रवीश कुमार-
पीयर्स साबुन 20 प्रतिशत महँगा हुआ है। लाइफब्वॉय साबुन भी महँगा हो गया है। डिटर्जेंट भी 30 से 60 रुपये तक महँगा हो गया है। बिज़नेस स्टैंडर्ड ने छापा है। आप ख़ुद भी दुकान में जाकर चेक कर लीजिएगा।
इतनी मामूली वृद्धि पर भी ख़बर छप रही है। यहाँ तो लोग 200 का साबुन ख़रीदने के लिए तैयार बैठे हैं।यह भी तो देखिए कि महामारी के इन वर्षों में लोग डी-मैट खाते खोल रहे हैं। 21-22 में डी-मैट खातों की संख्या 9 करोड़ हो गई। इसी अख़बार में लिखा है कि 2.2 गुना डीमैट खाते बढ़ गए। अच्छा है लोग शेयर बाज़ार के भरोसे बैठे हैं। रिटर्न मिल रहा है। इसमें एक ही सुख है। डूबता है तो सबका डूबता है, केवल कुछ चालाक लोग समय से पहले अपना पैसा निकाल लेते हैं। लेकिन आप भी उन चालाक लोगों की तरह बन सकते हैं। पोज़िटिव रहिए।
बिज़नेस स्टैंडर्ड में ही एक ख़बर और छपी है। एक अध्ययन के मुताबिक़ दिसंबर 2021 को समाप्त वर्ष में BSE 100 में दो में से एक इक्विटी लार्ज कैंप फंड का प्रदर्शन कमज़ोर रहा है। जबकि BSE100 में 26 प्रतिशत की तेज़ी आई है। 50 प्रतिशत मिड और स्मॉल कैंप का प्रदर्शन अपने बेंचमार्क से कमज़ोर रहा है। 54 प्रतिशत लार्जकैप फंड ने अपने बेंचमार्क के मुक़ाबले कमज़ोर प्रदर्शन किया है। लंबी अवधि के हिसाब से देखा गया है तो 70 प्रतिशत लार्ज कैप फंड ने अपने बेंचमार्क के मुक़ाबले कमज़ोर प्रदर्शन किया है। कहने का मतलब है बाज़ार में बने रहिए लेकिन समझदारी से। उम्मीद में पूँजी मत गँवाइये। अक्ल से लगाइये।