Connect with us

Hi, what are you looking for?

सियासत

अमेरिकी राष्ट्रपति बराक ओबामा के स्टेट ऑफ़ द यूनियन के अंतिम भाषण से संकटग्रस्त पूंजीवाद का चीत्कार सुनाई दे रहा!

Arun Maheshwari : अमेरिकी राष्ट्रपति बराक ओबामा का स्टेट ऑफ़ द यूनियन का अंतिम भाषण सुना। अमेरिकी कांग्रेस को संबोधित अट्ठावन मिनट का यह भाषण ओबामा के ख़ास प्रकार के आवेग, ओज और आकर्षक वाग्मिता के साथ ही कई मायनों में विचारोत्तेजक और पूरी दुनिया के मौजूदा परिदृश्य और उसमें अमेरिका की एक नेतृत्वकारी और निर्णायक भूमिका के बारे एक समग्र दृष्टिकोण को पेश करने वाला भाषण था। इस पर अलग से धीरज के साथ लिखने की ज़रूरत है।

<p>Arun Maheshwari : अमेरिकी राष्ट्रपति बराक ओबामा का स्टेट ऑफ़ द यूनियन का अंतिम भाषण सुना। अमेरिकी कांग्रेस को संबोधित अट्ठावन मिनट का यह भाषण ओबामा के ख़ास प्रकार के आवेग, ओज और आकर्षक वाग्मिता के साथ ही कई मायनों में विचारोत्तेजक और पूरी दुनिया के मौजूदा परिदृश्य और उसमें अमेरिका की एक नेतृत्वकारी और निर्णायक भूमिका के बारे एक समग्र दृष्टिकोण को पेश करने वाला भाषण था। इस पर अलग से धीरज के साथ लिखने की ज़रूरत है।</p>

Arun Maheshwari : अमेरिकी राष्ट्रपति बराक ओबामा का स्टेट ऑफ़ द यूनियन का अंतिम भाषण सुना। अमेरिकी कांग्रेस को संबोधित अट्ठावन मिनट का यह भाषण ओबामा के ख़ास प्रकार के आवेग, ओज और आकर्षक वाग्मिता के साथ ही कई मायनों में विचारोत्तेजक और पूरी दुनिया के मौजूदा परिदृश्य और उसमें अमेरिका की एक नेतृत्वकारी और निर्णायक भूमिका के बारे एक समग्र दृष्टिकोण को पेश करने वाला भाषण था। इस पर अलग से धीरज के साथ लिखने की ज़रूरत है।

लेकिन आज की दुनिया की सबसे प्रमुख और लगभग अप्रतिद्वंद्वी शक्ति के राष्ट्र प्रधान के इस भाषण से इस बात का पूरा अंदाज मिल जाता है कि आने वाले दिनों में दुनिया की सूरत क्या हो सकती है। ओबामा के इस भाषण में स्वाभाविक रूप से मध्यपूर्व का उल्लेख आया, आतंकवाद एक प्रमुख विषय रहा, इरान, इराक़, अफ़ग़ानिस्तान, रूस, चीन और क्यूबा की भी चर्चा हुई, उसके पश्चिम के सहयोगी देशों का तो बार-बार ज़िक्र आया, अंत में जनतंत्र की संभावनाओं के विस्तार की बातें भी आईं, लेकिन भारत या दक्षिण एशिया एक सिरे से ग़ायब रहा।

Advertisement. Scroll to continue reading.

ओबामा ने अमेरिकी कांग्रेस के सामने चार सवाल रखें और कहा कि इनके समाधान में ही हमारा भविष्य निहित है. पहला, इस नई अर्थ-व्यवस्था में हम प्रत्येक को कैसे उचित अवसर और सुरक्षा प्रदान कर सकते हैं? दूसरा, कैसे हम तकनीक का हमारे हित में, न कि अहित में, इस्तेमाल कर सकते है, ख़ास तौर पर तब, जब हमें जलवायु में परिवर्तन की तरह की चुनौतियों का तत्काल समाधान करना है? तीसरा, हम कैसे अमेरिका को सुरक्षा प्रदान करें और बिना किसी पुलिसमैन की भूमिका अदा किये दुनिया को नेतृत्व प्रदान कर सकें? और अंतिम, कैसे हम अपनी राजनीति को ऐसा बनायें कि उसमें हमारा जो श्रेष्ठ है, वह प्रतिबिंबित हो न कि जो सबसे निकृष्ट है वह?

ओबामा ने कहा कि जो भी यह कहता है कि अमेरिकी अर्थ-व्यवस्था का पतन हो रहा है, वह मनगढ़ंत बात कह रहा है। अभी जो सच है, जिसे लेकर बहुत से अमेरिकी चिंतित हैं, वह यह कि अर्थ-व्यवस्था में बहुत गहरे परिवर्तन हो रहे हैं, ऐसे परिवर्तन जो मंदी के आने के बहुत पहले से चल रहे हैं और आज भी बदस्तूर जारी है। आज तकनीक ने न सिर्फ़ कारख़ानों में रोज़गार को कम नहीं किया है, बल्कि वह प्रत्येक रोज़गार में पहुँच रही है जहाँ भी ऑटोमेशन संभव है। वैश्विक अर्थ-व्यवस्था में कंपनियाँ किसी भी जगह हो सकती हैं और उन्हें तीव्र प्रतिद्वंद्विता का सामना करना पड़ता हैं। इसके कारण मज़दूरों के उन्नति के अवसर कम होते हैं। कंपनियों की अपने देशों के प्रति निष्ठा कम हुई है। और ज़्यादा से ज़्यादा आमदनी और संपदा सबसे ऊपर वालों के पास संकेंद्रित हैं।

Advertisement. Scroll to continue reading.

इन सबसे काम पर लगे हुए मज़दूरों को भी निचोड़ लिया जाता है ; भले ही अर्थ-व्यवस्था में अभिवृद्धि हो रही हो। इससे कड़ी मेहनत करने वाले परिवारों का ग़रीबी से निकलना दुष्कर हो रहा है, नौजवानों के लिये अपना भविष्य बनाना कठिन हो रहा है, मज़दूर जब सेवा निवृत होना चाहता है, उसे भारी मुश्किल आती है। यद्यपि इनमें कुछ भी ऐसा नहीं है जो सिर्फ़ अमेरिका से जुड़ा हो , लेकिन यह हमारे अपने अमेरिकी विश्वास के विरुद्ध है कि जो भी कड़ी मेहनत करता है उसे उसका उचित लाभ मिलना चाहिए।

जाने माने साहित्यकार अरुण माहेश्वरी के फेसबुक वॉल से

Advertisement. Scroll to continue reading.

Advertisement. Scroll to continue reading.
Click to comment

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Advertisement

भड़ास को मेल करें : [email protected]

भड़ास के वाट्सअप ग्रुप से जुड़ें- Bhadasi_Group

Advertisement

Latest 100 भड़ास

व्हाट्सअप पर भड़ास चैनल से जुड़ें : Bhadas_Channel

वाट्सअप के भड़ासी ग्रुप के सदस्य बनें- Bhadasi_Group

भड़ास की ताकत बनें, ऐसे करें भला- Donate

Advertisement