अमेरिकी राष्ट्रपति बराक ओबामा के स्टेट ऑफ़ द यूनियन के अंतिम भाषण से संकटग्रस्त पूंजीवाद का चीत्कार सुनाई दे रहा!

Arun Maheshwari : अमेरिकी राष्ट्रपति बराक ओबामा का स्टेट ऑफ़ द यूनियन का अंतिम भाषण सुना। अमेरिकी कांग्रेस को संबोधित अट्ठावन मिनट का यह भाषण ओबामा के ख़ास प्रकार के आवेग, ओज और आकर्षक वाग्मिता के साथ ही कई मायनों में विचारोत्तेजक और पूरी दुनिया के मौजूदा परिदृश्य और उसमें अमेरिका की एक नेतृत्वकारी और निर्णायक भूमिका के बारे एक समग्र दृष्टिकोण को पेश करने वाला भाषण था। इस पर अलग से धीरज के साथ लिखने की ज़रूरत है।

अमरीकी राजदूत रिचर्ड पहुंचे पंजाब केसरी के कार्यालय

भारत में अमरीका के राजदूत रिचर्ड राहुल वर्मा अपने जालंधर दौरे के दौरान पंजाब केसरी कार्यालय में आए. इस दौरान उन्होंने अख़बार के संपादक विजय चोपड़ा, संयुक्त संपादक अविनाश चोपड़ा ,निदेशक अभिजय चोपड़ा के साथ भारत और अमेरिका के रिश्तों को लेकर बात चीत की। 

तेजी से ढह रहा मर्डोक का मीडिया साम्राज्य, न्यूज कार्प का मुनाफा 52 फीसदी तक लुढ़का

ये सूचना भारतीय प्रिंट अखबार समूहों के भी होश उड़ाने वाली है। विश्व के मीडिया मुगल कहे जाने वाले रूपर्ट मर्डोक के न्यूज कार्प का मुनाफा अमेरिका में तेजी से ढह रहा है। समाचार पत्रों की प्रसार संख्या और मुद्रित प्रकाशनों के लिए विज्ञापनों की तादाद दोनों में कमी लगातार गिरावट दर्ज हो रही है। इसकी एक खास वजह सोशल मीडिया को भी माना जा रहा है।  

यूपी सीएम अखिलेश ने महज मौजमस्ती के लिए सरकारी पैसे पर विदेश टूर किया!

सरकारी खर्चों पर किए गये विदेश दौरों के बाद उन दौरों के दौरान सीखी गयी बातों को लेकर रिपोर्ट तैयार करना और उस पर अमल करना एक सामान्य प्रक्रिया है परंतु यूपी सीएम के सरकारी विदेश दौरे इस सामान्य प्रक्रिया से छूट प्राप्त श्रेणी में आते हैं. यह खुलासा लखनऊ निवासी सामाजिक कार्यकर्ता और इंजीनियर संजय शर्मा की एक आरटीआई से हुआ है। दरअसल, संजय की आरटीआई के जवाब में उत्तर प्रदेश के गोपन विभाग के विशेष सचिव एवं जन सूचना अधिकारी कृष्ण गोपाल ओर से जो उत्तर मिला है, उसने अखिलेश के विदेश दौरों की पोल खोल दी है.

लोकप्रियता का मतलब आश्वस्ति नहीं है मोदी जी, आप कैसे करेंगे इस सिस्टम में बदलाव

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नरेंद्र मोदी अमरीका में लोकप्रिय पहले से ही थे, अब लोकप्रियता के प्रचंड शिखर पर पहुंच चुके हैं। लेकिन, उनकी लोकप्रियता भर से क्या अमरीका में रह रहे भारतीय वतन लौट आएंगे? शायद नहीं।

गुजरात दंगों पर नरेंद्र मोदी को अमेरिकी अदालत के सम्मन की ओरीजनल प्रति भड़ास पर पढ़ें

गुजरात दंगों को लेकर अमेरिका की एक अदालत ने गुजरात के पूर्व मुख्यमंत्री और भारत के वर्तमान प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को जो सम्मन जारी किया है, उसकी प्रति यहां नीचे अपलोड है. इस सम्मन से कई बातें स्पष्ट हैं. पहली तो ये कि गुजरात दंगों में मारे गए दो अमेरिकी नागरिकों को लेकर ये सम्मन है जिसमें हर्जाना देने को कहा गया है. अमेरिका ने गुजरात दंगों को लेकर ही वर्ष 2003 में अपने यहां इमीग्रेशन और नेशनल्टी एक्ट के तहत नरेंद्र मोदी का टूरिस्ट / बिजनेस वीजा कैंसल कर दिया था.

