Pradyumna Yadav : गुलशन कुमार की हत्या के बाद बमहौर काफी चर्चा में था. जिस तमंचे से गुलशन कुमार की हत्या हुई थी वह ‘मेड इन बमहौर’ था. उस दौर में सारे जांच अधिकारी परेशान हो गए थे कि यह बमहौर आखिर ग्लोब के किस हिस्से में है. कई देशों में सर्च किया गया लेकिन किसी को बमहौर का पता नहीं चला. कुछ लोग ऐसे भी थे जो उसे इजरायल और अफगानिस्तान की गुप्त जगह बता रहे थे.
आखिरी में एक सामान्य सिपाही ने बमहौर के राज का खुलासा किया. असल में बमहौर आज़मगढ़ का एक छोटा सा गांव था. काफी पहले कानपुर आर्म्स फैक्ट्री का एक रिटायर्ड कर्मचारी जिसका नाम संभवतः देवनाथ था जब वहां पहुंचा तो उसने खुद हथियार बनाकर बेचे और गांव के लोगों को भी हथियार बनाना सिखाया.
वहां हथियार बनाने और बेचने वाले बहुसंख्य हिन्दू थे. हथियार ऐसे बनाये जाते थे जिनकी क्वालिटी अंतरराष्ट्रीय स्तर की होती थी. दाम दो तीन सौ रुपये बमुश्किल. गोली भी वज़न के हिसाब से. किसी को ये अनुमान नहीं था कि यहां के बनाये हथियार का इस्तेमाल इतने बड़े हत्याकांड में हो सकता है.
लेकिन ऐसा हुआ और बमहौर के खुलासे के बाद आज़मगढ़ आतंकगढ़ और यहां के मुसलमान आतंकवादी के रूप में स्थापित हो गए. कई फ़र्ज़ी गिरफ्तारियां हुईं. मुकदमे दर्ज हुए और इन सबका नतीजा बेगुनाह मुसलमानों को जेल और पुलिस की फ़र्ज़ी त्वरित कार्यवाई की हौसलाअफजाई के रूप में सामने आया.
लेकिन बमहौर जस का तस रहा. वहां पुलिस की मिलीभगत से हथियार बनते रहे और बिकते रहे. हथियार बनाने वाला न कोई हिन्दू गिरफ्तार हुआ न ही किसी हिन्दू में संभावित अपराधी देखा गया.
लंबे समय बाद अब मेरठ से सुतली बम और देसी कट्टा मिला है. हथियार के आधार पर कुछ लोगों को आतंकी बताया जा रहा है. उनके धर्म और क्षेत्र पर जोर दिया जा रहा. कोई वारदात नहीं हुई है. न कोई मरा है
न किसी के मारे जाने का इरादा नज़र आया है. सिर्फ अनुमान है कि सुतली बम और कट्टे से कोई बड़ा हमला हो सकता था. किस पर ? कुछ हिंदूवादी नेताओं पर. ऐसे नेता जिनके प्राण चार पड़ाका खाने के बाद अपने आप निकल कर गले तक आ जाएं. सम्भवतः उनके लिए उन्हीं का लेवल ध्यान में रखते हुए सुतली बम और देसी कट्टा इधर उधर किया जा रहा था.
सुतली बम ऐसा जिससे चार गुने बड़े बम लोग दिल्ली में पटाखा बैन होने के बावजूद दाग रहे थे. कट्टे में सिर्फ एक ही ऐसा था जिसकी क्वालिटी थोड़ी ठीक थी. बाकी ऐसे थे जिनसे एक फायर करने के बाद उनकी नली संभवतः फट के फ्लावर हो जाए. ऐसे कट्टों का निशाना भी बेकार होता है. तीरघाट की बजाय मीरघाट फायर होने वाला.
और हां , ऊपर लिखना भूल गया था , कुछ सरकारी नलकूप की पाइप उखाड़कर बनाये गए रॉकेट लांचरनुमा हथियार भी बरामद हुए हैं. उससे रॉकेट लांच होना थोड़ा मुश्किल नज़र आता है. लेकिन अगर कोशिश की गयी तो टारगेट की बजाय संभवतः चलाने वाला ही उसके विस्फोट से चोटिल हो जाए.
लेकिन सरकार ने कहा है कि इन सबसे डरिये तो आपको डरना पड़ेगा. भले ही कोई वारदात न हुई हो , लेकिन इन कबाड़ के हथियारों से आपको डरना पड़ेगा. सरकार की जांच एजेंसी कह रही है कि इनका संबंध आईएसआईएस से है. ये आईएसआईएस से प्रभावित हैं. वो आईएसआईएस जो आधुनिकतम हथियार इस्तेमाल करने के लिए कुख्यात है. लेकिन इससे क्या फर्क पड़ता है. आप बस इन सबसे डर जाईये.
आप नहीं डरेंगे तो किसी खास धर्म और जातिविशेष के लोगों की और अधिक गिरफ्तारियां होंगी. तब भी नहीं डरेंगे तो बम धमाके और हमले होंगे. चुनाव के पहले सरकार आपको डराकर रहेगी. डरना शुरू करिये. आप डरेंगे नहीं तो मारे जाएंगे.
सोशल मीडिया पर सक्रिय प्रद्युम्न यादव की एफबी वॉल से.