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आयोजन

पत्रकारों की हत्या और उत्पीड़न के खिलाफ प्रधानमंत्री कार्यालय तक विरोध मार्च, देखें तस्वीरें

पत्रकार सुरक्षा कानून, मीडिया काउंसिल, मीडिया कमीशन के गठन की मांग, नेशनल जर्नलिस्ट्स रजिस्टर बनाने के लिए भी आवाज बुलंद की

नई दिल्ली। इंटरनेशनल फेडरेशन ऑफ जर्नलिस्ट्स से संबंद्ध नेशनल यूनियन ऑफ जर्नलिस्ट्स-इंडिया और दिल्ली जर्नलिस्ट्स एसोसिएशन ने उत्तर प्रदेश के गाजियाबाद में पत्रकार विक्रम जोशी, कानपुर के पत्रकार शुभममणि त्रिपाठी, मध्यप्रदेश के निवाड़ी में पत्रकार सुनील तिवारी की हत्या के खिलाफ और एम्स दिल्ली में पत्रकार तरूण सिसोदिया की संदिग्ध अवस्था में हुई मौत की न्यायिक जांच की मांग को लेकर प्रेस क्लब आफ इंडिया से प्रधानमंत्री कार्यालय तक विरोध मार्च निकाला।

इस दौरान भारी संख्या में तैनात पुलिस और अर्धसैनिक बलों ने बेरिकेड लगाकर विरोध मार्च को बीच रास्ते में रोक दिया। मार्च के उपरांत एनयूजेआई की तरफ से प्रधानमंत्री कार्यालय को ज्ञापन सौंपा गया। विरोध मार्च की अगुवाई करते हुए एनयूजे के राष्ट्रीय अध्यक्ष रासबिहारी ने पत्रकार सुरक्षा कानून, मीडिया काउंसिल और मीडिया कमीशन के गठन के साथ ही पत्रकारों का उत्पीड़न, जबरन छंटनी, वेतन में कटौती और छोटे और मध्यम अखबारों की समस्याओं को दूर करने की मांग उठाई।

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विरोध प्रदर्शन के दौरान दिल्ली जर्नलिस्ट्स एसोसिएशन के अध्यक्ष राकेश थपलियाल महासचिव के पी मलिक,कोषाध्यक्ष नरेश गुप्ता, प्रेस काउंसिल ऑफ इंडिया के सदस्य आनंद राणा, एनयूजे की पूर्व कोषाध्यक्ष सीमा किरण ने संबोधित किया। इस अवसर पर अशोक किंकर, रणवीर सिंह, कुमार पंकज, सुजान सिंह, सुभाष चंद्र, सुभाष बारोलिया, बंसी लाल, ज्ञानेंद्र, उषा पाहवा, दीप्ति अंगरिष, अंजली भाटिया, अशोक भर्तवाल, राजेश भसीन, गोपीनाथ शमा, संजय गुप्ता, मनोज दीक्षित, नफेराम, प्रवीर दत्ता, अमित कुमार, सुभाष चंद्रा, मनमोहन, ओमप्रकाश सहित दर्जनों पत्रकार शामिल थे।

प्रदर्शन के दौरान संगठन के नेताओं ने कहा कि विक्रम जोशी और तिवारी की हत्या पुलिस में सुरक्षा मांगने के बावजूद की गई। मध्यप्रदेश के पत्रकार तिवारी ने दो महीने पहले अपनी सुरक्षा की गुहार लगाई गई थी। इससे पहले कानपुर में बालू माफिया का पर्दाफाश करने पर पत्रकार शुभम त्रिपाठी की हत्या कर दी गई थी।

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एनयूजे अध्यक्ष रासबिहारी ने कहा कि पत्रकारों पर बढ़ते हमले, फर्जी मुकदमे और फर्जी पत्रकारों की बढ़ती भीड़ को रोकने के लिए पत्रकार सुरक्षा कानून और राष्ट्रीय पत्रकार रजिस्टर बनाने की आवश्यकता है। प्रेस काउंसिल की ताकत बढ़ाने और इलैक्ट्रानिक मीडिया को दायरे में लाने के लिए मीडिया काउंसिल बनाने की आवश्यकता है। डीजेए अध्यक्ष राकेश थपलियाल ने कहा कि पत्रकारों पर हमले रोकने के लिए केंद्र और राज्य सरकार तुरंत प्रभावी कदम उठाएं। डीजेए महासचिव के पी मलिक ने कहा कि पत्रकारों की हत्या से कानून-व्यवस्था की खराब स्थिति सामने आई है। एनयूजे की वरिष्ठ नेता सीमा किरण ने कहा कि कई स्थानों पर कवरेज के दौरान भी महिला पत्रकारों के साथ अभद्र व्यवहार की शिकायतें बढ़ रही है। सरकार को इस ओर देने की जरूरत है।

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1 Comment

1 Comment

  1. Ajai Singh Bhadauria

    July 25, 2020 at 6:51 pm

    इस सरकार से कोई उम्मीद न करें पत्रकार? अभिव्यक्ति की आजादी पर लगातार हमला हो रहा है और सरकार मौन साधे हुए है। इससे ही पत्रकारों को समझ लेना चाहिए कि अब पत्रकारिता का वो दौर नहीं रहा। इसमें हमारे परिवार के लोगों की भी महती भूमिका है?

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