मुकेश अम्बानी की बादशाहत अब खतरे में है. रिलायंस इंडस्ट्रीज का शेयर बीते 4 ट्रेडिंग सेशन में लगभग 4 फीसदी टूट गया. इससे रिलायंस इंडस्ट्रीज की मार्केट वैल्यू एक झटके में 70 हजार करोड़ रुपए घट गई है. बताया जा रहा है कि यह ग्लोबल ब्रोकरेज हाउस मॉर्गन स्टैनली द्वारा आरआईएल के शेयर को डाउनग्रेड करते हुए ‘इक्वलवेट’ रेटिंग देने के कारण हुआ है.
एक कारण जो प्रत्यक्ष रूप से दिख रहा है कि अमेरिकी राष्ट्रपति ट्रंप द्वारा चीन से आयात होने वाली वस्तुओं पर 25 फीसदी अतिरिक्त टैरिफ लगाने से चार दिन से बाजार में गिरावट का दौर बना हुआ है. इससे कल भारतीय शेयर बाजार तीन माह के निचले स्तर पर पहुंचकर बंद हुआ है.
लेकिन मोर्गन स्टैनली ने रिलायंस के शेयर को डाउनग्रेड इसलिए किया है क्योंकि उन्होंने गैस और पॉलिस्टर मार्केट बाजारों में बढ़ते उत्पादन और 2020 तक स्लो ग्रोथ को देख रहे हैं. रिलायंस मुख्य रूप से इन्हीं बिजनेस में ट्रेड करती है. मॉर्गन स्टेनली के मुताबिक रिलायंस इंडस्ट्रीज की कमाई 2020 तक आधी हो जाएगी.
जिओ के कर्ज की वजह से रिलायंस इंडस्ट्रीज की हालत अब पतली हो गई है. दुनिया की सबसे बड़ी तेल उत्पादक कंपनी सऊदी अरामको को मुकेश अंबानी ने रिलायंस इंडस्ट्रीज के रिफाइनिंग और पेट्रोकेमिकल कारोबार में 25 फीसद हिस्सेदारी खरीदने का ऑफर दिया है. इसके अलावा इन्वेस्टमेंट बैंक जेपी मॉर्गन की रिपोर्ट के अनुसार जापान की सॉफ्टबैंक जियो में 14-21 हजार करोड़ इन्वेस्ट कर सकती है.
यानी साफ है कि मुकेश अंबानी का साम्राज्य अब उतना मजबूत नहीं रह गया है. रिलायंस इंडस्ट्री के मूल काम रिफाइनरी में अब पहले जितना मुनाफा नहीं रहा है. साथ ही जियो में अंबानी ने काफी पैसा निवेश किया हुआ है. इस वजह से रिलायंस इंडस्ट्री पर करीब तीन लाख करोड़ रुपए का कर्ज हो गया है. जी हाँ तीन लाख करोड़ का कर्ज. इसके साथ ही यदि अनिल अंबानी के एक लाख 72 हजार करोड़ के कर्ज को जोड़ ले तो दोनों भाइयों पर करीब 4 लाख 72 हजार का कर्जा है.
आर्थिक मामलों के विश्लेषक गिरीश मालवीय की एफबी वॉल से.