Connect with us

Hi, what are you looking for?

सुख-दुख

विनीत नारायण बनाम सुब्रमणियम स्वामी… माज़रा है क्या?

Sanjaya Kumar Singh : विनीत नारायण और सुब्रमणियम स्वामी… सुब्रमणियम स्वामी ने पत्रकार विनीत नारायण और उनके ब्रज फाउंडेशन के खिलाफ आरोप लगाए हैं और मुख्यमंत्री को चिट्ठी लिखी है। उन्होंने ट्वीट किया कि उनकी चिट्ठी मुख्यमंत्री के पास पहुंच गई है। इसके बाद चिट्ठी के अंश और उनकी शिकायत सोशल मीडिया पर हैं। मामला इतना सीधा सा नहीं है।

विनीत सुब्रमणियम स्वामी के खिलाफ आरोप लगाते रहे हैं और प्रवर्तन निदेशालय के अधिकारी राजेश्वर सिंह के खिलाफ रहे हैं। पिछले दिनों जब सुप्रीम कोर्ट का फैसला राजेश्वर सिंह के खिलाफ आया थे तो विनीत नारायण और उनके सहयोगी रजनीश कपूर ने प्रेस कांफ्रेंस करके सुब्रमणियम स्वामी पर धमकाने का आरोप लगाया था। जेट एय़रवेज के खिलाफ एक मामले में भी विनीत और सुब्रमणियम स्वामी आमने सामने हैं। विनीत सोशल मीडिया पर सक्रिय नहीं हैं पर अपने अखबार और कॉलम में यह सब लिखते रहे हैं।

Advertisement. Scroll to continue reading.

जहां तक ब्रज फाउंडेशन का मामला है – बहुत पहले अदालत ने उन्हें वृंदावन के एक मंदिर का रिसीवर बनाया था। उसके बाद ही वहां उनकी सक्रियता शुरू हुई। फिर ब्रज फाउंजेशन बना और इस क्रम में उन्होंने काफी काम किया है और इसकी खबरें अखबारों में आती रही हैं। कहने की जरूरत नहीं है कि यह सब चंदे के पैसे से ही हुआ है।

उत्तर प्रदेश सरकार ने भी ब्रज फाउंडेशन को कई काम सौंपे थे जो उसने किए और बहुत सारे मामलों में कुंड की पुरानी और मौजूदा हालत में अंतर दिखाई देता है। विनीत की मानें तो उत्तर प्रदेश में सरकार बदलने के बाद कुछ पेशेवर कंपनियां यह काम पेशेवर अंदाज में करना चाहती हैं जबकि वे चंदे के पैसे से सेवा भावना के तहत करते हैं। मुकाबला पैसे की ताकत और सेवा भावना का है। सेवा बिना चंदे के नहीं हो सकती और पिछले दिनों चंदा देने वालों का नाम तक हटा या ढंक दिया गया। इस तरह, विनीत की शिकायत कम नहीं है।

Advertisement. Scroll to continue reading.

विनीत नारायण उन पत्रकारों में हैं जो सुप्रीम कोर्ट के पूर्व मुख्य न्यायाधीश के भ्रष्टाचार के मामले उजागर कर चुके हैं। दूसरी ओर, अपनी पिछली विज्ञप्ति में उन्होंने कहा था कि डॉ. स्वामी के बारे में जाना जाता है कि अपने पीआईएल के जरिए उन्होंने दर्जन भर मामले उठाए हैं पर तर्क संगत निष्कर्ष पर पहुंचने से पहले ही इनमें से ज्यादातर मामलों को वापस लेने की उनकी प्रवृत्ति रही है।

विनीत नारायण ने आरोप लगाया कि डॉ. स्वामी के लिए यह स्पष्ट रूप से धंधा है। उन्होंने डॉ. स्वामी द्वारा दाखिल पीआईएल की जांच के लिए एक एसआईटी बनाने की मांग की थी ताकि यह पता चला कि कितने मामले तर्कसंगत निष्कर्ष तक पहुंचे और कितने उन्होंने वापस ले लिए और शुरू में शोर मचाने के बाद आखिर इन्हें क्यों वापस लिया?

Advertisement. Scroll to continue reading.

राजेश्वर सिंह वाले मामले के बाग श्री नारायण ने आरोप लगाया था कि डॉ स्वामी जिस ढंग से प्रधानमंत्री मोदी की सरकार और उनके सचिवों पर हमला कर रहे हैं उससे यह स्पष्ट है कि वे सरकार और भारतीय अर्थव्यवस्था को अस्थिर करने के लिए दृढ़ निश्चय हैं। उन्होंने आगे कहा कि डॉ. स्वामी प्रधानमंत्री को ब्लैकमेल करके केंद्रीय वित्त मंत्री बनने के लिए व्याकुल हैं। जबकि तथ्य यह है कि देश का कानून मंत्री रहने और हावर्ड से स्नातक होने के बावजूद वे साधारण सी बात नहीं जानते हैं कि निजी संदेश भेजने के लिए आधिकारिक स्टेशनरी का उपयोग करना भारत का राज्य संप्रतीक (अनुचित प्रयोग प्रतिषेध) अधिनियन 2005 के तहत सजा योग्य अपराध है। देखा जाए आगे क्या होता है।

वरिष्ठ पत्रकार संजय कुमार सिंह की एफबी वॉल से.

Advertisement. Scroll to continue reading.

संबंधित खबरें…

https://www.youtube.com/watch?v=HyV9FscD1Dw

Advertisement. Scroll to continue reading.
Click to comment

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Advertisement

भड़ास को मेल करें : [email protected]

भड़ास के वाट्सअप ग्रुप से जुड़ें- Bhadasi_Group

Advertisement

Latest 100 भड़ास

व्हाट्सअप पर भड़ास चैनल से जुड़ें : Bhadas_Channel

वाट्सअप के भड़ासी ग्रुप के सदस्य बनें- Bhadasi_Group

भड़ास की ताकत बनें, ऐसे करें भला- Donate

Advertisement