सरफ़राज़ नज़ीर-
एक खातून अचानक इनबाक्स में आई और पूछा कि निक़हत ज़रीन ( Nik-Hat Zarreen) जिसमें उर्दू का ن، ق، ھ، ت नून क़ाफ हे और ते आता है, के वर्ल्ड चैम्पियन बनने पर कोई मुबारकबाद नहीं दी। क्यों? मैंने फौरन जवाब दिया कि दिमाग़ में कुछ और चल रहा है, निक़हत इससे पहले चैम्पियनशिप में प्रतिभाग़ को लेकर बड़ी लड़ाई लड़ चुकी है।
बहरहाल अभी उनके ईनाम इक़राम को लेकर हमारे भाई पोस्ट दर पोस्ट कर रहे हैं, भाईयों का मुतालेबा ये है कि इस तरह की चैम्पियनशिप जीतने पर नक़द ईनाम, नौकरी वग़ैरह का ऐलान सरकारों की जानिब से किया जाता रहा है लेकिन निक़हत के मुआमले में ऐसा नहीं हुआ। तो भाई लोग शिकायत मत किजिए, क्योंकि 1000 साल पहले किस इमारत के नीचे क्या है और उसकी तारीख़ी हैसियत बता देने वाले एक अदद नाम लेना भी नहीं सीख पाए,
तमाम मीडिया हाऊस, एंकर, एंकरनी, पोर्टल, अख़बारात ने कहीं निघत कहीं निखत और कहीं निगहत लिखा, सैकड़ों सालों से हमारे साथ रह कर कम पढ़े से लेकर हाइली एजुकेटेड लोगों की ज़बान एक अदद नाम लेने में अटक जाती है। इनका तलफ्फुज़ मने उच्चारण जिसे अंग्रेज़ी में प्रोननसिएशन कहते हैं भी दुरूस्त नहीं वो क्या ईनाम इक़राम देंगे।
नवाज़ने और सरफराज़ करने वाली ज़ात बस अल्लाह की है। हम उसी से मदद और जाइज़ ख़्वाहिश की तलब करते हैं।