अश्विनी कुमार श्रीवास्तव-
अंजना ओम कश्यप, सुधीर चौधरी, चित्रा त्रिपाठी आदि से तो बढ़िया है कि देश के हिंदी न्यूज चैनल में ऐआई एंकर ही नजर आएं. ढके – छिपे तौर पर नफरत का एजेंडा फैलाते फैलाते अब ये एंकर खुल कर मोदी सरकार और संघ- भाजपा का समर्थन करने लगे हैं.
संसद में विपक्ष नहीं था और मोदी ने मणिपुर का नाम विपक्ष के जाने के बाद लिया. अविश्वास प्रस्ताव पर वोटिंग विपक्ष के बिना हुई, जो कि लोकतंत्र के लिए बेहद खतरनाक है. लेकिन इन एंकरों को इसमें लोकतंत्र की हार नहीं बल्कि मोदी की जीत नजर आ रही है.
उन्हें यह दिख ही नहीं रहा कि संसद में विपक्ष जिन गंभीर सवालों का जवाब मांग रहा था, मोदी ने न तो उन पर कोई जवाब दिया और न ही कोई चर्चा होने दी. बल्कि उन गंभीर सवालों पर जवाब की बजाय राहुल और सोनिया पर निचले स्तर के मखौल उड़ाने वाले निजी हमले किए. देश का प्रधानमंत्री संसद में ऐसा व्यवहार कर रहा है और मीडिया में ये एंकर वाह वाह कर रहे हैं.
ऐसे मीडिया से बेहतर है कि जल्द ही एंकर और पत्रकार का काम एआई को ही मिल जाए.
डेढ़ घंटे बाद मोदी जी के मुंह से मणिपुर शब्द पहली बार तब निकला, जब विपक्ष चला गया…
मणिपुर पर मोदी से देश की संसद बहुत गंभीर सवाल पूछ रही थी , जिसके जवाब में डेढ़ घंटे तक मोदी संसद में चकल्लस करते रहे. फिर विपक्ष के वाक आउट करने के बाद मन की बात की तरह मणिपुर पर एकालाप करके अविश्वास प्रस्ताव को विपक्ष के बिना गिरवा दिया.
आइए देखते हैं सांसद महुआ मोइत्रा के भाषण से लिए अंश व फैक्ट्स ताकि यह समझ सकें संसद में मोदी से विपक्ष किन संगीन हालात पर चर्चा करना चाहता था.
“3 महीने में 6,500 प्राथमिकी, किस राज्य में ऐसा देखने को मिला है?, 4,000 घरों को पिछले 3 महीनों में जलाया गया है, किस राज्य में ऐसा देखने को मिला है?, 60,000 से अधिक लोग राज्य से विस्थापित हुए हैं, जो राज्य के 2% आबादी के बराबर होते हैं, जैसा युद्ध या प्राकृतिक आपदा के दौरान ही संभव है, ऐसा किस राज्य में देखने को मिला है?, 150 लोग 3 महीने में मार डाले गये, ऐसा किस राज्य में हुआ है? किस राज्य ने 300 पूजा-स्थलों को ध्वस्त होते देखा है? मणिपुर राज्य पुलिस और असम राइफल्स के बीच हिंसक झड़प का वीडियो, जिसमें से एक का नियंत्रण गृह मंत्रालय के अंतर्गत आता है जबकि दूसरा राज्य पुलिस के नियंत्रण में है, आखिर किस राज्य में ऐसा देखा गया है? भीड़ द्वारा 5,000 आग्नेयास्त्र और 6,00,000 गोलियों की लूट पुलिस स्टेशनों से की गई है, किस राज्य में ऐसा देखा गया है? जातीय समूह अलग जोन में बंटे हुए हैं, जिसमें हिल के लोग घाटी में नहीं जा सकते, वहीं दूसरी ओर घाटी के लोग हिल में नहीं घुस सकते, आखिर किस राज्य में ऐसा है? पिछले 5 वर्षों के दौरान पोश्ते की खेती में 15,000 एकड़ से अधिक की वृद्धि हुई है। इस मुख्यमंत्री की निगरानी में 250 वर्ग किमी का वन क्षेत्र कम हो गया है। किस राज्य में यह देखा गया है? सिर्फ मणिपुर, किसी अन्य राज्य में नहीं, सिर्फ मणिपुर। इसलिए, सम्माननीय प्रधानमंत्री जी समस्या का हल ढूंढिए। पुलिस विभाग में एक भी बदलाव के बारे में एक शब्द भी हमने नहीं सुना है। सरकार के भीतर एक भी बदलाव की बात हमने नहीं सुनी है। किसी एक भी व्यक्ति ने इसकी जिम्मेदारी ली हो, इस बारे में एक भी शब्द हमने नहीं सुना है, जबकि केंद्र में जिसकी सरकार है उसी पार्टी का मणिपुर राज्य में भी शासन है।”
( टीएमसी सांसद महुआ मोइत्रा के संसद में दिए गए भाषण के अंश, जिसमें मणिपुर के भयावह हालात पर उठाए गए सवाल)
लगता है दीवार फिल्म के अमिताभ बच्चन का डायलॉग भाजपा वाले दिलो दिमाग में ऐसा बिठा चुके हैं कि हर जगह वह उसी अंदाज में बात करने लगे हैं।
संसद में बात आज मणिपुर के सामूहिक बलात्कार और नरसंहार पर हो रही है, भाजपा के सांसद और नेता उस पर जवाब देने की बजाय 1984 के दंगों पर या नेहरू- इंदिरा- राजीव राज में दशकों पीछे ले जाकर अन्य दंगों पर जवाब मांग रहे हैं। मतलब पहले नेहरू, इंदिरा, राजीव आकर उन दंगों पर जवाब दें, तब जाकर बीजेपी वाले मणिपुर पर संसद में कोई जवाब देंगे।
बिल्कुल इसी अंदाज में तो अमिताभ बच्चन ने भी कहा था कि जाओ पहले फलाने का साइन लाओ, ढमकाने का लाओ, चिलाने का लाओ… तब कहीं जाकर मैं साइन करूंगा। स्मृति ईरानी ने तो गजब ही कर दिया और मणिपुर की महिलाओं के सामूहिक बलात्कार से बड़ा मुद्दा संसद में राहुल गांधी की तथाकथित फ्लाइंग किस को बनाने में जुट गईं।
यानी उन्हें लगता है कि मणिपुर में महिलाओं को भीड़ ने निर्वस्त्र घुमा कर सामूहिक बलात्कार किया, उससे बड़ा अपराध राहुल गांधी ने संसद में फ्लाइंग किस की मुद्रा बनाकर किया ( अगर आरोप सही है तो)।
अमिताभ बच्चन ने तब दीवार फिल्म में देश के युवाओं को यह रास्ता दिखाया था कि अपराध करो या माफिया बन जाओ लेकिन उसमें कुछ भी गलत तब तक नहीं है, जब तक पूरी दुनिया नहीं सुधर जाती।
अब भाजपा देश के हर नेता और दल को यह नया रास्ता दिखा रही है कि किसी भी राज्य या केंद्र सरकार को देश या राज्य में कहीं भी किसी भ्रष्टाचार, डकैती, सामूहिक बलात्कार, नरसंहार, दंगा, बम विस्फोट, आतंकवाद आदि के किसी भी आरोप पर मीडिया ही नहीं संसद में भी तब तक सफाई नहीं देनी चाहिए, जब तक उनसे पहले की सरकारों में रहे नेता आकर अपने शासनकाल की हर करतूत की सफाई न दे दें.