रणविजय सिंह-
2013: भारत का विदेशी कर्ज करीब 388 अरब डॉलर था
2021: साहेब ने बिना छुट्टी लिए बिना सोए काम कर कर के इसे पिछले बरस ही करीब 614 अरब डॉलर तक पहुँचा दिया है ।
अभी 25 साल का अमृतकाल बाकी है आप सोचिए कि यह कहाँ का कहाँ पहुँचा देंगे । सचमुच सत्तर साल इस देश में कोई काम नहीं हुआ , काम तो अब हो रहा है ।
शीतल पी सिंह-
जिसके लिए संभव है वह प्रत्येक भारतीय मोदीजी के अमृतकाल में भारत छोड़ कर पश्चिमी देशों में बस जाने में ही भलाई समझ रहा है ।
बाहर जाने वालों की बहुतायत उन सवर्ण हिंदू जाति के लोगों की ही है जिनके प्रचंड बहुमत के लिए देश में स्वर्णिम युग चल रहा है क्योंकि कनेक्शन/शिक्षा/संपत्ति पर वही क़ाबिज़ हैं ।
क़रीब तीन सौ पचास लोग रोज़ देश छोड़कर निकल ले रहे हैं ।