प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने कल अंडमान निकोबार द्वीप समूह के तीन द्वीपों के नाम बदलने की घोषणा की। नेताजी सुभाष चंद्र बोस द्वारा तिरंगा फहराने की 75वीं वर्षगांठ पर यह घोषणा की गई। मोदी ने अपने भाषण में कहा कि रॉस द्वीप का नाम बदलकर नेताजी सुभाष चंद्र बोस द्वीप रखा जाएगा, नील द्वीप को अब से शहीद द्वीप और हैवलॉक द्वीप को स्वराज द्वीप के नाम से जाना जाएगा। इस खास मौके पर प्रधानमंत्री ने एक स्मारक डाक टिकट, ‘फर्स्ट डे कवर’ और 75 रुपये का सिक्का भी जारी किया। साथ ही उन्होंने सुभाष चंद्र बोस के नाम पर एक मानद विश्वविद्यालय की स्थापना की भी घोषणा की। इससे पहले पीएम मोदी ने पोर्ट ब्लेयर में मरीना पार्क का दौरा किया और 150 फुट ऊंचा राष्ट्रीय ध्वज फहराया। यहां उन्होंने पार्क में स्थित नेताजी की प्रतिमा पर पुष्पांजलि भी अर्पित की।
आज ज्यादा खबरें नहीं है। इसके बावजूद यह खबर लीड नहीं बनी है। ना अंग्रेजी में ना हिन्दी में जबकि आराम से बनाई जा सकती थी। हिन्दुस्तान टाइम्स की लीड है मोदी 100 दिन के चुनाव प्रचार में 20 राज्यों का दौरा करेंगे। यहां पहले पन्ने पर बांग्लादेश चुनाव की खबर है पर नाम बदलने की नहीं। इंडियन एक्सप्रेस ने विद सावरकर यानी सावरकर (की फोटो) के साथ प्रधानमंत्री की बड़ी सी फोटो पहले पेज पर लगाई है और कैप्शन दिया है, रविवार को पोर्ट ब्लेयर की सेंट्रल जेल में वीडी सावरकर को श्रद्धांजलि देते प्रधानमंत्री। पर नाम बदलने की खबर पहले पेज पर नहीं है। यहां तक कि बांग्लादेश के चुनाव की खबर भी है। टाइम्स ऑफ इंडिया ने भी बांग्लादेश चुनाव की खबर (अभी नतीजा नहीं आया है, मतदान हो चुका है) पहले पन्ने पर लगाई है लेकिन नाम बदलने की खबर पहले पन्ने पर नहीं है। हालांकि, पहले पन्ने से पहले के अधपन्ने पर यह खबर अंदर होने की सूचना है।
द टेलीग्राफ ने बांग्लादेश चुनाव की खबर को ही लीड बनाया है। नाम बदलने की खबर अंदर के पन्ने पर है। हिन्दी अखबारों में खबरों की कमी और स्पष्ट है। हिन्दुस्तान ने तीन तलाक विधेयक को राज्यसभा में पेश किए जाने की खबर को लीड बनाया है। संख्या बल के आधार पर लोकसभा में यह विधेयक पास हो चुका है और सरकार का दावा है कि संख्या बल के अनुसार राज्यसभा में कमजोर होने के बावजूद वह इसे पास करा लेगी। इस आधार पर दैनिक हिन्दुस्तान ने इसे लीड बनाया है। अमूमन ऐसी खबरें लीड नहीं बनती हैं। इसके मुकाबले कई अन्य खबरें लीड बन सकती थीं। मैं अभी उन खबरों की चर्चा नहीं करके यही बताउंगा कि सरकार इस विधेयक को पास करके लागू करने के मूड में है। खबरों का टोटा हो तो कौन सी, कैसी खबरें लीड बनीं यह देखना दिलचस्प होता है। खासकर इसलिए कि वह खबर दूसरे अखबार में पहले पेज पर तो क्या कहीं भी नहीं होती।
उदाहरण के लिए, बांग्लादेश में हुए चुनाव में प्रधानमंत्री शेख हसीना की अवामी लीग का भारी मतों से चुनाव जीतना तय माना जा रहा है और यह अंग्रेजी के अखबारों में पहले पन्ने पर है। इसे हिन्दी में भी लीड बनाया जा सकता था। खासकर चुनाव से संबंधित आम सूचनाओं के साथ। चुनाव में 18 लोग मारे जा चुके हैं। ऐसे में चुनाव जीतने की संभावनाओं को गड़बड़ी भी माना जा रहा है। लेकिन अपने यहां के अखबारों में यह खबर पहले पन्ने पर नहीं के बराबर है। दैनिक जागरण ने मन की बात – जल, थल नभ में परमाणु संपन्न बना देश – को लीड बनाया है। राजस्थान पत्रिका ने अलवर में हत्या की एक खबर को लीड बनाया है। अमर उजाला ने गाजीपुर हिन्सा को लीड हनाया है। यहां हवलदार की हत्या में 11 उपद्रवी गिरफ्तार किए गए हैं।
नवभारत टाइम्स ने इसी खबर को यूपी पुलिस का खुद अपनी सुरक्षा के सवालों से हुआ एनकांउटर शीर्षक से लीड बनाया है। नवोदय टाइम्स और दैनिक भास्कर ने अंडमान द्वीप समूह के नाम बदले जाने की खबर को लीड बनाया है। नवोदय टाइम्स में इसके साथ मन की बात की खबर भी है। अंडमान द्वीप समूहों के द्वीपों के नाम बदलने की खबर टेलीग्राफ ने भी छापी है और बताया है कि यह मांग नेताजी सुभाषचंद्र बोस की एक रिश्तेदार और तृणमूल कांग्रेस की पूर्व सांसद कृष्णा बोस ने की थी। इस संबंध में उन्होंने प्रधानमंत्री को चिट्ठी लिखी थी। उन्होंने नाम बदलने का स्वागत किया है पर कहा है कि मेरा सुझाव ज्यादा अच्छा था।
टेलीग्राफ के मुताबिक उन्होंने कहा कि पोर्ट ब्लेयर मुख्य द्वीप है और प्रधानंमंत्री ने अगर मेरी (कृष्णा बोस की) बात मानी होती तो मैं ज्यादा खुश होती। वे चाहती थीं कि पोर्ट ब्लेयर का नाम पोर्ट नेताजी सुभाष किया गया होता तो वे ज्यादा खुश होतीं। उन्होंने कहा कि नेताजी ने अंडमान और निकोबार द्वाप समूह का नाम शहीद और स्वराज रखा था। श्रीमती बोस ने कहा कि उन्होंने 15 नवंबर को प्रधानमंत्री को चिट्ठी लिखकर नाम बदलने का आग्रह किया था पर उन्हें कोई जवाब नहीं मिला।
वरिष्ठ पत्रकार और अनुवादक संजय कुमार सिंह की रिपोर्ट। संपर्क : [email protected]