नरेंद्र मोदी ने आरएसएस के अनुषांगिक संगठनों, हिंदूवादी संगठनों के नेताओ और सरकार के मंत्रियों व सांसदों के हिन्दू एजेंडे को बढ़ावा देने वाले बयानों से आजिज़ आकर प्रधानमंत्री पद छोड़ने की धमकी दी है। परन्तु लगता है कि मोदी की इस धमकी का आरएसएस पर कोई भी फर्क नहीं पड़ा है। यह बात आरएसएस मोहन भागवत के कलकत्ता में दिए गए उस ताजा बयान से साबित होती है जिसमें उन्होंने कहा है कि वे भारत को हिन्दू राष्ट्र के रूप में खड़ा करेंगे। उन्होंने यह भी कहा कि वे भूले भटकों को हिन्दू धर्म में वापस लाते रहेंगे और इस पर अगर किसी को आपत्ति है तो कानून बनाये। मोहन भागवत का यह ताजा बयान सीधे तौर से धर्म जागरण मंच के पश्चिमी उत्तर प्रदेश के प्रमुख राजेश्वर सिंह के उस बयान का समर्थन करता है जिसमे उन्होंने कहा था कि “2021 के अंत तक वे भारत को हिन्दू राष्ट्र बना देंगे और 31 दिसंबर 2021 तक भारत के मुस्लिमों और ईसाइयों को हिन्दू बना दिया जायेगा।”
इससे साफ़ होता है कि प्रधान मंत्री नरेंद्र मोदी का विकास का एजेंडा आरएसएस और इसके अनुषांगिक संगठनों के हिंदूवादी एजेंडे के सामने बौना साबित हो रहा है। असल में यही आजकल प्रधानमन्त्री नरेंद्र मोदी के माथे पर चिंता की लकीरें भी खींचता है। प्रधानमन्त्री नरेंद्र मोदी और सरकार के रणनीतिकार मानते हैं कि विकास के एजेंडे पर सत्ता में आयी मोदी सरकार को अभी कम से कम दो सालों तक हिंदूवादी एजेंडे और राम मंदिर मुद्दे से दूर ही रखा जाए परन्तु ऐसा होता दिख नहीं रहा है। विपक्ष इसी का फायदा उठाकर कई दिनों से संसद नहीं चलने दे रहा है, और धर्मांतरण के मुद्दे पर
प्रधान मंत्री के बयान देने की मांग पर अड़ा है। यदि यही खींचातानी होती रही तो लगता है कि मोदी की पूर्ण बहुमत वाली सरकार भी विकास के एजेंडे से भटक कर हिंदुत्व की पगडण्डी पर जाकर फंस जायेगी।
राकेश भदौरिया
पत्रकार
एटा
उत्तर प्रदेश
मो. 09456037346
Comments on “भागवत ने बढ़ाया मोदी का धर्म संकट”
मोदीजी ने जम्मू के हिन्दुओं को छोड़ कर कश्मीर के मुसलमानों की खुशामद कर के देख लिया, . हिंदुस्तान का मुस्लमान विकास नहीं केवल मज़हब देखता है. प्रखर हिंदुत्व के बल पर केंद्र में पूर्ण बहुमत की सरकार बनाने वाली भाजपा अगर सेक्युलर बनने की कोशिश करेगी तो आने वाले हर चुनाव में उसके वोट काम होते जाएँगे। उत्तर प्रदेश विधानसभा का चुनाव आने तक तो =पुनः मूषको भाव =वाली दशा हो जाएगी,