Connect with us

Hi, what are you looking for?

सुख-दुख

मरे हुए माफिया मुख़्तार की मूँछों पर क्यों ताव दिया बेटे ने!

मनीष सिंह-

जिंदा इंसान ताकतवर होता है, या नही भी होता है। पर मुर्दा, हमेशा बेबस ही दिखता है। बेबस मुर्दे को देख लोग दुखी हो सकते है, कुछ खुश भी हो सकते हैं।

लेकिन जिन्होंने भोगा है, सिर्फ वही समझेंगे.. कि पुत्र की निगाह, पिता के लिए जहां से जुदा होती है। जिस शख्स की उंगलियां पकड़कर चला। जिसकी गोद मे बैठा, जिसकी डांट सुनी। जिसके कंधे पर चढ़कर, भीड़ से ऊंचा बना। जिसे काली घनी जुल्फों को, सबसे नजदीक खड़ा होकर सफेदी अख्तियार करते देखा।

Advertisement. Scroll to continue reading.

जिसे वह सर्वशक्तिमान समझता था। उसे यूँ निश्चल, बेबस निर्जीव बदन देखना, दुनिया की सबसे बड़ी बदनसीबी है।

बहरहाल, मरने वाला कोई भी हो। एक बेटे को अपने पिता की मूछों पर ताव देना भिगा गया। बेटा वही, जो आखरी वक्त तक, बाप की मूछों को ताव दे सके। उसका ताव बन सके।

Advertisement. Scroll to continue reading.
Click to comment

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Advertisement

भड़ास को मेल करें : [email protected]

भड़ास के वाट्सअप ग्रुप से जुड़ें- Bhadasi_Group

Advertisement

Latest 100 भड़ास

व्हाट्सअप पर भड़ास चैनल से जुड़ें : Bhadas_Channel

वाट्सअप के भड़ासी ग्रुप के सदस्य बनें- Bhadasi_Group

भड़ास की ताकत बनें, ऐसे करें भला- Donate

Advertisement