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आवाजाही

नई दुनिया इंदौर में दस साल से कार्यरत रिपोर्टर नवीन यादव का ये आख़िरी पत्र है चर्चा में!

आदरणीय साथियों, नमस्कार…

नईदुनिया के साथ क़रीब साढ़े १० साल का सफ़र आज समाप्त होने को आया गया है। एक अंग्रेज़ी अख़बार के क्राइम रिपोर्टर से यहाँ के सीनियर रिपोर्टर तक का सफ़र शानदार रहा।

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मैं, बीते १० सालों में शहर में जो प्रतिष्ठा और नाम कमा पाया हूँ। उसमें नईदुनिया का एक बड़ा योगदान रहा है। देश के चुनिंदा पत्रकारों के लिए रक्षा मंत्रालय द्वारा आयोजित किए जाने वाला डिफ़ेंस जर्नलिस्ट कोर्स को कर लेना, मेरे लिये एक बड़ी उपलब्धि रही। इसके लिए मैं नईदुनिया के पूर्व संपादक और मैनेजमेंट को धन्यवाद देता हूँ। जिन्होंने मुझे एक माह के लिये जाने की अनुमति दी।

सद्गुरू जी के साथ काम करके मज़ा आया।

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एक राज्य संपादक अपनी इमेज की चिंता किए बग़ैर कैसे सिटी टीम से प्रत्यक्ष संवाद रखते है। यह मेरे लिये नई बात रही। रिपोर्टर के आने जाने के समय पर नजर रखने का भी उनका एक अलग ही अंदाज है। नहीं तो अब तक के स्टेट एडिटर से महीने दो महीने में संवाद हो पाता था। सर के अभी तक के कार्यकाल में उनके कोप का शिकार मुझे तो नहीं होना पड़ा। यह मेरे लिये संतोषजनक है।

आपने मेरा इस्तीफ़ा लंबे समय तक स्वीकार नहीं किया। यह मेरे लिये किसी पत्रकारिता के बड़े अवार्ड से कम नहीं…… इसके लिए मैं आपका आभारी रहूँगा।

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लेकिन सर , अगर आज मैं, यह पोस्ट नहीं लिखूँगा तो अपने आप को कभी माफ नहीं कर पाऊँगा। मुझे यह भी पता है कि इसके बाद मेरे लिए नईदुनिया या जागरण समूह के दरवाज़े हमेशा के लिए बंद हो जाएँगे। लेकिन वो रिपोर्टर ही क्या जो आँखों देखी सत्य ना लिख पाए।

सर, आप जिस तरह से अपने निचले स्टाफ के साथ बर्ताव करते है, मेरे अनुसार वो एक स्टेट एडिटर को शोभा नहीं देता। वो रिपोर्टर, डेस्क के साथी भी आख़िरकार नौकरी कर रहे….. सब कामचोर और भ्रष्ट थोड़ी है। वो बच्चों और परिवार की जिम्मेदारी से डरते है। वरना आज के जमाने में इतना कौन सुनता है। कौन इतना जलील होना पसंद करता है।

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खैर दोस्तों…….

यहाँ काम करने में कोई दिक़्क़त नहीं थी । सब बढ़िया चल रहा था। लेकिन सिटी टीम की कमान बीते कुछ समय से अयोग्य हाथों में है और मुझे यह बात कहते कोई डर नहीं है की…. यह पोरस की सेना का हाथी है… जो अपनी ही टीम को तोड़ रहा है। मिस्टर अयोग्य ने टीम में गुटबाज़ी भर दी है।

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ये अख़बार का नुक़सान कर रहा है। अब यहां पर आइडिऐशन या स्टोरी पर कोई बात नहीं होती। ख़ास लोगों की तो मिसिंग तक नहीं निकलती…..

