नेशनल कंपनी लॉ ट्रिब्यूनल ने इंडियाबुल्स हाउसिंग फाइनेंशियल सर्विसेज की सुभाष चंद्रा के खिलाफ दी गई दिवाला याचिका को स्वीकार कर लिया है. चंद्रा के खिलाफ ये याचिका विवेक इंफ्राकॉन नाम की कंपनी को दी गई गारंटी को लेकर दाखिल की गई थी.
मामले में सुभाष चंद्रा ने दलील पेश की थी कि, व्यक्तिगत तौर पर गारंटी देने वाला दिवाला कार्यवाही के लिए उत्तरदायी नहीं हो सकता और एनसीएलटी के पास उनके खिलाफ प्रक्रिया शुरू करने का कोई अधिकार नहीं है.
मई 2022 में एनसीएलटी ने इसे यह मानते हुए खारिज कर दिया था कि उसके पास दिवाला कार्यवाही पर फैसला करने का अधिकार है.
एनसीएलटी की इस दलील के बाद चंद्रा ने नेशनल कंपनी लॉ अपीलेट ट्रिब्यूनल के समक्ष चुनौती दी. हालांकि, सभी पक्षों ने मामले को शांतिपूर्ण ढंग से निपटाने का फैसला करते हुए चुनौती वापस ले ली थी.
इसके बाद साल 2022 में आईबीएचएफ ने चंद्रा के खिलाफ निजी दिवाला प्रक्रिया शुरू करने की याचिका दायर दी थी, क्योंकि आईबीएचएफ ने चंद्रा की पर्सनल गारंटी पर विवेक इंफ्राकॉन प्राइवेट लिमिटेड को 170 करोड़ रुपये का लोन दिया था. जिसे कंपनी ने डिफॉल्ट कर दिया और लोन एनपीए में बदल गया.
मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक, आईबीएचएफ ने दावा कि चंद्रा ने विवाद को सेटल करने के संकेत दिए थे, बावजूद इसके महीनों बाद भी इसपर अमल नहीं हुआ. जिस कारण वे अब निजी दिवाला याचिका को अमल में लाने के लिए मजबूर हैं.
बता दें कि यह याचिका दिवाला और दिवालियापन संहिता 2016 के तहत दायर की गई थी.