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न्यूज़क्लिक रेड : छापे के एक साल बाद पत्रकारों ने स्वतंत्र मीडिया पर हमलों के खिलाफ खोला मोर्चा

स्वतंत्र मीडिया समूह न्यूजक्लिक पर भारत सरकार की कार्रवाई और इसके संस्थापक-संपादक प्रबीर पुरकायस्थ की गिरफ्तारी की पहली वर्षगांठ को लेकर प्रेस क्लब ऑफ इंडिया दिल्ली में एक सभा का आयोजन किया गया.

प्रेस कॉन्फ्रेंस और सार्वजनिक बैठक का आयोजन पीसीआई के सहयोग से दिल्ली यूनियन ऑफ जर्नलिस्ट (DUJ), प्रेस एसोसिएशन (PA), इंडियन वूमेन प्रेस कॉर्प्स (AWPC) और केरल यूनियन ऑफ वर्किंग जर्नलिस्ट द्वारा किया गया.

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गुरुवार 3 अक्तूबर को आयोजित कार्यक्रम में प्रबीर के साथ, पीपुल्स आर्काइव ऑफ रूरल इंडिया के संस्थापक-संपादक पी साईनाथ और भारत के प्रमुख अंग्रेजी दैनिक द हिंदू के पूर्व संपादक एन राम सहित कई अन्य वरिष्ठ पत्रकारों ने यूनियनों के पदाधिकारियों को संबोधित किया.

वक्ताओं ने हिंदू वर्चस्ववादी और अति दक्षिणपंथी पार्टी भाजपा की नरेंद्र मोदी के नेतृत्व वाली सरकार के तहत भारत में स्वतंत्र प्रेस के लिए कम होती जगहों पर चिंता व्यक्त की और मीडिया की स्वतंत्रता को बचाने के लिए ठोस और संगठित प्रतिरोध का आह्वान किया.

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सभी वक्ताओं ने प्रबीर और न्यूजक्लिक के खिलाफ मनगढ़ंत आरोपों की निंदा की और रेखांकित किया कि संगठन और इसके संस्थापक संपादक पर हमले 1975 के बाद से देश के इतिहास में मीडिया की स्वतंत्रता का सबसे निचला बिंदु था जब आपातकाल घोषित किया गया.

सभा को संबोधित करते हुए प्रबीर ने कहा कि- “आज भारत में प्रिंट और इलेक्ट्रॉनिक मीडिया दोनों ही समझौतावादी है और देश की आवाजों और विचारों की विविधता का प्रतिनिधित्व नहीं करते हैं. उन्होंने दावा किया कि भारत में डिजिटल प्लेटफॉर्म के माध्यम से वैकल्पिक मीडिया का उदय उस विविधता का दावा था जो राज्य के दबाव के कारण खो गई थी.”

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प्रबीर ने कहा- “क्योंकि भाजपा के नेतृत्व वाली सरकार को विभिन्न विचारों और आवाजों से खतरा महसूस होता है, इसलिए उसने दमनकारी राज्य एजेंसियों के उपयोग के साथ-साथ प्रस्तावित प्रसारण विधेयक जैसे प्रतिगामी कानून के खतरों के माध्यम से डिजिटल स्पेस को कंट्रोल करने की कोशिश की है. उन्होंने कहा कि, प्रौद्योगिकी और डिजिटल क्रांति से सशक्त लोगों की भारी संख्या के कारण, उन सभी को पूरी तरह से बंद करना किसी भी सरकार के लिए एक कठिन काम होगा.”

एन राम ने रिपोर्टर्स विदाउट बॉर्डर्स की एक रिपोर्ट का हवाला देते हुए कहा (जिसमें भारत को पत्रकारों सबसे खतरनाक जगहों में एक बताया गया है)- “भारत में भाजपा सरकार ने केंद्रीय कानून प्रवर्तन एजेंसियों का उपयोग करके और गैरकानूनी गतिविधियां रोकथाम अधिनियम (यूएपीए) जैसे कठोर कानूनों का उपयोग करके उन्हें धमकी देने सहित असहमति की आवाज को दबाने के लिए हर पैंतरेबाजी की है.”

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वक्ताओं ने पुष्टि की कि भारत में, पत्रकारों पर दबाव इतना है कि जो लोग राज्य की राजनीतिक लाइन के सामने आत्मसमर्पण करने में विफल रहते हैं, उन्हें या तो मार दिया जाता है, जेल में डाल दिया जाता है या बेरोजगारी के लिए मजबूर किया जाता है. इनमें से कुछ आवाजों को बदनाम करने के लिए सोशल मीडिया पर अलग-अलग अभियान चलाए गए हैं, जिससे काम ढूंढना लगभग असंभव हो गया है.

न्यूजक्लिक को इस साल फरवरी में अपने अधिकांश कर्मचारियों को जाने देने के लिए मजबूर होना पड़ा क्योंकि इनकम टैक्स अफसरों द्वारा दिसंबर 2023 में उसके बैंक खातों को प्रभावी ढंग से बंद करने के बाद वह वेतन देने में असमर्थ था. इसकी महज साइट चल रही है.

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सात माह बाद, कई पूर्व कर्मचारी अभी भी नौकरी की तलाश कर रहे हैं और गंभीर आर्थिक दिक्कतों का सामना कर रहे हैं. पीपुल्स डिस्पैच नामक समाचार संगठन से बात करते हुए कई कर्मचारियों ने दावा किया कि न्यूजक्लिक के नाम से जुड़े कलंक के कारण वे सभी नई नौकरियां पाने में असमर्थ हैं.

पूर्व कर्मचारियों ने पीपल्स डिस्पैच को बताया कि सरकारी कार्रवाई और मीडिया निंदा अभियान के तमाशे ने संभावित नियोक्ताओं के बीच डर पैदा कर दिया है. उन्हें डर है कि न्यूज़क्लिक के पूर्व कर्मचारियों को काम पर रखने से उनके अपने संगठनों को अनावश्यक जांच का सामना करना पड़ सकता है.

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बता दें कि यह कार्रवाई अगस्त 2023 में न्यूयॉर्क टाइम्स द्वारा प्रकाशित एक लेख से शुरू हुई थी जिसमें दावा किया गया था कि न्यूजक्लिक चीन से संचालित एक अंतर्राष्ट्रीय प्रचार नेटवर्क का हिस्सा है.

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1 Comment

1 Comment

  1. कृपाशंकर दवे

    October 5, 2024 at 3:58 pm

    जो चीन और कांग्रेसियों के पाले हुए उनको देशभक्त मोदी सरकार का राष्ट्रप्रेम पसंद nhi aayega or midia me bhi deshbhakt or desh ke virodhi bhi he patrakar jo malai khaye vo सेटिंग और बड़े पदों पर रहे अब सरकार चेंज और उनका ठाट बाट सब खत्म क्यू की कांग्रेसी वाम मोर्चा आयेंगे नही सता में देश की जनता अब सब जान चुकी

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