माफिया डॉन मुन्ना बजरंगी हत्याकांड के वक्त बागपत जेल के जेलर रहे उदय प्रताप सिंह बर्खास्त
यूपी के गृह विभाग ने शुक्रवार को एक जेलर व एक डिप्टी जेलर को बर्खास्त कर दिया है। बाहुबली मुन्ना बजरंगी की हत्या के वक्त बागपत जेल के जेलर रहे उदय प्रताप सिंह को जांच के बाद बर्खास्त किया गया है। इसके अलावा डिप्टी जेलर धीरेंद्र कुमार सिंह भी बर्खास्त किए गए हैं।
इसके पहले अप्रैल के आखिरी सप्ताह में उत्तर प्रदेश की बागपत जेल में कैद माफिया डॉन मुन्ना बजरंगी की हत्या के मामले में दोषी पाए गए दो जेलकर्मियों जेल वॉर्डन माधव कुमार और हेड जेल वॉर्डन अजेंद्र कुमार को मथुरा के वरिष्ठ जेल अधीक्षक शैलेंद्र कुमार मैत्रेय ने बर्खास्त कर दिया है। मुन्ना बजरंगी की सुरक्षा की जिम्मेदारी जेल वॉर्डन माधव कुमार और हेड वॉर्डन अजेंद्र कुमार पर थी लेकिन इन्होंने इस संबंध में कई नियमों की अनदेखी की थी। जिसके चलते इस घटना को अंजाम दिया जा सका था।जुलाई 2018 में बागपत जेल में माफिया डॉन मुन्ना बजरंगी की कुख्यात अपराधी सुनील राठी ने गोली मारकर हत्या कर दी थी।
बागपत जेल में माफिया डान मुन्ना बजरंगी की हत्या मामले में जेलर और डिप्टी जेलर समेत पांच कर्मियों को दोषी ठहराया गया था। जांच में बागपत जिला कारागार के जेलर उदय प्रताप सिंह, डिप्टी जेलर शिवाजी यादव, एसपी सिंह के अलावा हेड वार्डर अरजिंदर सिंह व वार्डर माधव कुमार को दोषी माना गया था। इस मामले की जांच डीआईजी जेल आगरा ने की थी। जांच में सामने आया था कि जेल में मुन्ना बजरंगी की हत्या के आरोपी सुनील राठी की मनमानी चलती थी। उससे मिलने आने वालों की कोई जांच नहीं होती थी और न ही उनकी कहीं एंट्री कराई जाती थी। पूरा जिला जेल प्रशासन सुनील राठी के आगे नतमस्तक था। बागपत के ही अन्य कैदी जो उसके करीबी थी, वह सब साथ में ही रहते थे।
जांच में सामने आया था कि बागपत जेल में मुन्ना बजरंगी की हत्या से पहले उसकी जमकर पिटाई की गई थी। इसमें सुनील राठी, उसका भाई अरविंद राठी, एक लंबरदार समेत पांच लोगों के शामिल होने की बात सामने आयी थी।जांच में पता चला कि पिटाई के बाद बजरंगी की पूर्वांचल के एक बाहुबली माफिया से व्हाट्स एप पर काल कराई गई थी। इसके बाद बाहुबली ने फोन पर ही उसकी हत्या का फरमान सुना दिया। हत्या के समय सुनील राठी के साथ उसका भाई अरविंद राठी और जेल के लंबरदार बब्लू, जेल में ही बंद परमिंदर और प्रधान मौजूद थे।बजरंगी की हत्या से पहले एक महीने में तीन बार पूर्वांचल का यह बाहुबली बागपत जेल में सुनील राठी से मिला था। माना जा रहा है कि तभी मुन्ना बजरंगी के बागपत जेल पहुंचने की स्क्रिप्ट तैयार की जा चुकी थी।
