समीरात्माज़ मिश्रा-
प्रयागराज के रहने वाले कैबिनेट मंत्री नंद गोपाल नंदी अपनी मौजूदा पार्टी से नाराज़ हो गए हैं।
नाराज़गी की वजह यह है कि पिछले साल उनके ख़िलाफ़ समाजवादी पार्टी से विधायकी का चुनाव लड़ने वाले रईस चंद्र शुक्ल को डिप्टी सीएम केशव प्रसाद मौर्य ने बीजेपी में शामिल करा लिया और उनसे पूछा तक नहीं। ऐसा नंदी का कहना है। (और बीजेपी वालों का कहना है कि पूछ लिया जाता तो क्या नंदी कह देते कि हाँ, शामिल कर लो?)
नंदी प्रयागराज ज़िले की शहर दक्षिणी सीट से विधायक हैं। नंदी से पहले इस सीट से केशरीनाथ त्रिपाठी विधायक होते थे। कई बार जीते थे और हारे भी थे।
2017 में जब नंदी कई पार्टियों की यात्रा करते हुए बीजेपी में शामिल कराए गए तो यही शिकायत केशरीनाथ त्रिपाठी की भी थी कि उनसे पूछा तक नहीं गया।
केशरी नाथ त्रिपाठी तो एक तरह से आजीवन बीजेपी में रहे या बीजेपी के लिए रहे। यहाँ तक कि स्पीकर और गवर्नर रहने के दौरान भी, ऐसे उन पर आरोप लगते हैं। फिर भी बीजेपी ने नंदी को शामिल करने के मामले में उनसे नहीं पूछा था। पर नंदी जी ऐसे नहीं हैं। उनका अंदाज़ ‘आज यहाँ, कल वहाँ चले’ वाला है।
इधर, मेयर के चुनाव में उनकी पत्नी और निवर्तमान मेयर अभिलाषा नंदी का टिकट भी कट गया और कुछ लोग योगी मंत्रिमंडल के विस्तार और फेरबदल की चर्चा करके उनका ब्लड प्रेशर और बढ़ा रहे हैं। कुछ लोग अतीक अहमद के साथ तस्वीरें शेयर करके ‘आग में घी डाल’ रहे हैं तो लगे हाथ पत्रकार लोग भी इस तस्वीर को लेकर सवाल पूछ ले रहे हैं। जैसे वो सरकार में हैं ही नहीं (सरकार वालों से सवाल पूछना अब अच्छा नहीं माना जाता)।
यह सब क्यों हो रहा है, यह या तो नंदी या फिर उनकी मौजूदा पार्टी ही बता सकती है लेकिन दोनों ही नहीं बता रहे हैं।