बात बहुत पुरानी नहीं है. ठीक एक साल पहले इसी महीने की बात है. नोएडा के एक अधिकारी ने मेरी सच्ची खबर से आहत होकर मुझे जेल में डाल दिया.
तब तथाकथित अपनों ने मुझसे व मेरे परिवार से दूरी बना ली. मेरी जमानत न हो जाए इस भय से अफसरों ने सरकारी खजाने से मोटी रकम अदा कर निजी क्षेत्र के बड़े वकील को खड़ा कर दिया. उस वकील ने अपना काम किया और जमानत लंबे समय तक नहीं होने दी.
दमन के इस दौर में अचानक से मेरे लिए फरिश्ता बन कर सामने आए आदरणीय प्रशांत भूषण जी.
प्रशांत जी के विशेष सहयोग की देन है कि आज मैं आप सभी के बीच हूं.
प्रशांत जी, आप मेरे व मेरे परिवार के लिये भगवान से कम नहीं हैं.
आप के विचारों से किसी को असहमति हो सकती है पर आपकी योग्यता, संवेदनशीलता उच्चकोचि की है, मानवीयता के प्रति आपकी आस्था-समर्पण अद्वितीय है, बेजोड़ है।
नीतिश पांडेय
पत्रकार
लखनऊ