राजेंद्र त्रिपाठी-
इस लूट को क्या नाम दूं… अभी चार दिन ही बीते हैं। मेरठ-दिल्ली एक्सप्रेस वे के काशी टोल प्लाजा पर लूट हो गई। लुटेरे है एनएचआई द्वारा नियुक्त किए गए ठेकेदार। कल दिन से रात तक कोई दिल्ली तक गया हो ना गया हो, पर टोल पर 155 रुपए कट गए।
इस लूट का शिकार मैं भी हुआ। रात करीब 10:30 बजे काशी टोल प्लाजा से गुजरा। गाजियाबाद आईएमएस पर ही उतर गया। रेलवे स्टेशन गाजियाबाद जाना था। करीब साढ़े बारह बजे काशी टोल प्लाजा पर पहुंचा तो, गाड़ियों की कतार थी।
पता चला फास्ट टैग सिस्टम में कुछ तकनीकी खराबी आ गई। बैरियर पर पहुंचा तो स्क्रीन पर 155 रुपए शो किया। टोल बैरियर पर मौजूद कर्मचारी से पूंछा तो उसका कहना था कि मेरी कार में फास्ट टैग नहीं है इसलिए दोगुना कटा।
उसकी बात सुन कर मैं चकरा गया।
मजे कि बात तो यह कि इस कटौती का मैसेज करीब चौबीस घंटे बाद आज रात मिला। मैसेज में फास्ट टैग से 155 रूपए कटने की जानकारी दी गई थी।
मैं खुश रहा कि आज बिना टोल के यात्रा हुई। रात देखा तो मेरा कट चुका था। इस ज्यादती के खिलाफ जब टोल हैल्प लाइन 1033 पर बात करने की कोशिश की तो उधर से बड़ी देर तक यही सुनाई देता रहा कि-हमारे एक्जिक्यूटिव व्यस्त हैं।
अब लूट को क्या नाम दूं? किससे शिकायत करूं? कहां रपट लिखाऊं?/सवाल 155 रू का नहीं सवाल उस लूट का है जो सरे आम हुई। गाजियाबाद तक का सफर किया भुगतान दिल्ली तक लिया गया।
कल टोल प्लाजा पर सारे दिन लूट हुई।क्या एनएचएआई इसकी भरपाई करेगा? कोई मैकेनिज्म है उसके पास जो लूट के शिकार हुए लोगों की भरपाई कर सके….