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सियासत

क्या सत्ताधारी दल ‘क्रिमिनल माननीयों’ की शरण स्थली होती है?

अरूण श्रीवास्तव-

‘आज 16 साल की बच्ची भी गहने लेकर रात 12 बजे स्कूटी से अकेले जा सकती है।’ यह बात मैं नहीं देश के गृहमंत्री अमित शाह ने उत्तर प्रदेश की राजधानी लखनऊ में भाजपा का सदस्यता अभियान शुरू करते समय करीब 26 महीने पहले कही थी।
अब अमित शाह जी को कौन बताए कि, NCRB की ताज़ा रिपोर्ट के अनुसार उत्तर प्रदेश महिला उत्पीड़न में सबसे आगे है। महिलाओं के खिलाफ 65,743 दर्ज किए गए। जो पिछले साल की तुलना में चार फीसद अधिक है।‌ दूसरे नंबर पर महाराष्ट्र आता है।

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एक अन्य आंकड़े के मुताबिक उत्तर प्रदेश के आधे से अधिक विधानसभा सदस्य आपराधिक रिकार्ड वाले हैं। इनमें से 40% के खिलाफ रेप, हत्या, लूट, दंगा जैसे संगीन मामले दर्ज हैं। मध्यप्रदेश के 41%, राजस्थान के 23% विधायक आपराधिक रिकार्ड वाले हैं।

डॉयचे वेले की एक रिपोर्ट के मुताबिक फिलहाल देश भर में सांसदों और विधायकों के खिलाफ 4,984 मामले लंबित हैं। इनमें से लगभग एक हजार मामले पिछले तीन साल में दर्ज हुए हैं।

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बताते चलें कि, एक एमपी-एमएलए कोर्ट ने दुद्धी विधानसभा क्षेत्र से भाजपा विधायक रामदुलार गोंड को रेप के मामले में 25 साल के कठोर कारावास की सजा सुनाने के साथ 10 लाख का जुर्माना भी लगाया। ये सजा यूपी के इतिहास में किसी विधायक को मिली अब तक की सबसे बड़ी सजा मानी जा रही है।

यही हाल लोकसभा के सदस्यों का है। 30% सांसदों पर रेप, लूट और हत्या जैसे गंभीर आरोप हैं। मोटा मोटी हर तीसरा सांसद दागी है। अभी हाल ही में अरुणाचल प्रदेश के एक विधायक पर प्रेग्नेंट महिला ने रेप का आरोप लगाया है। महिला का कहना है कि बीजेपी विधायक लोकम तासर ने राजधानी ईटानगर स्थिति अपने घर पर बाथरूम से खींच कर उसके साथ बलात्कार किया। आरोप लगने के बाद बीजेपी विधायक लोकम तासर फरार हो गया। उसने गिरफ्तारी के डर से राष्ट्रपति चुनाव में हिस्सा भी नहीं लिया।

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एक अन्य रिपोर्ट के मुताबिक भारत में रेप के मामलों में सजा का दर सिर्फ 27.4 प्रतिशत है। आसान भाषा में कहें तो बलात्कार के 100 में से सिर्फ 27.4 मामलों में ही बलात्कारियों को सजा मिल रही है।

2012 में निर्भया गैंगरेप के बाद बलात्कारियों को तुरंत सजा दिलाने को लेकर देशभर में खूब बहस हुई। बावजूद इसके 2017 में यूपी के विधायक कुलदीप सेंगर का दुस्साहस सामने आया। अपने गांव की एक लड़की के साथ बलात्कार किया। इसके परिजनों पर बेइंतहा ज़ुल्म ढाये गये। परिवार के कई सदस्यों की पुलिस उत्पीड़न के दौरान मौत हो गई। जम्मू कश्मीर के कठुआ की घटना हृदयविदारक होने के साथ ही भारतीय जनता पार्टी का असली चाल चरित्र और चेहरा भी सामने आ गया। अल्पसंख्यक समुदाय की एक बच्ची के साथ सामूहिक बलात्कार किया गया यही नहीं बलात्कारियों को बचाने के समर्थन में निकाली गई यात्रा में भाजपा पीडीपी सरकार के दो मंत्री भी शामिल हुए। यही हाल देवभूमि उत्तराखंड में अंकिता भंडारी मामले का रहा। यहां की जनता को अभी तक यह पता ही नहीं चल पाया कि, वह वीआईपी कौन था/है, जिसकी विशेष ‘सेवा’ के लिए उसको भेजा जा रहा था और वह जाने को तैयार नहीं थी। इस घटना में शामिल भाजपा नेता का पुत्र तो सलाखों के पीछे है लेकिन गोंडा के “माननीय” बृजभूषण शरण सिंह का बाल भी बांका नहीं हुआ जिन पर एक नहीं एक से अधिक महिला खिलाड़ियों ने यौन उत्पीड़न का आरोप लगाया था।

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जबकि इस घटना के विरोध में महिला खिलाड़ियों ने धरना प्रदर्शन किया अपने अपने पदक लौटाए। बावजूद इसके उनका ‘दबदबा था, दबदबा है और दबदबा रहेगा’ यह बात उसके विधायक पुत्र ने नारे की शक्ल में व्यक्त की और व्यक्त करें भी क्यों न जिस देश की राष्ट्रीय अपराध रिकॉर्ड ब्यूरो 2022 की रिपोर्ट कहती हो कि, भारत में बलात्कार के रोजाना 122 मामले सामने आते हैं। वहीं देश के 48 सांसद और विधायकों पर महिलाओें के खिलाफ अपराध के केस हैं। भाजपा में ऐसे नेताओं की संख्या सबसे ज्यादा 12 है।

देश के 33 फीसद यानी 1580 सांसद-विधायक ऐसे हैं, जिनके खिलाफ आपराधिक मामले दर्ज हैं। इनमें से 48 महिलाओं के खिलाफ अपराध के आरोपी हैं, जिनमें 45 विधायक और तीन सांसद हैं। इसमें महिला उत्पीड़न, अगवा करने, शादी के लिए दबाव डालने, बलात्कार, घरेलू हिंसा और मानव तस्करी जैसे अपराध शामिल हैं।

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भाजपा के सबसे ज्यादा 12 सांसद-विधायकों के खिलाफ केस दर्ज हैं। वहीं इसके बाद शिवसेना के सात और तृणमूल कांग्रेस के छह जन प्रतिनिधि महिलाओं के खिलाफ अपराध के दागी हैं।

ताज़ा मामला देश के सर्वाधिक लोकप्रिय होने का दावा करने वाले प्रधानमंत्री नरेंद्र दामोदर दास मोदी के संसदीय क्षेत्र वाराणसी का है। यहां की एक छात्रा किसी खेत-खलिहान में नहीं IIT परिसर में टहल रही थी। तभी बाइक पर सवार तीन युवक पहुंचे और सूनसान एरिया में ले जाकर उसके साथ बलात्कार किया था। पकड़े गए तीन के तीनों आरोपी भारतीय जनता पार्टी से जुड़े हुए हैं।

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अब इतने सारे मामलों में भाजपा नेताओं की संलिप्तता इस ओर इशारा नहीं करतीं कि ज्यादातर अपराधी बलात्कारी भाजपा या यूं कहें कि सत्ताधारी पार्टियों से ही जुड़े क्यों होते हैं क्या सत्ताधारी दल अपराधियों की शरण स्थली होती है?

लेखक वरिष्ठ पत्रकार हैं.

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