नीरेंद्र नागर-
पिछले दिनों मैंने सुपरहिट पाकिस्तानी सीरियल ‘परीज़ाद’ देखा। इस सीरियल का हीरो परीज़ाद एक सीधासादा, ग़रीब मगर बहुत ही आदर्शवादी और भला युवक है जो हमेशा दूसरों की मदद को तैयार रहता है।
नौकरी की तलाश में वह ऐसे माफ़िया डॉन के हत्थे चढ़ जाता है जिसके बारे में उसे बाद में पता चलता है कि उसके कई काले धंधे हैं और उसने कई हत्याएँ करवाई हैं। मगर वह पुलिस को ख़बर करने के बजाय उसे बचाने में लग जाता है क्योंकि वह मानता है कि उसे अपने मालिक के प्रति वफ़ादार होना चाहिए।
हो सकता है कि आपकी ज़िंदगी में भी ऐसा कोई शख़्स आया हो जिसने आपपर कोई बहुत बड़ा अहसान किया हो या ऐसी मदद की हो जिससे आपकी ज़िंदगी में बहुत फ़र्क़ पड़ा हो। जब वही शख़्स कोई ऐसा काम करे जो नैतिक दृष्टि से ग़लत हो तो आपको क्या करना चाहिए? क्या उस व्यक्ति की खुलकर आलोचना करनी चाहिए जिसने आपकी ज़िंदगी बदल दी या चुप रहना चाहिए?
मेरे साथ भी ऐसा हुआ है और मैं आज तक इस सवाल का जवाब खोज नहीं पाया हूँ।
वैसे ‘परीज़ाद’ बहुत ही दिलचस्प और बाँधे रखने वाला सीरियल है। अभिनय भी सबका बहुत ही लाजवाब है। अगर आपने कभी प्यार किया है और जवाब में इनकार मिला है तो यक़ीन मानिए, आपके कई रूमाल आँसू पोंछने में गीले हो जाएँगे।
यूट्यूब पर उपलब्ध है। गारंटी है कि पहली कड़ी देखने के बाद आप ठहर नहीं पाएँगे। मैंने इसकी 29 कड़ियाँ केवल चार दिन में देख लीं।
पहली कड़ी का लिंक – https://www.youtube.com/watch?v=fwZ6JNfXezg