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‘नवभारत’ के 805 लाख के लोन घोटाले में 7 मुलजिमों पर इल्जाम तय

इंदौर। बैंक ऑफ महाराष्ट्र को लोन के बहाने 805 लाख की चपत लगाने के मामले में ‘नवभारत’ समाचार पत्र के कर्ताधर्ताओं सहित 7 मुलजिमों के खिलाफ इंदौर की सीबीआई की विशेष अदालत में इल्जाम तय हो गए हैं। इस बीच  बैंक ने अर्जी देकर लोन संबंधी असली दस्तावेज दिलाने के लिए अदालत में गुहार लगाई है। मामले में अब नए साल में सुनवाई होगी।

<p>इंदौर। बैंक ऑफ महाराष्ट्र को लोन के बहाने 805 लाख की चपत लगाने के मामले में ‘नवभारत’ समाचार पत्र के कर्ताधर्ताओं सहित 7 मुलजिमों के खिलाफ इंदौर की सीबीआई की विशेष अदालत में इल्जाम तय हो गए हैं। इस बीच  बैंक ने अर्जी देकर लोन संबंधी असली दस्तावेज दिलाने के लिए अदालत में गुहार लगाई है। मामले में अब नए साल में सुनवाई होगी।</p>

इंदौर। बैंक ऑफ महाराष्ट्र को लोन के बहाने 805 लाख की चपत लगाने के मामले में ‘नवभारत’ समाचार पत्र के कर्ताधर्ताओं सहित 7 मुलजिमों के खिलाफ इंदौर की सीबीआई की विशेष अदालत में इल्जाम तय हो गए हैं। इस बीच  बैंक ने अर्जी देकर लोन संबंधी असली दस्तावेज दिलाने के लिए अदालत में गुहार लगाई है। मामले में अब नए साल में सुनवाई होगी।

मिली जानकारी के अनुसार बैंक ऑफ महाराष्ट्र ने नवभारत प्रेस भोपाल को 1260.60 लाख का टर्म लोन दिया था। इसमें से कंपनी ने केवल 415.15 लाख की इक्वीपमेंट मशीन का कार्य किया था, शेष 805.45 लाख रुपए का कोई सामान प्राप्त नहीं किया था, जिससे बैंक को इतनी राशि का नुकसान पहुंचा। सीबीआई के विशेष न्यायाधीश राजीव कुमार अयाची ने इस मामले में ब्रज पति प्रफुल्ल माहेश्वरी, उनके पुत्र सुमीत व संदीप माहेश्वरी, राकेश भाटिया सभी निवासी अरेरा कालोनी, भोपाल के अलावा नवभारत प्रेस, बेतवा रियलटर्स प्रा.लि. भोपाल सहित आरएस चंद्रमौली निवासी हैदराबाद के खिलाफ आईपीसी की धारा 420, 468, 471 व 120 (बी) में धोखाधड़ी, कूटरचना व आपराधिक साजिश रचने के जुर्म में इल्जाम तय कर दिए हैं। 

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उक्त सातों मुलजिमों के खिलाफ 31 मार्च 2011 को सीबीआई की अदालत में चालान पेश किया गया था, जबकि प्रफुल्ल माहेश्वरी, राजन मल्होत्रा, संदीप चौरसिया, प्रदीप चौरसिया, अशोकसिंह व शर्मा ग्राफिक्स आदि के खिलाफ सबूत नहीं होने का हवाला देकर उनके खिलाफ चालान पेश नहीं किया गया था। इस बीच बैंक ने एक अर्जी देकर कोर्ट से लोन संबंधी असली दस्तावेज मांगे हैं, जो फिलहाल सीबीआई के कब्जे में हैं। इसके लिए पूर्व में कोर्ट ने कहा था कि बैंक यदि इन दस्तावेजों की प्रमाणित कॉपी दे तो उसे मूल विक्रयपत्र दिया जाए। बताया जाता है कि लोन की रकम वसूलने के लिए बैंक ऋण वसूली अधिकरण (डीआरटी), जबलपुर में भी गई हुई है।

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