देशभर के पत्रकारों के वेतन और भत्ते से जुड़े जस्टिस मजीठिया वेज बोर्ड मामले में माननीय सुप्रीमकोर्ट ने तीसरी बार उन लेबरकोर्ट को निर्देश दिया है जो इस मामले में ६ माह बाद भी सुनवाई पुरी नहीं कर सके हैं। सुप्रीमकोर्ट ने सभी हाई कोर्ट से भी निवेदन किया है कि वर्किंग जर्नलिस्ट एक्ट की धारा १७(२) के जिन मामलों की सुनवाई लेबर कोर्ट कर रहा है, वे मामले अगर आपके यहां आते हैं तो आप यह ध्यान दें कि यह टाईमबांड मामला है।
मीडियाकर्मियों की लड़ाई लड़ने वाले वकीलों ने सुप्रीमकोर्ट के इस आदेश को कर्मचारियों के हित में बताते हुये कहा कि जिन लोगों के भी मामले वर्किंग जर्नलिस्ट एक्ट की धारा १७(२) के तहत लेबरकोर्ट में विचाराधीन हैं, वे अपने एडवोकेट के जरिये पुराने दोनो आर्डर और इस आर्डर की कापी लगाकर उस लेबर कोर्ट का ध्यान दिलायें कि इस मामले में अगर लापरवाही बरकरार रही तो माननीय सुप्रीमकोर्ट के आदेश की अवमानना होगी। अगर किसी के मामले की सुनवाई उच्च न्यायालय में चल रही है तो वे लोग भी इस आदेश की प्रति वहां पर जमा करें।
यह पूछे जाने पर कि माननीय सुप्रीमकोर्ट के इस आर्डर को आप किस रूप में लेते हैं, एक वकील ने कहा कि यह आदेश माननीय सुप्रीमकोर्ट के पहले वाले मार्च २०१८ तक के आर्डर पर आधारित है। माननीय सुप्रीमकोर्ट के संज्ञान में ये मामला आया कि उनके आदेश का पालन नहीं हो रहा है, इसलिए ये अच्छा आदेश है। यह पूछे जाने पर कि इसके पहले भी माननीय सुप्रीमकोर्ट ने दो बार निर्देश दिया कि इस मामले की सुनवाई ६ महीने में पूरी हो मगर किसी भी लेबर कोर्ट ने इस आदेश को गंभीरता से नहीं लिया। इस पर वकील ने कहा कि इस मामले में अवमानना का केस लगाना चाहिये था। मगर फिर भी सुप्रीमकोर्ट का ये आदेश मीडियाकर्मियों के लिये काफी बेहतर है।
यह पूछे जाने पर कि सुप्रीमकोर्ट ने हाईकोर्ट के लिये क्या निर्देश दिया है इस पर वकील ने कहा कि सुप्रीमकोर्ट ने हाईकोर्ट को डायरेक्शन नहीं दिया है। इस आदेश में निवेदन किया है कि इस मामले को इंटरटेन ना करें और ये टाईमबांड मामला है, इसकी सुनवाई करते समय यह ध्यान दें।
यह पूछे जाने पर कि कंपनियां बार बार इस मामले पर हाईकोर्ट भाग रही हैं और स्टे ले रही हैं, क्या इस पर रोक लगेगा। इस पर वकील ने कहा कि स्टे देने पर रोक नहीं लगेगा लेकिन हाईकोर्ट में इस मामले की सुनवाई जल्द होगी।
आपको बता दें कि अभिषेक राजा बनाम संजय गुप्ता के एक मामले में वर्किंग जर्नलिस्ट एक्ट की धारा १७(२) के तहत तय समय सीमा में देशभर में सुनवाई ना होने और बार बार कंपनियों द्वारा हाईकोर्ट में जाने पर जाने माने एडवोकेट प्रशांत भूषण की तरफ से एक मिसलेनियस अप्लीकेशन सुप्रीमकोर्ट में लगाया गया था जिस पर सुप्रीमकोर्ट ने यह आदेश दिया। यह पूछे जाने पर कि क्या माननीय सुप्रीम कोर्ट ने अपने आज के आदेश में कर्मचारियों के ट्रांसफर टर्मिनेशन के केश पर भी हाईकोर्ट को कोई गाईडलाईन दिया है, वकील ने कहा कि इस आदेश में ऐसा गाईडलाईन नहीं है लेकिन इस मामले में सुप्रीमकोर्ट पहले ही अपना स्पष्ट पक्ष रख चुका है।
आप भी पढ़िये माननीय सुप्रीमकोर्ट के आदेश की प्रति
https://www.sci.gov.in/supremecourt/2018/41800/41800_2018_Order_28-Jan-2019.pdf
शशिकांत सिंह
पत्रकार और मजीठिया क्रांतिकारी
९३२२४११३३५