कुछ दिनों से कपिश भाई ज़रूर ख़बरों में वैल्यू एडिशन की माँग करते है….. लेकिन वो भी एक दायरे में बंधे है……. जो भी अभियान चल रहे उसकी प्लानिंग भी ख़ुद सद्गुरू जी कर रहे।मिस्टर अयोग्य को अपने गिरेबान में झांकना चाहिए। मुझे हैरानी इस बात की है की सद्गुरू जी की नाक के नीचे सब हो रहा है।

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खैर अब मैं इस्तीफ़ा दे चुका तो यह मेरा विषय नहीं है।

मित्रों एक और बात …. अच्छे लोग यहाँ से क्यों जा रहे और उनके रिप्लेसमेंट पर हमें क्या मिल रहा सोचने की बात है। विपिन अवस्थी, अमित जलधारी, अभिषेक चेंदके, देवेंद्र मीणा क्यों चले गये ? बड़ा सवाल है।

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और अंत में, मैं जितेंद्र यादव का धन्यवाद देना चाहूँगा। अगर वो उस दिन मीटिंग में आपत्तिजनक शब्दों का प्रयोग नहीं करते तो शायद मैं यहीं काम करता रहता। उस पर भी ऊपर सद्गगुरु जी को यह मैसेज देना कि बीट बदलने से मैं इस्तीफ़ा दे रहा हूँ। काफ़ी ग़लत लगा…..

जितेन्द्र यादव ये भूल गये की जब दैनिक भास्कर में एयरपोर्ट, पासपोर्ट, आरटीओ ,रेलवे , प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड, यशवंत क्लब, मेट्रो ट्रेन बड़ी जैसी बीटों की बड़ी ख़बरें छपी और अपने यहां के ख्यातिमान रिपोर्टर नहीं कर पाये तो मुझे बीट की कमान दी गई और मैंने क्या किया आप बीते तीन चार साल का नईदुनिया और दूसरे अख़बार निकाल के देख सकते है। पिछले दो माह से मुझ से यह बीटें लेने के बाद अखबार के क्या हाल है, यह भी अखबार उठा के देख लीजिएगा ।

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जितेन्द्र यादव यह भी भूल गए कि वे भी रिपोर्टर ही थे और अभी भी है। मैं उनका ४ साल रिलीवर रहा हूँ। तो मुझे पता है पानी की गहराई कितनी है।

खैर मुझे दूसरे की लाइन छोटी करने के बजाए अपनी लाइन लंबी करने में मजा आता है। इस बात पर गर्व है की मैंने संस्थान को अपनी माँ समझ कर काम किया है।

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काम करते करते दो बार कोरोना संक्रमित भी हुआ। लेकिन दम से काम किया । गर्व इस बात का भी की यहाँ की कोई बात बाहर लीक नहीं की…. नहीं तो नईदुनिया की मॉर्निंग मीटिंग में होने वाले संवाद ( ट्रेनी रिपोर्टर के साथ, पारिवारिक निजी बात, कपड़े, चेन ) काफ़ी लोग पूछा करते थे।

ख़ैर…….

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और एक जरूरी बात सर आप सभी से मेरा एक निवेदन है। रात के पेज अगर रात को ही चेक कर लिए जाये तो सुबह इस ग्रुप पर भाषाई अशुद्धि और हेडिंग की ग़लतियों को लेकर होने वाले लंबे संवाद से बचा जा सकेगा। बहुत टाइम खराब होता है सुबह सुबह……..

मेरी बात से किसी को ठेस पहुची हो तो क्षमा करे।

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मोबाइल से टाइप किया है…. कुछ बिंदी और मात्रा की गलती है… अशुद्ध हिन्दी के लिये दो बार माफ़ी…….

save naidunia
long live नईदुनिया

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नवीन यादव

आप सब का अनुज….
अलविदा…..

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(नवीन यादव जी ने ये इस्तीफा अपने नई दुनिया के इन हाउस स्टेट वाट्सअप ग्रुप पर डाला है जिसमें स्टेट के सभी एडिटर और रिपोर्टर साथी जुड़े हुए हैं)

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