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तापस रॉय के बाद रविंद्र वायकर : क्या BJP की कठपुतली बनकर काम कर रही जांच एजेंसियां?

लोकसभा चुनाव से ठीक पहले उद्धव ठाकरे को झटका लगा है. मुंबई की जोगेश्वरी विधानसभा सीट से विधायर रविंद्र वायकर रविवार को शिंदे वाली शिवसेना में शामिल हो गए. वायकर पर ईडी की जांच का शिकंजा कसा था. वायकर कथित तौर पर जोगेश्वरी में एक बड़े भूखंड घोटाले के आरोपी हैं.

बताया जा रहा है कि हाल ही में केस की सुनवाई के दौरान बीएमसी ने वायकर के खिलाफ अनियमितता के आरोप को नियमित करने की तेजी भी दिखाई थी. लेकिन इससे पहले सीएम एकनाथ शिंदे से उनकी गुप्त मुलाकात की चर्चा ज्यादा है.

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इस सब उठा-पटक में एक दिलचस्प बात सामने यह आई है कि शनिवार को उद्धव ठाकरे का जोगेश्वरी में जोरदार स्वागत करने वाले विधायक रविंद्र वायकर रविवार को ही उन्हें नमस्ते कह बीजेपी में चलते बने.

बहरहाल, यहां एक बात जो संजीदगी से समझने लायक है वो ये कि भाजपा तमाम जांच एजेंसियों का किस तरह दुरूपयोग कर रही है. हाल ही में पश्चिम बंगाल नेता तापस राय पर भी ईडी की छापेमारी हुई वो टीएमसी छोड़कर बीजेपी में शामिल हुए तो कार्रवाई बंद हो गई. अब ईडी रेड के बाद वायकर शामिल हुए तो जांच बंद.

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इसका मतलब तो यही जान पड़ता है कि भाजपा सीधे तौर पर जांच एजेंसी का भय दिखाकर नेताओं को अपने पाले में खींच रही है. यानी जांच एजेंसी भाजपा के एजेंट की तरह काम कर रही हैं.

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