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भारतवंशी डॉ. ओम ढींगरा ने बनाई पुरुष हार्मोन्ज़ टेस्टोस्टेरोन की कैप्सूल फार्मेट में दवा

टेस्टोस्टेरोन से पुरुषों में होने वाले बदलाव को रोकने में कारगार होगी यह दवा… ढींगरा फ़ैमिली फ़ाउण्डेशन और वर्चुअल कंपनी एसओवी थेराप्यूटिक्स के अध्यक्ष डॉ. ओम ढींगरा ने पुरुष हार्मोन्ज़ टेस्टोस्टेरोन की दवा बनाने की तकनीक निकाली है, जो कैप्सूल के रूप में ली जा सकती है, अभी तक यह दवा केवल इंजेक्शन के माध्यम से ही उपलब्ध थी। इस दवा के आने से बड़ा बदलाव आएगा। इसका श्रेय जाएगा भारतवंशी डॉ. ओम ढींगरा को जो लंबे समय से अमेरिका में रहकर दवाइयों की खोज में लगे हुए हैं, यह अब तक की उनकी सबसे बड़ी खोज है। इस दवा के दो पेटेंट पूर्व में ही डॉ. ओम ढींगरा के नाम हो चुके हैं।

 

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ओम ढींगरा

मध्यप्रदेश के सीहोर शहर में स्थित ढींगरा फ़ैमिली फ़ाउण्डेशन अमेरिका के भारत कार्यालय द्वारा प्रदान की गई जानकारी अनुसार डॉ. ढींगरा ग्लैक्सोस्मिथक्लाइन में ड्रग डिस्कवरी एंड डेवलपमेंट के वाइस प्रेजिडेंट थे। वहाँ से 2008 में कार्य निवृत्ति लेने के बाद उन्होंने 2009 में अपनी वर्चुअल कंपनी एसओवी थेराप्यूटिक्स की स्थापना की और इस दवा के जानवरों पर टेस्ट करने के बाद मनुष्यों पर क्लिनिकल ट्रायल किए। डॉ. ढींगरा विश्व में पहले ऐसे वैज्ञानिक हैं, जिन्होंने अकेले बिना किसी कर्मचारी के घर के ऑफ़िस से ही कंपनी चला कर सारा काम कांट्रैक्ट पर करवा कर दवा निकाली है।

2017 में मैरियस फार्मास्यूटिकल कंपनी के सह-संस्थापक और कंपनी के सीईओ के रूप में उन्होंने मनुष्यों पर आख़िरी ट्रायल किया। अमेरिका के फ़ूड और ड्रग एडमिनिस्ट्रेशन ने नई दवा, काइज़ेट्रैक्स, को 27 जुलाई 2022 से बेचने की मंज़ूरी दे दी। दवाई अब अमेरिका के बाज़ार में उपलब्ध है।

भविष्य में यह दवा अंतरराष्ट्रीय बाज़ार में भी उपलब्ध होगी। अब डॉ. ओम ढींगरा ने अपनी रिसर्च बीमारियों को रोकने की ओर मोड़ ली है। इस उपलब्धि की प्रेरणा का श्रेय डॉ. ढींगरा अपनी पत्नी सुप्रसिद्ध हिन्दी लेखिका डॉ. सुधा ओम ढींगरा तथा पुत्र डॉ. विभु ढींगरा को देते हैं।

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कई विकारों से मिलेगी मुक्ति- डॉ. विजय सक्सेना

भोपाल के सुविख्यात मेडिसिन विशेषज्ञ डॉ. विजय सक्सेना ने बताया कि पुरुष हार्मोन्ज़ टेस्टोस्टेरोन के कैप्सूल आने से निश्चित रूप से बहुत सारे विकारों से मुक्ति मिलेगी। इस दवाई का निर्माण देश के लिए बहुत बड़ी उपलब्धि है। यह शरीर की सुगठित संरचना के लिए महत्वपूर्ण है। यह व्यक्ति के सामाजिक व्यवहार व मानसिक एकाग्रता को भी नियंत्रित करता है। यह हड्डियों को मजबूती के लिए भी महत्वपूर्ण माना गया है। एक भारतीय वैज्ञानिक द्वारा इस दवा को लाना हम सब के लिए एक बड़ी उपलब्धि है।

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