मोदी के खिलाफ अमेरिकी सम्मन ने गुजरात दंगों के घाव को हरा किया

Dilnawaz Pasha : अमरीका की संघीय अदालत ने गुजरात दंगों के संबंध में भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के लिए सम्मन जारी किया है. मोदी पर इसका कोई असर नहीं पड़ेगा क्योंकि भारत के प्रधानमंत्री के रूप में वे अमरीकी कानूनों से ऊपर हैं. लेकिन मोदी के खिलाफ याचिका दायर करने वालों के लिए ये एक रणनीतिक जीत ज़रूर है. मोदी जब दुनिया के सामने एक स्टेट्समैन (प्रभावशाली नेता) के रूप में उभर रहे हैं ठीक उसी वक़्त उन्होंने दुनिया को गुजरात दंगों और उनमें मोदी की भूमिका की याद दिला दी है. सवाल यह भी है कि एक स्वतंत्र राष्ट्र के लोकतांत्रिक तरीके से चुने गए राष्ट्रप्रमुख के खिलाफ़ अमरीकी अदालत का समन जारी करना कहां तक सही है?

बीबीसी में कार्यरत पत्रकार दिलनवाज पाशा के फेसबुक वॉल से. इस स्टेटस पर आए कुछ त्वरित कमेंट्स इस प्रकार हैं…

अमेरिकी कोर्ट ने मोदी के खिलाफ सम्मन जारी किया यानि सिर मुड़ाते ही ओले…. !!!!

नरेंद्र मोदी अमेरिका गए हैं और जाने से पहले अमेरिका और ओबामा की जमकर तारीफ कर गए हैं. पर अमेरिका है कि मानता ही नहीं. अमेरिका ने नरेंद्र मोदी को वीजा के लिए तरसा दिया. आने का न्योता तभी दिया जब मोदी पीएम बन गए. अब जब मोदी अमेरिका पहुंच गए हैं तो खबर आ रही है कि एक अमेरिकी अदालत ने मोदी के खिलाफ सम्मन जारी कर दिया है. तो ये है भारत के प्रधानमंत्री की औकात.

भारत के मोदी पेड मीडियाकरों और पत्रकारों के ध्यानार्थ…. जरा अमेरिकी मीडिया की इस तथ्यपरक रिपोर्टिंग को भी देख-पढ़ लें

Mohammad Anas : भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अमेरिका यात्रा की शुरुआत हो चुकी है. भारतीय मीडिया ने मोदी के दौरे को त्यौहार की तरह मनाने का निर्णय लेते हुए बहुत से पत्रकारों को अमेरिका भेज दिया. कई बड़े मीडिया घराने मोदी की यात्रा को चौबीस घंटे की कवरेज तक दे रहे हैं. ऐसे में अमेरिका के दो बड़े मीडिया समूह में मोदी की अमेरिकी यात्रा पर चर्चा की कितने ख़बरे दिखाई जा रही हैं इसका पता लगाया जाना ज़रूरी हो गया है. भारतीय एंकर और रिपोर्टर पूरे अमेरिका को मोदीमय बता रहे हैं,ठीक वैसे ही जैसे पूरे भारत को मोदीमय बताते रहे हैं. लेकिन हक़ीकत ये है की मोदी से जुड़ी ख़बरों को पढ़ने के लिए सर्च इंजन में जा कर मोदी लिखना पड़ रहा है,आँखों के सामने ट्रेंड नहीं हो रही ख़बरें.