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सुख-दुख

गाँव लौट गए वरिष्ठ पत्रकार ओमकर चौधरी!

ओमकर चौधरी-

32 साल बाद गांव वापसी! 1989 में गांव ( दबथुवा, मेरठ ) छोड़ा था। 11 वर्ष दैनिक जागरण में रहा। मेरठ संस्करण में। इसके उपरांत अमर उजाला के लिए चंडीगढ़ पहुंचा। कुछ वर्ष वहां बिताए।

2001 में दिल्ली। अमर उजाला के नेशनल ब्यूरो में। फिर हरिभूमि। वहां लंबा समय बीता। बीच में डीएलए के लिए मेरठ आया परंतु फिर वापस हरिभूमि लौट गया। पत्रकारिता की शुरुआत मेरठ से दैनिक प्रभात से हुई। कोई भी कालखंड विस्मृत नहीं किया जा सकता।

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38 वर्ष प्रिंट मीडिया में बिताकर पिछले वर्ष अगस्त में ही अवकाश ग्रहण किया परंतु यूट्यूब पर दो चैनलों के साथ पत्रकारिता का सफर जारी है।

32 वर्ष बाद गांव लौट रहा हूँ। जी हां, मेरठ, चंडीगढ़, दिल्ली, रोहतक जैसे शहरों में तीन दशक से अधिक का समय बिताकर सुकून के लिए अब गांव वापसी का फैसला कर लिया है।

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यूं तो दिल्ली एनसीआर में भी घर है। मेरठ शहर में भी। परंतु जो सुकून गांव में है, वो कहीं नहीं। वो घर, वो गलियां, जहां बचपन बीता है, फिर से उन्हीं से गुजरता हूँ तो बचपन की सारी घटनाएं याद आने लगती हैं।

अब गांव में नेट भी है। बिजली भी है। इसलिए थोड़ी तकलीफ के बावजूद यहीं से चैनल चलाने का निर्णय लिया है। बीच बीच मे दिल्ली एनसीआर के घर का प्रवास रहेगा ही।

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