मुन्ना बजरंगी का असली नाम प्रेम प्रकाश सिंह है. उसका जन्म 1967 में यूपी के जौनपुर जिले के पूरेदयाल गांव में हुआ था।उसने 5वीं कक्षा के बाद पढ़ाई छोड़ दी थी। छोटी उम्र में ही मुन्ना जुर्म की दुनिया में पहुंच गया।मुन्ना को हथियार रखने का बड़ा शौक था। वह फिल्मों की तरह एक बड़ा गैंगेस्टर बनना चाहता था। यही वजह थी कि 17 साल की नाबालिग उम्र में ही जौनपुर के सुरेही थाना में उसके खिलाफ मारपीट और अवैध असलहा रखने का मामला दर्ज किया गया था।इसके बाद मुन्ना ने कभी पलटकर नहीं देखा। वह जरायम के दलदल में धंसता चला गया। इसी दौरान उसे जौनपुर के स्थानीय दबंग माफिया गजराज सिंह का संरक्षण हासिल हो गया। मुन्ना अब उसके लिए काम करने लगा था। इसी दौरान 1984 में मुन्ना ने लूट के लिए एक व्यापारी की हत्या कर दी. उसके मुंह खून लग चुका था. इसके बाद उसने गजराज के इशारे पर ही जौनपुर के भाजपा नेता रामचंद्र सिंह की हत्या करके पूर्वांचल में अपना दम दिखाया। उसके बाद उसने कई लोगों की जान ली।
पूर्वांचल में अपनी साख बढ़ाने के लिए मुन्ना बजरंगी 90 के दशक में पूर्वांचल के बाहुबली माफिया और राजनेता मुख्तार अंसारी के गैंग में शामिल हो गया।. यह गैंग मऊ से संचालित हो रहा था, लेकिन इसका असर पूरे पूर्वांचल पर था। इसके बाद इस गैंग की ताकत बहुत बढ़ गई. मुन्ना सीधे पर सरकारी ठेकों को प्रभावित करने लगा था। पूर्वांचल में सरकारी ठेकों और वसूली के कारोबार पर मुख्तार अंसारी का कब्जा था।लेकिन इसी दौरान तेजी से उभरते बीजेपी के विधायक कृष्णानंद राय उनके लिए चुनौती बनने लगे।उन पर मुख्तार के दुश्मन वृजेश सिंह का हाथ था। उसी के संरक्षण में कृष्णानंद राय का गैंग फल फूल रहा था। इसी वजह से दोनों गैंग अपनी ताकत बढ़ा रहे थे। इनके संबंध अंडरवर्ल्ड के साथ भी जुड़े गए थे।कृष्णानंद राय का बढ़ता प्रभाव मुख्तार को रास नहीं आ रहा था।उन्होंने कृष्णानंद राय को खत्म करने की जिम्मेदारी मुन्ना बजरंगी को सौंप दी।मुन्ना बजरंगी ने 29 नवंबर 2005 को मुन्ना बजरंगी ने कृष्णानंद राय को दिन दहाड़े मौत की नींद सुला दिया। इस हत्याकांड ने सूबे के सियासी हलकों में हलचल मचा दी। हर कोई मुन्ना बजरंगी के नाम से खौफ खाने लगा। इस हत्या को अंजाम देने के बाद वह मोस्ट वॉन्टेड बन गया था।
भाजपा विधायक की हत्या के अलावा कई मामलों में उत्तर प्रदेश पुलिस, एसटीएफ और सीबीआई को मुन्ना बजरंगी की तलाश थी।इसलिए उस पर सात लाख रुपये का इनाम भी घोषित किया गया।उस पर हत्या, अपहरण और वसूली के कई मामलों में शामिल होने के आरोप थे। वो लगातार अपनी लोकेशन बदलता रहा और भागकर मुंबई चला गया।उसने एक लंबा अरसा वहीं गुजारा। उसके अंडरवर्ल्ड के लोगों से रिश्ते भी मजबूत होते जा रहे थे। वह मुंबई से ही फोन पर अपने लोगों को दिशा निर्देश दे रहा था।
उत्तर प्रदेश समते कई राज्यों में मुन्ना बजरंगी के खिलाफ मुकदमे दर्ज थे।वह पुलिस के लिए परेशानी का सबब बन चुका था। उसके खिलाफ सबसे ज्यादा मामले उत्तर प्रदेश में दर्ज थे।लेकिन 29 अक्टूबर 2009 को दिल्ली पुलिस ने मुन्ना को मुंबई के मलाड इलाके में नाटकीय ढंग से गिरफ्तार कर लिया था। तब से उसे अलग अलग जेल में रखा जा रहा है। मुन्ना बजरंगी का दावा था कि उसने अपने 20 साल के आपराधिक जीवन में 40 हत्याएं की थी।
वरिष्ठ पत्रकार जेपी सिंह की रिपोर्ट.