।
लगभग 5 महीने से ज्यादा वक्त से देश भर में स्कूल बंद है, ऐसे में रह रह कर खबरें आती रही हैं सरकार जल्द ही स्कूल खोल सकती है। लेकिन स्कूली शिक्षा का मामला भले ही राज्यों के अधीन हो, पर कोरोना संक्रमण के दौरान स्कूलें बंद करने का आदेश केंद्र सरकार ने दिया है। तो अब वही फिर से उस आदेश के तहत अगला फैसला लेगी। केंद्रीय शिक्षा मंत्री रमेश पोखरियाल ने भी इस बारे में पिछले दिनों कहा था कि स्कूलों को फिर से खोलने का निर्णय स्वास्थ्य मंत्रालय, गृह मंत्रालय के साथ चर्चा के बाद लिया जाएगा। इसके अलावा उन्होंने कहा कि अगर सरकार स्कूलों को फिर से खोलने से पहले विस्तृत दिशानिर्देश और एहतियाती उपाय जारी करेगी। स्कूलों को फिर से खोलने के मामले पर, सरकार का कहना है कि कोरोना मामलों में लगातार हो रही वृद्धि को देखते हुए फिलहाल ऐसी कोई योजना नहीं है।
भारतीय अभिभावक डरे हुए हैं। यहां स्कूल खुले, तो अमेरिका से ज्यादा बुरा हाल यहां होने के आसार ज्यादा है। अमरीका के कुछ राज्यों ने स्कूल खोलने की अनुमति दी, तो वहां यह डर सच साबित हो रहा है। अमेरिका में जुलाई के अंतिम दो हफ्तों में स्कूल खुले तो 97 हज़ार से ज़्यादा बच्चे कोरोना पॉजिटिव पाए गए। अगस्त के दो सप्ताह का आंकना आना बाकी है। अमेरिका में बड़ी संख्या में स्कूलों में संक्रमण फैलने के बाद अब विशेषज्ञ राय दे रहे हैं कि अभी स्कूल नहीं खोले जाने चाहिए थे। क्योंकि स्कूलों में बच्चों से सोशल डिस्टेंसिंग, सेनेटाइजिंग, बार बार साबुन से हाथ धोने और मास्क पहनने जैसे नियमों का पालन करवाना नहीं आसान नहीं है। माना जा रहा है कि अगर कोरोना से बचने के सारे मानदंड़ों के पालन की उचित व्यवस्था किये बिना स्कूल दोबारा खोल दिये गये तो इससे दुनियाभर में करीब 82 करोड़ बच्चों के कोरोना महामारी से संक्रमित होने का ख़तरा है। भारत में यहीं आंकड़ा 10 करोड़ तक जाने की आशंका है।
अमेरिका की बात अलग है। वहां, स्वतंत्र समाज हैं। लोगों ने सरकार पर दबाव डालकर स्कूल खुलवाए, तो नतीजे सामने हैं। पर, हम भारतीयों की जीवन शैली अलग है। अमेरिका में स्कूल बंद होने से लाखों अभिभावकों को चौबीसों घंटे बच्चे को पालना भारी पड़ रहा था, इससे उनका व्यक्तिगत जीवन प्रभावित हो रहा था। लेकिन हमारे यहां तो बच्चे ही हमारा जीवन हैं। हम मानते हैं कि बच्चे न केवल हमारा बल्कि देश का भी भविष्य हैं। उनकी सुरक्षा हमारी पहली जरूरत है। इसलिए, संक्रमण से उन्हें बचाना पहली प्रथमिकता है। वैसे भी, कोरोना संक्रमण के दिनों में स्कूल नहीं खुले हैं, तो भी क्या फर्क पड़ता है। देश भर में बच्चे ऑनलाइन पढ़ ही रहे हैं। हालांकि इसकी परेशानियां भी है, लेकिन एक बात का सुकून है कि हमारे बच्चे हमारे सामने घर पर पढ़ भी रहे हैं, और सुरक्षित भी हैं। हम देख रहे हैं कि भारत में रोज कोरोना संक्रमण तेज होता जा रहा है। निश्चित रूप से ऐसे माहौल में सरकार स्कूल नहीं खोलेगी। अगर खुलेंगी, तो भी ऐसी भीषण महामारी के संकट में अपने बच्चों को कोई भी स्कूल भेजकर मौत के मुंह में नहीं धकेलेगा। ज्यादातर अभिभावक मानते हैं कि जब तक कोरोना का इलाज नहीं आता, हमारे देश में बच्चे घर से ही पढ़ते रहें, तो ही ज्यादा ठीक रहेगा।
हालांकि भारत में तो अभी ऐसी कोई स्टड़ी नहीं हुई है, लेकिन यूनिसेफ ने दुनिया के विभिन्न देशों की इस बारे में एक विस्तृत स्टडी रिपोर्ट जारी की है। यह रिपोर्ट ऐसे वक्त में आई है जब भारत समेत दुनिया के कई देशों में ये विचार किया जा रहा है कि स्कूलों को कब से और कैसे खोला जा सकता है। खबर यह भी है कि अगले कुछ दिनों देश भर की सरकारें संशोधित पाठ्यक्रम को अंतिम रूप देंगी। मतलब साफ है कि स्कूलों को फिर से खोलने की सरकार की तत्काल कोई योजना नहीं है। फिर भी सोशल मीडिया पर चल रही स्कूलें खोलने की खबरों से लोग परेशान हैं। क्योंकि काल कोरोना संक्रमण का है, सवाल देश के भविष्य का है और मामला ममता का। भारत में स्कूलें खुलने के नाम से अभिभावक इसीलिए घबरा रहे हैं।